Market

  • 5 महीनों में 23% की जोरदार तेजी

Loading

मुंबई: 13 महीनों बाद भारतीय शेयर बाजार (Indian Stock Market) फिर नई ऊंचाई पर पहुंच गया है। मुख्य बेंचमार्क सेंसेक्स (Sensex) बीते सोमवार को 62,701 अंक का नया उच्च स्तर छूने के बाद 62,505 अंक की रिकॉर्ड ऊंचाई पर बंद हुआ। इस साल मंदी के झटके खाने के बावजूद दुनिया में भारतीय बाजार सबसे तेज गति से आगे बढ़ रहा है। दुनिया के बड़े बाजारों (Global Stock Markets) को देखे तो अमेरिका, चीन, जर्मनी, जापान, ब्रिटेन, फ्रांस, हांगकांग, ताइवान, द. कोरिया सहित सभी के बेंचमार्क अभी भी अपने सर्वोच्च स्तरों से 3% से लेकर 25% तक नुकसान में हैं। अमेरिकी बेंचमार्क (Dow Jones) तो 7% नीचे हैं। यहीं नहीं ब्रिटेन को छोड़ उक्त सभी बड़े देशों के बाजारों में इस साल 3% से लेकर 28% तक का घाटा है। जबकि भारतीय बाजार 7% फायदे में आ गया है। इस तेजी की सबसे बड़ी वजह यह है कि दुनिया के बड़े देशों में भारत की ही विकास गति (+7%) सबसे अधिक है। इस कारण अंतर्राष्ट्रीय संस्थागत निवेशकों के लिए भारत सबसे आकर्षक मार्केट बन गया है। भारतीय बाजार में जून के अंत में ही मंदी खत्म होकर तेजी की शुरूआत हो गयी थी, जबकि अन्य बाजारों में अक्टूबर से तेजी आरंभ हुई है।

‘enavabharat.com’ ने 20 जून 2022 को प्रकाशित अपने विश्लेषण ‘‘मंदी खत्म होने के संकेत’’ और 25 जुलाई को प्रकाशित ‘‘मंदी के बादल छंटे, तेजी का आगाज’’ तथा 20 अगस्त को प्रकाशित विश्लेषण ‘‘नई ऊंचाइयों की तरफ बढ़ता बाजार’’ में तेजी का अनुमान व्यक्त किया था, जो एकदम सही साबित हुआ है। 20 जून 2022 से लेकर अब तक विगत 5 महीनों में निफ्टी और सेंसेक्स में 22% से 23% तक का बड़ा उछाल दर्ज हुआ है।

पीएसयू शेयरों में अच्छी तेजी की संभावना 

अब क्रूड ऑयल (Crude Oil) सहित सभी कमोडिटी कीमतों (Commodity Prices) में बड़ी गिरावट आने से अब ब्याज दरों (Interest Rates) में अधिक वृद्धि की आशंका नहीं रही है। यानी अधिकांश फैक्टर पॉजिटिव हो गए हैं। लिहाजा घट-बढ़ के साथ तेजी का दौर जारी रहने के प्रबल आसार हैं। बजट के पहले क्वालिटी मिडकैप और स्मालकैप शेयरों सहित पीएसयू शेयरों में अच्छी तेजी की संभावना है। 

