Textile Industry

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    मुंबई:  कहावत है कि कपड़ों से व्यक्ति की हैसियत समझ में आती है। इसीलिए हर कोई अपना व्यक्तित्व निखारने के लिए अच्छे कपड़े पहनना चाहता है। हर व्यक्ति की इसी चाहत के कारण टेक्सटाइल बिजनेस एक सदाबहार व्यवसाय बना रहा है, लेकिन विगत कुछ दशकों से वैश्वीकरण के इस युग में सस्ते आयात, प्रतिस्पर्धी देशों की कड़ी प्रतिस्पर्धा, उपेक्षापूर्ण सरकारी नीतियों जैसे कई कारणों से भारी रोजगार (Employment) वाली टेक्सटाइल इंडस्ट्री (Textile Industry) बुरे दौर से गुजर रही थी। परंतु कोरोना महामारी के बाद हालात बदल गए हैं और अब मोदी सरकार भी टेक्सटाइल इंडस्ट्री की ग्रोथ बढ़ाने के लिए गंभीर हो गयी है। और जब से पीयूष गोयल (Piyush Goyal) ने कपड़ा मंत्रालय (Textile Ministry) की कमान संभाली है, तब से सरकार का इस इंडस्ट्री पर विशेष फोकस दिखने लगा है। पीयूष गोयल द्वारा घरेलू व्यापार (Domestic Trade) और निर्यात (Export), दोनों मोर्चों पर प्रोत्साहन देकर टेक्सटाइल इंडस्ट्री की ग्रोथ बढ़ाने में जुट गए हैं। 

    इसके लिए वे देश में उत्पादन बढ़ाने और आयात घटाने के लिए प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (PLI) स्कीम लेकर आए, जिसके अंतर्गत देश में 7 मेगा टेक्सटाइल पार्क (Mega Textile Parks) के निर्माण की मंजूरी दी गई है। जिससे करीब 7.50 लाख नए रोजगार सृजित होने की उम्मीद है। कपड़ा मंत्री ने घरेलू कपड़ा व्यापार को भी सरंक्षण प्रदान करने के लिए एक जनवरी 2022 से लागू होने वाली 7% जीएसटी (GST) वृद्धि को स्थगित कराने में भी अहम भूमिका निभायी है।

    नई ऊंचाइयों पर पहुंचता निर्यात

    सरकार के प्रयासों और वैश्विक स्तर पर अनुकूल होते हालात से भारत का टेक्सटाइल निर्यात तेजी से बढ़ने लगा है। वित्त वर्ष 2021-22 में 9 महीनों (अप्रैल-दिसंबर 2021) के दौरान भारत का टेक्सटाइल निर्यात 31% बढ़कर 30 अरब डॉलर मूल्य का हो चुका है। भारत के लिए बड़ा एडवांटेज यह भी है कि प्रतिस्पर्धी देशों के मुकाबले भारत में रॉ मैटेरियल सस्ता है। मौजूदा वित्त वर्ष 2021-22 में 44 अरब डॉलर मूल्य का निर्यात होने का अनुमान है, जो 2014-15 में हुए 37.7 अरब डॉलर के निर्यात के बाद सर्वाधिक होगा। अब पीयूष गोयल ने भारत का टेक्सटाइल निर्यात 100 अरब डॉलर तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा है। हालांकि यह लक्ष्य आसान तो नहीं है, लेकिन असंभव भी नहीं है। अमेरिका (US) द्वारा पिछले माह चीन (China) के टेक्सटाइल हब शिंगजेंग क्षेत्र से आयात पर प्रतिबंध लगाए जाने से अब भारत के लिए निर्यात बढ़ाने के अच्छे अवसर पैदा हो गए हैं। शिंगजेंग में श्रमिकों का शोषण होने की खबरों के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति ने यह निर्णय लिया है। शिंगजेंग क्षेत्र की ग्लोबल कॉटन मार्केट में 20% हिस्सेदारी है। इसका बड़ा हिस्सा भारत को मिल सकता है, क्योंकि विश्व स्तर पर टेक्सटाइल व अपैरल खरीद में अकेले अमेरिका की हिस्सेदारी 15% है।     

    टेक्सटाइल कंपनियों के शेयरों में निवेशक आकर्षित

    अमेरिकी प्रतिबंध के बाद अब भारतीय कॉटन और कॉटन यार्न का निर्यात तेजी से बढ़ने की उम्मीद है। रिसर्च फर्म स्पार्क कैपिटल की एक रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिकी के प्रतिबंध लगाए जाने का सबसे ज्यादा फायदा भारत के कॉटन व कॉटन यार्न (स्पिनिंग कंपनियां) तथा मेड-अप्स सेगमेंट यानी होम टेक्सटाइल कंपनियों को अधिक मिलने की उम्मीद है। इसी कारण निवेशक भी इन्हीं सेगमेंट्स की कंपनियों के शेयरों के प्रति अधिक आकर्षित हो रहे हैं।    

