ऊंची उड़ान भरने को तैयार डिफेंस सेक्टर के शेयर, निवेश के अच्छे अवसर

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    मुंबई: अमेरिका और चीन के बाद भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा देश है, जिसका सैन्य खर्च 76.6 अरब डॉलर है, लेकिन रक्षा क्षेत्र यानी डिफेंस सेक्टर (Defense Sector) में भारत आयात (Import) पर बहुत ज्यादा निर्भर है। इसी कारण भारत दुनिया में हथियारों (Arms) का सबसे बड़ा आयातक है। हालांकि भारत निर्यात (Export) भी करता है, लेकिन निर्यात में 19वें स्थान पर है। आयात निर्भरता को कम करने और स्वदेशी उत्पादन (Domestic Production) बढ़ाने के लिए केंद्र सरकार ने डिफेंस सेक्टर में भी ‘आत्मनिर्भर’ (Atmanirbhar) बनने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य रखा है, परंतु यह लक्ष्य इतना आसान नहीं है क्योंकि फिलहाल आयात निर्भरता बहुत ज्यादा है। भारत का रिसर्च एंड डेवलपमेंट (R&D) खर्च विकसित देशों के 10 से 12% की तुलना में महज 1% होने से आधुनिक हथियारों की टेक्नोलॉजी के मामले में विकसित देशों पर निर्भर रहना पड़ता है। हालांकि अब सरकार आरएंडडी पर प्राथमिकता देने लगी है, लेकिन इस दिशा में हमें लंबा सफर तय करना है। इसलिए सरकार ने अपनी नई नीति में आरएंडडी पर फोकस करने के साथ आधुनिक सैन्य साजो-सामान (Military Equipment) के निर्माण में अधिक से अधिक स्वदेशी उपकरणों का उपयोग करने पर जोर दिया है। 

    जैसे रूसी लड़ाकू विमान ‘सुखोई’ का निर्माण अब प्रमुख भारतीय कंपनी हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) देश में ही कर रही है। पहले इसके निर्माण में 60 से 65% रूस से आयात उपकरण लगते थे, जिन्हें कम कर करीब 50% तक लाया गया है। अब सरकार का लक्ष्य 30 से 35% तक लाने का है। यानी ‘सुखोई’ में 65 से 70% स्वदेशी उपकरण लगेंगे। इसी तरह सरकार अन्य आधुनिक हथियारों के निर्माण में भी स्वदेशी उपकरणों का उपयोग बढ़ाना चाह रही है। भारत में अब फोर्थ-क्लास फाइटर एयरक्राफ्ट, न्यूक्लियर सबमरीन, मैन बैटल टैंक और इंटरकांटिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल जैसे आधुनिक हथियारों की डिजाइन और निर्माण होने लगा है। यह क्षेत्र वर्तमान में 4 लाख से अधिक लोगों को रोजगार प्रदान कर रहा है।  

    25 अरब डॉलर के उत्पादन का लक्ष्य

    केंद्र सरकार के अथक प्रयासों से डिफेंस सेक्टर की ग्रोथ तेज होने लगी है। सरकार ने वर्ष 2025 तक देश में 25 अरब डॉलर मूल्य के सैन्य साजो-सामान के उत्पादन और 5 अरब डॉलर निर्यात का लक्ष्य रखा है, जबकि वर्ष 2021 में 11 अरब डॉलर मूल्य का उत्पादन और 1।59 अरब डॉलर का निर्यात हुआ था और इस वर्ष अब तक 1 अरब डॉलर मूल्य के सैन्य साजो-सामान का निर्यात हो चुका है। पिछले 4 वर्षों के दौरान भारत के डिफेंस सेक्टर की वार्षिक ग्रोथ 3.9% रही है, लेकिन अब सरकार के विशेष प्रयासों से आगामी 4 वर्षों में सेक्टर की ग्रोथ तेज होने की उम्मीद है। ग्रोथ तेज होने से जहां इस क्षेत्र में रोजगार के अवसर बढ़ रहे हैं, वहीं इस क्षेत्र की अग्रणी कंपनियों में निवेश के अच्छे अवसर निकलने लगे हैं। डिफेंस सेक्टर के विकास में सार्वजनिक क्षेत्र की 9 कंपनियां महत्वपूर्ण योगदान दे रही है। जिनमें हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स (HAL), भारत इलेक्ट्रोनिक्स (BEL), भारत डायनामिक्स (BDL), मझगांव डॉक (MDL), गार्डन रीच शिप (Garden Reach Shipbuilders), कोचीन शिपयार्ड (Cochin Shipyard), बीईएमएल (BEML) मुख्य हैं। इनके अलावा एलएंडटी (L&T), टाटा एडवांस (Tata Adances), अडानी डिफेंस (Adani Defence), महिंद्रा डिफेंस (Mahindra Defence), अस्ट्रा माइक्रोवेव (Astra Micro), डेटा पैटर्न (Data Patterns), टीटागढ़ वैगन (Titagarh Wagons) सहित 150 से अधिक निजी कंपनियां भी अपना योगदान बढ़ा रही हैं। कई स्टार्टअप भी उभर रहे हैं। विश्लेषकों का कहना है कि विगत एक माह के दौरान डिफेंस सेक्टर के शेयरों में काफी तेजी आई है। लिहाजा ऊंचे मूल्यों पर कुछ मुनाफावसूली भी संभव है, लेकिन लॉन्ग टर्म नजरिए से गिरावट में प्रमुख कंपनियों के शेयरों में निवेश फायदेमंद सिद्ध हो सकता है।   