3 महत्वपूर्ण फैक्टर हुए पॉजिटिव: आलोक रंजन

आईडीबीआई म्यूचुअल फंड (IDBI Mutual Fund) के चीफ इन्वेस्टमेंट ऑफिसर आलोक रंजन (Alok Ranjan) का कहना है कि भारतीय और वैश्विक निवेशकों (Investors) की सबसे बड़ी चिंता बढ़ती महंगाई (High Inflation) थी, लेकिन अब महंगाई में कमी आने की शुरूआत हो गयी है। इससे केंद्रीय बैंकों (Central Banks) पर ब्याज दरें बढ़ाने का दबाव कम होने लगा है। दूसरी बड़ी चिंता महंगा होता क्रूड ऑयल था, वह भी 124 डॉलर की ऊंचाई से घटकर विगत 10 महीनों के न्यूनतम स्तर 82 डॉलर पर आ गया है। ये दोनों फैक्टर पॉजिटिव होने से निवेशकों का उत्साह बढ़ा है। इसके अलावा, बहुत से रॉ मैटेरियल (Raw Materials) भी महंगे हो गए थे, उनकी कीमतें भी घटी हैं। इससे कार्पोरेट इंडिया के प्रॉफिट में, विगत दो तिमाही से जो प्रेशर बना हुआ था, वह अब कम होने की उम्मीद है। भारत सरकार ने विगत वर्षों में जो बड़े आर्थिक कदम उठाए, उनका असर अब दिखने लगा है और जीडीपी ग्रोथ (GDP Growth) तेज करने में मदद मिल रही है। वैल्यूएशन (Market Valuation) की बात करें तो इंडियन मार्केट का वैल्यूएशन बहुत सस्ता नहीं है तो बहुत महंगा भी नहीं हैं। वैश्विक बाजारों में भी पिछले माह से अच्छी तेजी आई है। इन सब कारणों से इंडियन मार्केट न्यू हाई पर पहुंच गया है। कुल मिलाकर इंडियन मार्केट में उतार-चढ़ाव के साथ तेजी की धारणा बनी रहने की उम्मीद है। ऐसी स्थिति में रिटेल निवेशकों के लिए एसआईपी (SIP) के द्वारा नियमित निवेश करना उचित होगा।        

अब निगाहें 70,000 पर : राकेश मेहता

मेहता इक्विटीज लिमिटेड (Mehta Equities Ltd.) के अध्यक्ष राकेश मेहता (Rakesh Mehta) का कहना है कि हमारे अनुमान के मुताबिक भारतीय शेयर बाजार नई ऊंचाइयों की तरफ अग्रसर हो रहा है। हालांकि तेजी के इस दौर में वोलेटिलिटी (Volatility) यानी भारी घट-बढ़ भी रहेगी। ग्लोबल फैक्टर (Global Factors) के कारण बाजार को बड़े झटके भी लगेंगे, लेकिन इंडियन मार्केट का ग्लोबल मार्केट्स से ‘डीकपलिंग’ (Decoupling) हो चुका है। इसका कारण इंडियन इकनॉमी (Indian Economy) की स्ट्रेंथ (Strength) और इंडियन इन्वेस्टर (Indian Investor) का बढ़ता मनी पावर (Money Power) है। जितनी ग्रोथ यहां है, उतनी किसी अन्य बड़े देश में नहीं है। इसलिए ग्लोबल इन्वेस्टर्स के लिए इंडिया सबसे आकर्षक मार्केट बन गया है और वे इंडिया में अपना निवेश निश्चित ही फिर बढ़ाएंगे। कार्पोरेट इंडिया के पहली छमाही के रिजल्ट में कुछ सेक्टर की कंपनियों के प्रॉफिट में अवश्य मार्जिन प्रेशर आया, परंतु अब कमोडिटी कीमतें घटने से दूसरी छमाही में लाभ मार्जिन बढ़ेगा। साथ ही डोमेस्टिक डिमांड में तेजी आने से भी रिजल्ट बेहतर आएंगे। इकनॉमी में तेज ग्रोथ के कारण कार्पोरेट इंडिया में कैपेक्स (Capex) यानी नया निवेश बढ़ रहा है। सरकार के आर्थिक सुधार सही दिशा में हैं। बजट में ज्यादा फेरबदल की संभावना नहीं है। हमारा मानना है कि अब सेंसेक्स के 59,500 अंक से नीचे जाने की आशंका नहीं है और तेजी का दौर जारी रहेगा। संभव है मार्च तक सेंसेक्स 70,000 अंक की ऊंचाई पर पहुंच जाए। सेक्टर की बात करें तो बैंकिंग, आईटी, ऑटोमोबाइल, ऑटो उपकरण, रियल्टी, सीमेंट, पाइप, टाइल्स और टेक्सटाइल सेक्टर के शेयरों में तेजी के आसार अधिक हैं। तेजी के इस दौर में रिटेल इन्वेस्टर को यह ध्यान रखना चाहिए कि वह अफवाह या टिप्स के चक्कर में पड़कर कम भाव वाली सटोरिया टाइप छोटी कंपनियों के शेयरों में निवेश ना करे। सोच-समझकर और एक्सपर्ट से सलाह लेकर अच्छे ट्रैक रिकॉर्ड वाली ग्रोइंग कंपनियों में ही लॉन्ग टर्म व्यू (Long-Term View) के साथ निवेश करे। तभी निवेश पर अच्छे फायदे की संभावना अधिक होगी।  

