सोने में तेजी का नया दौर शुरू, 160% का शानदार रिटर्न दिया गोल्ड ने 11 वर्षों में

  • 50% ही रिटर्न दिया सिल्वर ने 11 वर्षों में

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मुंबई: जब-जब दुनिया के बड़े देशों में तनाव पैदा होता है और वैश्विक अर्थव्यवस्था (World Economy) में जोखिम बढ़ता है तो कीमती धातु सोने (Gold) की चमक बढ़ जाती है। यानी सोने की कीमतों (Gold Price) में तेजी का नया दौर शुरू होता है। वर्तमान में भी यही स्थिति है। रूस-यूक्रेन युद्ध (Russia-Ukraine War)  छिड़ने और वैश्विक अर्थव्यवस्था में जोखिम बढ़ने के साथ ही इस कीमती पीली धातु में तेजी ने जोर पकड़ लिया है। विगत एक माह में सोने की कीमतों में 12% का उछाल आ चुका है और कीमतें अब नई ऊंचाई की तरफ अग्रसर हो रही हैं। लंदन में सोना करीब 185 डॉलर यानी 10% बढ़कर 1973 डॉलर प्रति औंस हो गया है। जबकि मुंबई में 5,550 रुपए यानी 12% बढ़कर 53,800 रुपए प्रति दस ग्राम हो गया है। भारत में कीमत 2% ज्यादा बढ़ने का कारण अमेरिकी डॉलर (US Dollar) के मुकाबले रुपया (Rupee) 2% कमजोर होना है। भारतीय मुद्रा के कमजोर होने से सोने की आयात (Import) लागत भी बढ़ रही है।

विशेषज्ञों का कहना है कि वैश्विक स्तर पर अब जिस तरह के हालात बने हैं, उसे देखते हुए इस साल सोने की कीमतें नई ऊंचाई पर पहुंचने की पूरी संभावना है। वैश्विक बाजार में अब तक का सर्वोच्च स्तर 2063 डॉलर है, जो 8 अगस्त 2020 को बना था। उस दिन मुंबई में सोना 57,400 रुपए की रिकॉर्ड ऊंचाई पर बिका था। अब इस साल 60,000 से 65,000 रुपए पहुंचने की संभावना जताई जा रही है। सोने के साथ चांदी (Silver) भी 75 से 80 हजार रुपए प्रति किलो पहुंचने का अनुमान है, जो अभी 69,200 रुपए है।

चांदी से ज्यादा सोने में कमाई

सोने के साथ हमेशा दूसरी कीमती धातु चांदी में भी तेजी-मंदी साथ में आती है, लेकिन चांदी से ज्यादा रिटर्न (Return) सोने ने दिया है। किसी साल इसका रिटर्न कम हो सकता है, जैसे 2021 में 5% का निगेटिव रिटर्न रहा। परंतु सोने ने लॉन्ग टर्म में हमेशा बढ़िया रिटर्न दिया है। पिछले 11 साल के आंकड़े देखे तो सोने ने जहां 160% का शानदार रिटर्न दिया है, वहीं चांदी में सिर्फ 53% ही रिटर्न मिला है। विगत 11 वर्षों में सोना 20,600 रुपए से ढ़ाई गुना से अधिक बढ़कर 53,800 रुपए तक पहुंच गया है। जबकि 11 साल पहले चांदी 45,200 रुपए प्रति किलो थी, जो अब 69,200 रुपए प्रति किलो है।    

बड़े केंद्रीय बैंकों में जमा करने की होड़

सोने में आगे भी लंबी तेजी का जो अनुमान व्यक्त किया जा रहा है। उसकी एक सबसे बड़ी वजह यह है कि निवेश और उपभोक्ता मांग के अलावा दुनिया के कई बड़े देशों द्वारा सोने की लगातार खरीद करना है। इसमें सबसे आगे रूस, चाइना, और भारत हैं। इन तीनों बड़े देशों के केंद्रीय बैंक (Central Banks) अपने फोरेक्स रिजर्व में अमेरिकी डॉलर कम कर सोने का भंडार बढ़ा रहे हैं। रूस और चाइना तो सबसे ज्यादा गोल्ड की खरीद कर रहे हैं। एक दशक में रूस ने अपने रिजर्व में करीब 155% की भारी वृद्धि की है। 10 साल पहले रूसी केंद्रीय बैंक के पास 940 टन सोना था, जो 2021 में बढ़कर 2400 टन हो गया। इसी तरह चाइना के केंद्रीय बैंक के पास 10 साल पहले 1,000 टन सोना था, जो अब बढ़कर 1948 टन से अधिक हो गया है। कहा जाता है कि चाइना दुनिया को अपने सही आंकड़े नहीं बताता है। उसके पास इससे भी ज्यादा गोल्ड है। चाइना के पास गोल्ड माइन्स भी काफी है। वह डॉलर पर निर्भरता कम कर अपनी करेंसी (युआन) में वैश्विक व्यापार करने की कोशिश में है। इसलिए आगे सोने में मंदी की कोई संभावना नहीं दिख रही है, बल्कि तेजी के ही आसार अधिक हैं।     

