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    मुंबई: देश भर के कपड़ा व्यापार-उद्योग क्षेत्र (Textile Trade and Industry) में बढ़ते आक्रोश के मद्देनजर मोदी सरकार (Modi Government) कपड़ों पर जीएसटी दर (GST Rate) में 7% की प्रस्तावित वृद्धि पर पुनर्विचार कर रही है और संभव है कि एक जनवरी से पहले इसे स्थगित करने का ऐलान हो जाएगा। 

    उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh), पंजाब (Punjab) सहित 5 राज्यों में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनावों (Assembly Elections) के कारण मोदी सरकार पर दबाव बढ़ रहा है कि वह इस प्रस्तावित वृद्धि को वापस लें, क्योंकि देश में कपड़ा कारोबारियों की संख्या करोड़ों में है और इस बड़े वोट बैंक में बढ़ती नाराजगी उसे आगामी विधानसभा चुनावों में विशेषकर उत्तर प्रदेश में बड़ा नुकसान पहुंचा सकती है। इसलिए कृषि कानूनों की तर्ज पर कपड़े पर जीएसटी वृद्धि का फैसला रद्द या स्थगित किया जा सकता है। हालांकि फिलहाल स्थगित होने की संभावना अधिक दिख रही है।

    देश भर के कपड़ा व्यापारियों में आक्रोश

    सूत्रों के अनुसार, कपड़ा उद्योग में जीएसटी रिफंड की समस्या करने के नाम पर 33 सदस्यों वाली जीएसटी परिषद की सलाह पर वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने पिछले माह जब से सभी तरह के कपड़ों पर जीएसटी दर 5% से बढ़ाकर 12% करने की घोषणा की है, तभी से देश भर में इसका विरोध शुरू हो गया था और अब यह विरोध तेज होता जा रहा है। कपड़ा उद्योग से जुड़े करोड़ों व्यापारियों और उद्यमियों में आक्रोश बढ़ रहा है। यह आक्रोश मुंबई, भिवंडी, इचलकरंजी, इंदौर, सूरत, अहमदाबाद, वाराणसी, कानपुर, भीलवाड़ा, लुधियाना, कोयंबटूर, त्रिपुर सहित देश की हर कपड़ा मंडी में देखा जा रहा है। इसी विरोध को देखते हुए मोदी सरकार चुनावों में संभावित नुकसान से बचने के लिए जीएसटी वृद्धि को वृद्धि को स्थगित करना चाह रही है।  

    गोयल, दर्शना, पवार वृद्धि के पक्ष में नहीं  

    केंद्रीय कपड़ा मंत्री पीयूष गोयल और कपड़ा राज्य मंत्री दर्शना जरदोश टैक्स वृद्धि के पक्ष में नहीं है। सूरत, जो देश की सबसे बड़ी कपड़ा मंडी है और दर्शना जरदोश सूरत की ही सासंद है, उन्हें सबसे ज्यादा विरोध झेलना पड़ रहा है। पीयूष गोयल भी वृद्धि किए जाने के पक्ष में नहीं है और जीएसटी दरों में यथास्थिति बनाए रखना चाहते हैं। गोयल ने पिछले सप्ताह व्यापार महासंघ ‘कैट’ के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल के नेतृत्व में उनसे मिलने गए व्यापारियों से कहा था कि कपड़ा मंत्रालय वृद्धि की बजाय जीएसटी दरों में यथास्थिति रखना चाहता है और वे व्यापारियों की भावनाओं से वित्त मंत्री को अवगत कराकर वृद्धि वापस लेने का आग्रह करेंगे। इधर, महाराष्ट्र के वित्त मंत्री अजीत पवार ने भी हिंदुस्तान चेम्बर, भारत मर्चेंट्स और मुंबई मर्चेंट्स महाजन के अध्यक्षों से कहा कि वे जीएसटी परिषद से इस मुद्दे पर पुनर्विचार की बात करेंगे।   

    कपड़ा कारोबारियों के लिए घातक

    विशेषज्ञों का कहना है कि कपड़ों पर टैक्स वृद्धि सरकार, कपड़ा उद्योग और उपभोक्ता किसी के हित में नहीं है। इससे उल्टे महंगाई बढ़ जाएगी। इसके अलावा कपड़ा व्यापार में फिर टैक्स चोरी बढ़ने की आशंका है, जिससे सरकार का राजस्व भी प्रभावित होगा। हिंदुस्तान चेम्बर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष शिखरचंद जैन और भारत मर्चेंटस चेम्बर के अध्यक्ष विजय लोहिया का कहना है कि कपड़ा उद्योग जैसे-तैसे कोरोना संकट से उबरा है और अभी तक महामारी के कारण हुए भारी नुकसान की पूर्ति भी नहीं हुई है। अब यदि 7% टैक्स बोझ बढ़ता है तो हम फिर नुकसान में आ जाएंगे क्योंकि कड़ी प्रतिस्पर्धा और बहुत कम मार्जिन वाले कपड़ा व्यवसाय में करीब 6 माह तक भुगतान अटका रहता है और 7% टैक्स बोझ बढ़ने पर 6 महीनों में 42% अतिरिक्त पूंजी फंस जाएगी, जो कपड़ा कारोबारियों के लिए घातक सिद्ध होगी।