    महाराष्ट्र के कपास किसानों की चांदी

    विश्वव्यापी बढ़ती मांग के कारण कॉटन (Cotton) की कीमतें ग्लोबल मार्केट में 10 वर्षों की नई ऊंचाई पर पहुंच गयी है और पिछले एक साल में 40% से अधिक की तेजी आई है। भारत विश्व में 25% हिस्सेदारी के साथ कॉटन का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है। इसलिए यह भारत के लिए फायदेमंद है। कॉटन की बढ़ती कीमतों का सबसे ज्यादा फायदा महाराष्ट्र, गुजरात और तेलंगाना के किसानों को मिल रहा है। ये तीनों राज्य मिलकर देश के कुल कॉटन उत्पादन में 65% योगदान देते हैं। इनमें भी महाराष्ट्र 25% योगदान के साथ सबसे बड़ा कॉटन उत्पादक राज्य है। इसलिए तेजी का सबसे ज्यादा फायदा भी राज्य को अधिक मिल रहा है।

    भारत के लिए वैश्विक माहौल अनुकूल : राहुल मेहता

    उद्योग संगठन क्लोदिंग मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (CMAI) के चीफ मेंटर राहुल मेहता का कहना है कि ग्लोबल मार्केट में भारत के लिए अनुकूल माहौल बनने और सरकार द्वारा इंडस्ट्री के विकास पर प्राथमिकता दिए जाने से भारतीय कपड़ा उद्योग के ‘अच्छे दिन’ आते दिखाई दे रहे हैं। सरकार ने बहुत ही अच्छे कदम उठाए हैं, खासकर मैन मैड फाइबर व टेक्निकल टेक्सटाइल के क्वालिटी उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए पीएलआई योजना तथा बड़े स्तर पर गारमेंट निर्माण के लिए 7 मेगा टेक्सटाइल पार्क की शुरूआत। इन दोनों कदमों से भारत के गारमेंट निर्यात सेक्टर की 2 बड़ी कमजोरी दूर होगी और ग्लोबल मार्केट में निर्यात क्षमता बढ़ाने में काफी मदद मिलेगी। यूएस का चाइना के शिंगजेंग से आयात प्रतिबंध, यूएस मार्केट में बढ़ती मांग और बांग्लादेश को यूरोप से प्राप्त 10% निर्यात सुविधा की 2024 में समाप्ति जैसे फैक्टर उत्साहवर्धक है। जिससे आगे भारत का निर्यात और चमकेगा।

    कॉटन यार्न में रिकॉर्ड तेजी चिंताजनक

    राहुल मेहता ने कहा कि हालांकि एक बड़ी चिंता कॉटन यार्न कीमतों में आई 60% तक की रिकार्ड तेजी के कारण है। इस पर सरकार को तत्काल ध्यान देना होगा। कॉटन यार्न महंगा होने से भारत का गारमेंट और होम टेक्सटाइल निर्यात उम्मीद से कम बढ़ रहा है। इसलिए सरकार को निर्यात और रोजगार बढ़ाने के लिए रॉ मैटेरियल (कॉटन व कॉटन यार्न) के निर्यात की बजाय फिनिश्ड उत्पाद (गारमेंट, होम टेक्सटाइल) के निर्यात को बढ़ावा देने की पॉलिसी बनानी होगी, क्योंकि पूरे कपड़ा उद्योग में गारमेंट सेक्टर 50% से अधिक यानी 1.20 करोड़ रोजगार देता है। 

    सरकार के कदमों से इंडस्ट्री में आया नया उत्साह : हर्षवर्धन बस्सी

    टेक्सटाइल उद्योगपति और पायोनियर एम्ब्रॉयडरीज लिमिटेड (Pioneer Embroideries Ltd) के प्रबंध निदेशक हर्षवर्धन बस्सी का कहना है कि कई दशकों बाद पहली बार सरकार ने टेक्सटाइल इंडस्ट्री को रोजगार और निर्यात की दृष्टि से महत्वपूर्ण उद्योग मान इस पर फोकस किया है। कपड़ा और वाणिज्य मंत्री के रूप में पीयूष गोयल इंडस्ट्री में निवेश, रोजगार, उत्पादन और निर्यात बढ़ाने के लिए सराहनीय कदम उठा रहे हैं। सरकार के सार्थक कदमों से इंडस्ट्री में नए उत्साह का संचार हुआ है। यही कारण है कि कंपनियां भी उत्पादन क्षमता बढ़ाने एवं टेक्नोलॉजी अपग्रेडेशन करने के लिए नया निवेश कर रही हैं। पायोनियर एम्ब्रॉयडरीज भी अपनी पोलिएस्टर यार्न क्षमता 18 हजार टन से बढ़ाकर 26 हजार टन कर रही है।

    100 अरब डॉलर का निर्यात लक्ष्य संभव

    हर्षवर्धन बस्सी ने कहा कि कोविड महामारी के बाद ग्लोबल मार्केट में एंटी-चाइना माहौल बनने के कारण अमेरिका और यूरोप की टेक्सटाइल कंपनियां चाइना की बजाय भारत, वियतनाम, बांग्लादेश, पाकिस्तान जैसे अन्य देशों से अपनी खरीद बढ़ाने लगी हैं। इसका फायदा भारत को ज्यादा मिल रहा है, क्योंकि यहां सरकार इंडस्ट्री को पूरा सहयोग कर रही है। जिससे भारतीय कंपनियां निर्यात बढ़ाने में सफल हो रही है। आगामी वर्षों में सरकार और इंडस्ट्री के सम्मिलित प्रयासों से निश्चित ही भारत 100 अरब डॉलर के टेक्सटाइल निर्यात का लक्ष्य हासिल कर सकेगा।