    बनेगा वैश्विक रक्षा विनिर्माण केंद्र

    गांधीनगर में 18 से 22 अक्टूबर 2022 के दौरान हुई विशाल रक्षा प्रदर्शनी काफी सफल रही। जिसमें करीब 75 देशों के प्रतिनिधि शामिल हुए और भारतीय डिफेंस कंपनियों को अच्छे ऑर्डर प्राप्त हुए। प्रदर्शनी में 1।53 लाख करोड़ रुपये के कुल 451 सहमति पत्रों (MOU) और समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए। इसकी सफलता पर केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि रक्षा प्रदर्शनी का 12वां संस्करण अब तक का सबसे सफल आयोजन रहा और इसने भारतीय रक्षा क्षेत्र के लिए सशक्तिकरण के युग की शुरुआत की है। इस प्रदर्शनी ने यह भी दिखाया कि भारत एक वैश्विक रक्षा विनिर्माण केंद्र बनने के लिए तैयार है।

    8 ट्रिलियन रुपए के ठेके मिलने की उम्मीद

    रक्षा प्रदर्शनी में आए भारत के सेना प्रमुख ने कहा कि अगले 7-8 वर्षों में भारतीय कंपनियों को 8 ट्रिलियन रुपए के रक्षा ठेके दिए जाने की संभावना है, जो प्रमुख भारतीय डिफेंस कंपनियों की मौजूदा ऑर्डर बुक लगभग 2।80 ट्रिलियन रुपए की तुलना में करीब 3 गुना ज्यादा ऑर्डर होंगे। भारी ऑर्डर मिलने पर आगामी वर्षों में भारतीय कंपनियों की विकास रफ्तार और तेज हो सकेगी। इसका सबसे ज्यादा लाभ सार्वजनिक क्षेत्र की शीर्ष कंपनियों हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स, भारत इलेक्ट्रोनिक्स, भारत डायनामिक्स, मझगांव डॉक, गार्डन रीच और कोचीन शिपयार्ड को मिलने की संभावना है।

    सरकार के सार्थक प्रयासों से ही निश्चित ही डिफेंस सेक्टर की ग्रोथ तेज हो रही है और निवेश के बढ़िया मौके भी उभर रहे हैं। भारत सरकार के डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गेनाइजेशन (DRDO) का फोकस पूरी तरह आरएंडडी बढ़ाने और स्टार्टअप को प्रमोट करने पर है। यह बहुत जरूरी भी है क्योंकि स्वदेशी टेक्नोलॉजी विकसित करने के लिए जितना अधिक आरएंडडी पर खर्च होगा, उतना ही देश ‘आत्मनिर्भर’ बनेगा। केंद्र सरकार के प्रयास सही दिशा में हैं। नई नीति में सरकार आरएंडडी और स्टार्टअप को प्रोत्साहन देते हुए रक्षा उपकरणों का लोकल प्रोडक्शन बढ़ाने पर प्राथमिकता दे रही है। सरकार ऑटो सेक्टर की तरह डिफेंस सेक्टर में भी लोकल वेंडर सप्लाई चेन का इकोसिस्टम विकसित करने का प्रयास कर रही है। इससे आयात घटाने और ‘आत्मनिर्भर’ बनने में मदद मिलेगी। निवेश की दृष्टि से देखा जाए तो 3 से 5 साल की अवधि में हम इस सेक्टर के प्रति पॉजिटिव हैं।

    टॉप पिक : हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स, भारत इलेक्ट्रोनिक्स, डेटा पैटर्न, भारत डायनामिक्स, मझगांव डॉक, गार्डन रीच, कोचीन शिपयार्ड।

    -अमित अनवानी, रिसर्च विश्लेषक, प्रभुदास लीलाधर प्राइवेट लिमिटेड