निचले स्तरों से किसमें कितना उछाल            

इंडेक्स   17 जून 28 नवंबर तेजी
सेंसेक्स 50,921  62,505 अंक   +23% 
निफ्टी  15,193 18,563 अंक  +22% 
मिडकैप  20,814   25,780 अंक  +24% 
स्मालकैप 23,261   29,427 अंक  +27% 

 

तिमाही नतीजों पर निर्भर होगी तेजी : श्रीकांत चौहान

कोटक सिक्युरिटीज लिमिटेड (Kotak Securities Ltd.) के रिसर्च हेड श्रीकांत चौहान (Shrikant Chouhan) का कहना है कि अनुमान के मुताबिक मार्केट नई ऊंचाई पर पहुंच गया है। अब हर निवेशक के मन में यही सवाल है कि आगे का आउटलुक क्या है? डोमेस्टिक और इंटरनेशनल स्तर पर जो हालात बदले हैं और बहुत से फैक्टर पॉजिटिव बन गए हैं, मसलन अमेरिका में महंगाई दर में गिरावट, डॉलर इंडेक्स (Dollar Index Index) और बॉन्ड यील्ड (Bond Yield) में नरमी का रूख तथा एफआईआई (FII) का भारत के प्रति पॉजिटिव होना। लेकिन मार्केट में लंबी तेजी तभी चलती है, जब कंपनियों की अर्निंग (Profit) अच्छी हो। अर्निंग की बात करें तो दूसरी तिमाही में कार्पोरेट इंडिया (Corporate India) के रिजल्ट्स (Results) में कोई खास उत्साह वाली बात तो नहीं थी, किंतु कोई निराशा की बात भी नहीं थी। वैल्यूएशन के नजरिए से देखे तो वित्त वर्ष 2023 की अनुमानित ईपीएस (EPS) 815 रुपए के आधार पर निफ्टी 22.5 के पीई (PE Ratio) पर पहुंच गया है, जो थोड़ा महंगा मूल्यांकन है। इसलिए अब निवेशकों को तीसरी तिमाही के नतीजों का इंतजार है और तेजी काफी हद तक तिमाही नतीजों पर निर्भर करेगी। यदि नतीजे अच्छे आते हैं। साथ ही क्रूड ऑयल 80 डॉलर के नीचे आता है और डॉलर इंडेक्स भी घटता है तो तो तेजी लंबी खिंचेगी। फिलहाल इस स्तर पर निवेशकों को थोड़ा सतर्क रहकर लॉन्ग टर्म व्यू के साथ निवेश करना चाहिए। यदि माइक्रो फैक्टर कुछ निगेटिव होते हैं तो निफ्टी 17,500 अंक (सेंसेक्स 59,500) तक गिर सकता है और यदि और पॉजिटिव होते हैं तो निफ्टी 19,300 अंक (सेंसेक्स 65,000 अंक) तक जा सकता है।     

टॉप पिक : रिलायंस इंडस्ट्रीज, स्टेट बैक, हिंदुस्तान यूनीलीवर, सन फार्मा, इंफोसिस, हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स, भारत इलेक्ट्रोनिक्स।