शॉर्ट टर्म में युद्ध के कारण सोने की कीमतों में भारी उतार-चढ़ाव संभव है, जैसा कि पिछले एक सप्ताह में देखा गया। लंदन में सोना 1885 डॉलर से उछलकर 1974 डॉलर का स्तर छूने के बाद नीचे में 1925 डॉलर आया और फिर 1973 डॉलर पहुंच गया, लेकिन लॉन्ग टर्म में सोने का आउटलुक ‘बुलिश’ (Bullish) है। रूस-अमेरिका के बीच बढ़ता तनाव बड़ी चिंता का कारण बन सकता है। रूस पर जो आर्थिक प्रतिबंध लगाए जा रहे हैं, उनकी वजह से विश्व स्तर पर इकोनॉमी में मंदी की आशंका भी पैदा होगी। इन हालात में सोने में निवेश और बढ़ेगा। बड़े देशों में करेंसी वॉर के चलते केंद्रीय बैंक भी सोने की खरीद बढ़ाएंगे। गोल्ड ज्वैलरी मांग (Gold Jewellery Demand) की तो लगातार बढ़ ही रही है। मेरा मानना है कि इस साल सोना 60,000 रुपए प्रति दस ग्राम तो पहुंचने की पूरी संभावना है और आगामी 3-4 वर्षों में 1 करोड़ रुपए किलो अर्थात 1 लाख रुपए प्रति दस ग्राम तक भी पहुंच जाए तो आश्चर्य नहीं होना चाहिए, जो अभी 51 लाख रुपए किलो है। इसलिए सोने में हर गिरावट में निवेश करना फायदेमंद होगा।

-सौरभ गाडगिल, निदेशक, इंडिया बुलियन एंड ज्वैलर्स एसोसिएशन

सोना एक ऐसा इन्वेस्टमेंट (Investment) है, जिसने लॉन्ग टर्म में हमेशा अच्छा रिटर्न देने के साथ वेल्थ (Wealth) क्रिएट की है। इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि दुनिया में सोना ही एक ऐसी चीज है। जिसकी संकटपूर्ण समय और आर्थिक मंदी में वैल्यू (Value) बढती है तथा जरूरत पड़ने पर पूरी वैल्यू तुरंत मिलती भी है। सोने के बाद प्रॉपर्टी सबसे सुरक्षित इन्वेस्टमेंट माना जाता है, लेकिन मंदी में उसकी भी पूरी वैल्यू तुरंत मिलना मुश्किल होता है। इसी कारण भारतीयों का तो सोने के प्रति सदियों से लगाव है। अब रूस-यूक्रेन युद्ध ने वैश्विक अर्थव्यवस्था में जोखिम बढ़ा दिया है। इस युद्ध में अमेरिका की जैसी भूमिका रही है, उसके कारण आगे चीन और ताइवान के बीच भी तनाव बढ़ने की आशंका रहेगी। उस स्थिति में सोने में फिर तेजी आएगी। इसके अलावा पिछले एक दशक में जिस तरह से बड़े केंद्रीय बैंक सोने की लगातार खरीद कर रहे हैं, उसके कारण सोना एक तरह से इंटरनेशल करेंसी बन गया है। कुल मिलाकर सोने में तेजी का दौर जारी रहेगा और अब सोना 50 से 60 हजार रुपए की नई रेंज में आ जाएगा, जो पहले 47 से 55 हजार रुपए की रेंज में था। यदि ‍‍‍विश्व स्तर पर हालात बिगड़ते हैं तो अगले एक-दो साल में यह 65 हजार रुपए भी पहुंच सकता है। इसलिए हर निवेशक को अपने पोर्टफोलियो का कम से कम 20% निवेश सोने में अवश्य करना चाहिए।

-संजय शाह, अध्यक्ष, ज्वैलमेकर्स वेलफेयर एसोसिएशन