Ashutosh Bhargava

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    मुंबई: जापान की प्रमुख बीमा और वित्त कंपनी निपोन लाइफ इंश्योरेंस द्वारा प्रमोट निपोन इंडिया म्यूचुअल फंड (Nippon India Mutual Fund) 2.80 लाख करोड़ रुपए यानी 2.80 ट्रिलियन रुपए के प्रबंधन कोष (AUM) के साथ भारत का एक अग्रणी साझा कोष है, जिसके पास देश में सबसे अधिक 1.82 करोड़ से अधिक निवेशक खाते (Investor Folio) हैं। निवेशकों को बेहतर प्रतिफल प्रदान करते हुए निपोन इंडिया ने वित्त वर्ष 2022 में ही 70 लाख से अधिक निवेशक खाते खोल बड़ी उपलब्धि हासिल की है।

    विगत 26 वर्षों में निपोन इंडिया ने लाखों निवेशकों की वेल्थ (Wealth) बनाई है। म्यूचुअल फंड की सफल निवेश रणनीति, मार्केट आउटलुक, निवेश अवसरों के संबंध में निपोन इंडिया के रिसर्च हैड (इक्विटी) एवं फंड मैनेजर आशुतोष भार्गव (Ashutosh Bhargava) से वाणिज्य संपादक विष्णु भारद्वाज की विस्तृत चर्चा हुई। आशुतोष भार्गव देश के एक अति सफल फंड मैनेजर माने जाते हैं। जिनके नेतृत्व में निपोन इंडिया की कई स्कीमों ने विगत वर्षों में शानदार रिटर्न प्रदान किया है। पेश हैं चर्चा के मुख्य अंश:-  

    निवेशकों को अच्छा रिटर्न प्रदान करने के लिए निपोन इंडिया म्यूचुअल फंड किस तरह की निवेश रणनीति अपना रहा है?

    • ऐसा है कि इंडस्ट्री में फंड मैनेजर आमतौर पर 2 तरह की स्टाइल अपनाते हैं। पहली स्टाइल में वैल्यू यानी सही वैल्यूएशन को प्रमुखता दी जाती है और उसमें बेस्ट स्टॉक ढ़ूंढ़ा जाता हैं। दूसरी में, हाई ग्रोथ वाले स्टॉक का चयन किया जाता है। इसमें वैल्यूएशन को प्राथमिकता नहीं दी जाती है। लेकिन निपोन इंडिया में हम ग्रोथ एंड वैल्यू, दोनों पर तवज्जो देते हैं। इसलिए हम ‘ग्रोथ एट रिजनेबल प्राइस’ (GARP) की अलग नीति अपनाते हैं। जिसके अंतर्गत हाई ग्रोथ (High Growth) वाली कंपनियों का सलेक्शन कर उनकी सही वैल्यूएशन (Right Valuation) भी देखते हैं, ताकि जोखिम कम रहे। साथ ही हमारा रिसर्च (Research) पर बहुत ही ज्यादा फोकस है। इंडस्ट्री में संभवत: निपोन इंडिया एकमात्र ऐसा फंड हाउस है, जो 500 से ज्यादा कंपनियों को कवर करता है। हमारे पास एक दर्जन से अधिक विशेषज्ञों की बड़ी रिसर्च टीम है। यही कारण है कि विगत 3-4 वर्षों में हमारी तमाम स्कीमों ने व्यापक रूप से काफी अच्छा प्रदर्शन किया है और रैंकिंग लगातार बढ़ती जा रही है।

    मौजूदा चुनौतीपूर्ण वैश्विक हालात में भारतीय अर्थव्यवस्था के प्रति आपका क्या नजरिया है?

    • हमारा मानना है कि तमाम चुनौतियों के बावजूद इंडियन इकोनॉमी (Indian Economy) काफी बेहतर स्थिति में है। अन्य बड़े देशों के मुकाबले बहुत मजबूत है। सबसे ज्यादा ग्रोथ इंडिया में ही हो रही है। स्टॉक मार्केट या रूपया, सभी मजबूत स्थिति में हैं। यूरोप, चाइना, अमेरिका, सभी की ग्रोथ डाउनग्रेड हो रही है, लेकिन भारत में ऐसा नहीं है। 7% से अधिक ग्रोथ है। जहां तक कमोडिटी कीमतों (Commodities Prices) की बात है, हमें लगता है कि इनमें एक बार तेजी खत्म हो चुकी है और आगे महंगाई (Inflation) में कमी आने की उम्मीद है।

    निकट भविष्य में कौनसे सेक्टर्स में निवेश अवसर दिखाई दे रहे हैं?

    • देखिए, हमारा मानना है कि फिलहाल प्रतिकूल वैश्विक हालात में निर्यात आधारित सेक्टर ज्यादा परफॉर्म नहीं करेंगे। चूंकि डोमेस्टिक डिमांड अच्छी बनी हुई है। लिहाजा घरेलू खपत वाले सेक्टर्स में ही ग्रोथ अधिक दिखेगी। इसलिए हमारा बैंकिंग, कैपिटल गुडस, ऑटो, रियल इस्टेट और इससे संबंधित एंसिलरी इंडस्ट्रीज पर ज्यादा फोकस है। बैंकिंग में क्रेडिट ग्रोथ, एसेट क्वालिटी और मार्जिन, तीनों में अच्छा सुधार हो रहा है और वैल्यूएशन भी आकर्षक है। 

    इस माह आई बढ़त के बाद मार्केट आउटलुक क्या लग रहा है?

    • हमारा मानना है कि अभी भी वैश्विक हालात चुनौतीपूर्ण है। इसलिए फिलहाल मार्केट एक सीमित दायरे में ही रहेगा। मार्केट का वैल्यूएशन थोड़े से अधिक हैं। वैसे विगत महीनों के दौरान आई बड़ी गिरावट के बाद अब ज्यादा गिरावट की आशंका तो नहीं दिख रही है। जो ग्लोबल माहौल है, उसके कारण उतार-चढ़ाव आते रहेगे। बहुत ज्यादा रिटर्न की उम्मीद नहीं है, लेकिन अगले एक साल में बैलेंस रिटर्न की अपेक्षा अवश्य की जा सकती है।  

    पीएलआई स्कीम के जरिए सरकार देश का निर्यात बढ़ाने का प्रयास कर रही है। भारत कब तक निर्यात सरप्लस देश बन सकता है?

    • सरकार का विजन सही दिशा में है। पीएलआई स्कीम (PLI Scheme) का आगामी वर्षों में अवश्य अच्छा असर होगा, लेकिन जैसा कि मैंने पहले कहा, वर्तमान में ग्लोबल डिमांड कमजोर है। इसलिए निर्यात (Export) बढ़ाने में समय लग सकता है।

    म्यूचुअल फंड और इंश्योरेंस कंपनियों के इक्विटी निवेश में मूल अंतर क्या है?

    • देखिए, मुख्य अंतर तो यही है कि म्यूचुअल फंड (Mutual Fund) में विशुद्ध रूप से निवेश पर ही फोकस किया जाता है। म्यूचुअल फंड लॉन्ग टर्म वेल्थ क्रिएशन का लक्ष्य रखते हैं, जबकि इंश्योरेंस (Life Insurance) में निवेश एक पार्ट है, उसमें रिस्क कवर करने पर मुख्य रूप से ध्यान दिया जाता है। वैसे तो दोनों ही रिटर्न बनाने की कोशिश करते हैं, लेकिन म्यूचुअल फंड का पूरा जोर रिटर्न पर ही रहता है।