बढ़ सकती हैं घरों की कीमतें

  • स्टील और सीमेंट के महंगे होने से बढ़ती लागत

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मुंबई. महंगे होते सीमेंट (Cement) और स्टील (Steel) डेवलपरों और ठेकेदारों के लिए चिंता का कारण बन रहे हैं क्योंकि इससे रियल इस्टेट इंडस्ट्री (Real Estate Industry) में सितंबर से जो तेज सुधार आ रहा है, उसे झटका लग सकता है. सीमेंट-स्टील की बढ़ती कीमतों के कारण निर्माण लागत बढ़ रही है. सीमेंट और स्टील की कीमतों में 30 से 40% की भारी वृद्धि के कारण घरों के दाम भी बढ़ सकते हैं. 

डेवलपरों का कहना है कि फिलहाल अच्छी मांग के बावजूद प्रॉपर्टी कीमतें लगभग स्थिर हैं, लेकिन यदि इसी तरह स्टील-सीमेंट महंगे होते रहे तो वे घरों के दाम बढ़ाने को मजबूर हो जाएंगे. भवन निर्माण में सीमेंट-स्टील मुख्य सामग्री है और कुल लागत में इनका हिस्सा 25 से 30% होता है.

सीमेंट के दाम कुछ घटे, स्टील और महंगा हुआ

उद्योग संगठनों क्रेडाई (Credai), नरेडको (Naredco) तथा बिल्डर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (BAI) ने केंद्र सरकार से सीमेंट और स्टील कंपनियों पर मुनाफाखोरी का आरोप लगाते हुए कीमतों पर नियंत्रण लगाने की मांग की है. जिस पर कार्रवाई करते हुए भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (CCI) ने सीमेंट कंपनियों पर छापे मार कर जांच शुरू भी की है, लेकिन स्टील कंपनियों के खिलाफ अभी तक कोई कदम नहीं उठाया गया है और वे लगातार मूल्य वृद्धि कर रही हैं. कंस्ट्रक्शन में उपयोग होने वाले टीएमटी बार्स यानी लोहे के सरियों के दाम सोमवार को फिर 1,000 रुपए प्रति टन बढ़ गए. मुंबई में अब बड़ी कंपनियों के टीएमटी बार्स के दाम 61,000 रुपए प्रति टन (18% जीएसटी सहित) की ऊंचाई पर पहुंच गए हैं. हालांकि सीसीआई के कार्रवाई के बाद सीमेंट के दाम प्रति बैग 10 से 20 रुपए प्रति बैग घटे हैं, लेकिन बड़े सीमेंट ब्रांडों के दाम अब भी 325-340 रुपए (28% जीएसटी सहित) के उच्च स्तरों पर हैं. 

20 से 25% बढ़ी निर्माण लागत

डेवलपरों का कहना है कि केंद्र और राज्य सरकार के प्रयासों से रियल इस्टेट क्षेत्र कोरोना संकट से उबरकर फिर ट्रैक पर आ रहा है. अक्टूबर, नवंबर और अब दिसंबर 2020 में मुंबई में बड़ी संख्या में घरों की बिक्री दर्ज हुई है, लेकिन सीमेंट की कीमतों में 30 से 40% का इजाफा हो गया है. इसके चलते निर्माण लागत 20 से 25% बढ़ गई है. अब यदि सरकार ने सीमेंट-स्टील के दाम नहीं नियंत्रित किए तो हमारे पास घरों की कीमतें बढ़ाने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचेगा.

देश में घरों की मांग पिछले 3-4 महीनों से बढ़ी है और घरों के निर्माण में लगने वाले स्टील और सीमेंट के बढ़ते दामों पर नियंत्रण नहीं लगाया गया तो लागत बढ़ने से घरों के दाम भी बढ़ सकते है. जिससे रियल इस्टेट इंडस्ट्री के विकास पर असर हो सकता है. इंडस्ट्री बड़ी मुश्किल से पटरी पर आती दिख रही है. केंद्र और राज्य सरकार की तरफ से प्रोत्साहन और सहयोग जो स्टाम्प ड्यूटी कटौती, ब्याज दर कटौती, इनकम टैक्स छूट के रूप में मिला और डेवलपरों ने स्कीम्स और ऑफर्स दिए. इन सबसे इंडस्ट्री संभल पाई है, लेकिन कीमतें अंधाधुंध बढ़ती रही तो सारे प्रयासों पर पानी फिर सकता है. लिहाजा सरकार को तुरंत इसमें हस्तक्षेप कर स्टील और सीमेंट के अत्याधिक बढ़ते दामों पर अंकुश लगाना चाहिए, ताकि हर भारतीय का घर का सपना महंगा ना हो और सेक्टर में सकारात्मक माहौल बना रहे.

- मंजू याज्ञनिक, वरिष्ठ उपाध्यक्ष, नरेडको महाराष्ट्र

सीमेंट और स्टील के दाम लगातार बढ़ना हमारे लिए चिंताजनक है. क्योंकि ये दोनों भवन निर्माण में मुख्य रॉ मैटेरियल है. किसी भी वस्तु का बाजार की वास्तविक मांग के अनुसार मूल्य बढ़े तो ठीक है, लेकिन जितनी मांग है, उससे ज्यादा अंधाधुंध कीमतें बढ़े तो गलत है. विगत कुछ दिनों से सीमेंट और स्टील के दाम जिस तेजी से बढ़ रहे हैं, वह वृदि्ध मांग के अनुरूप नहीं है. इसलिए सरकार को इसमें तुरंत हस्तक्षेप करना चाहिए. जिस तरह सरकार आम जनता के हित में अनाज के दाम नियंत्रित करती है, उसी तरह सीमेंट-स्टील की अंधाधुंध बढ़ती कीमतों को भी नियंत्रित करने के लिए एक निगरानी कमेटी गठित करनी चाहिए. ये दोनों भी देश में इंफ्रा और रियल इस्टेट विकास के लिए आवश्यक वस्तुएं बन गई हैं.

-अशोक छाजेड़, अध्यक्ष, अरिहंत सुपरस्ट्रक्चर्स लिमिटेड