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  • दो महीनों में आया 18% से अधिक का उछाल

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मुंबई: कमोडिटी कीमतों में तेजी का तूफान शांत होने और मजबूत होती भारतीय अर्थव्यवस्था के कारण शेयर बाजार (Stock Market) में फिर रौनक लौट आई है और विगत दो महीनों के दौरान जोरदार तेजी आई है। ब्याज दरों में आधा फीसदी की वृद्धि किए जाने के बावजूद जहां सेंसेक्स (Sensex) और निफ्टी (Nifty) में 18% से ज्यादा का उछाल आया है, वहीं मिडकैप (MidCap) और स्मालकैप (SmallCap) में 22% की जबरदस्त तेजी दर्ज हुई है। यह भारतीय शेयर बाजार में पिछले 20 महीनों की सबसे बड़ी तेजी है। इससे पहले अक्टूबर-दिसंबर 2020 के दौरान सेंसेक्स और मिडकैप में 29% का बड़ा उछाल दर्ज हुआ था। इससे स्पष्ट संकेत मिलता है कि बाजार पर मंदड़ियों (Bears) की पकड़ कमजोर हो गयी है और तेजड़िए (Bulls) फिर हावी हो गए हैं। यानी बाजार फिर तेजी की तरफ अग्रसर हो गया है। 

तेजी के संदर्भ में ‘enavabharat’ का अनुमान एकदम सही साबित हुआ है। जब अनेक देशी-विदेशी फंड हाउस मंदी गहराने की आशंका जता रहे थे। तब ‘enavabharat’ ने 20 जून 2022 को प्रकाशित अपने विश्लेषण ‘मंदी खत्म होने के संकेत’ और फिर 25 जुलाई को प्रकाशित विश्लेषण ‘मंदी के बादल छंटे, तेजी का आगाज’ में तेजी का अनुमान व्यक्त किया था। 20 जून से लेकर अब तक दो महीनों में सेंसेक्स में 9051 अंक यानी 18% की जोरदार तेजी दर्ज हुई है। सेंसेक्स 5 माह बाद फिर 60,411 अंक के स्तर पर पहुंचा है। हालांकि बीते शुक्रवार को 937 अंकों (1.5%) की गिरावट भी दर्ज हुई है, लेकिन यह 18% से अधिक की बड़ी तेजी के बाद तकनीकी गिरावट यानी मुनाफा वसूली है। संभव है मुनाफा वसूली के कारण 3 से 4% की गिरावट और आए, परंतु तेजी का दौर जारी रहने की पूरी संभावना है, क्योंकि अधिकांश फैक्टर पॉजिटिव हो चुके हैं।

सबसे बड़ा पॉजिटिव फैक्टर ‘इंद्र देव’ की मेहरबानी

भारतीय बाजार की धारणा कितनी मजबूत है, इसका सहज अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि 19 अक्टूबर,21 से लेकर 17 जून,22 तक 9 महीनों में विदेशी संस्थागत निवेशकों (FII) द्वारा 33.3 बिलियन डॉलर की भारी बिकवाली (निकासी) के कारण सेंसेक्स-निफ्टी में 18% की गिरावट आई। इसके विपरीत 18 जून 22 से 19 अगस्त 22 तक सिर्फ 2 महीनों में विदेशी संस्थागत निवेशकों द्वारा मात्र 3.5 बिलियन डॉलर की लिवाली (निवेश) से ही सेंसेक्स में 18.6% का उछाल आ गया। साथ ही बीएसई का मार्केट कैप (BSE Market Cap) तो 280.52 ट्रिलियन रुपए के अब तक के सबसे ऊंचे स्तर पर पहुंच गया है। इससे पहले 17 जनवरी 2022 को बीएसई की सूचीबद्ध कंपनियों का मार्केट कैप (बाजार पूंजीकरण) 280.02 ट्रिलियन रुपए तक पहुंचा था। भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए सबसे बड़ा पॉजिटिव फैक्टर देश पर ‘इंद्र देव’ की मेहरबानी है। कुछ उत्तरी-पूर्वी राज्यों को छोड़ देश के अन्य सभी राज्यों में इस साल जबरदस्त बारिश हुई है और मानसून अभी सक्रिय है। अच्छा मानसून देश की आर्थिक विकास गति और तेज करेगा, यही कारण है कि विदेशी निवेशक फिर भारत के प्रति ‘बुलिश’ यानी आकर्षित हो गए हैं।

बड़ी तेजी के बाद हेल्दी करेक्शन संभव : आलोक रंजन

आईडीबीआई म्यूचुअल फंड (IDBI Mutual Fund) के चीफ इन्वेस्टमेंट ऑफिसर आलोक रंजन (Alok Ranjan) का कहना है कि निवेशकों की सबसे बड़ी चिंता क्रूड ऑयल की तेजी को लेकर थी, जो 124 डॉलर की ऊंचाई से घटकर अब 95 डॉलर प्रति बैरल पर आ गया है। अन्य कमोडिटीज की कीमतें भी विश्व स्तर पर 30 से 40% नीचे आ गयी हैं। यानी महंगाई कम होने लगी है। तभी भारतीय रिजर्व बैंक और अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा इस माह ब्याज दरें 50 से 75 बेसिस पॉइंट बढ़ाए जाने के बावजूद बाजार में तेजी का माहौल कायम रहा, लेकिन अभी भी कुछ चिंताएं कायम है। मसलन अमेरिका-यूरोप में महंगाई दर अभी भी लक्ष्य से काफी अधिक होना, रूस-यूक्रेन युद्ध जारी रहना, यूपी-बिहार जैसे बड़े राज्यों में कम बारिश से खरीफ पैदावार कम होने की आशंका। इन सभी चिंताओं के बावजूद भी भारत की जीडीपी ग्रोथ मजबूत बने रहने की संभावना है। जिससे बाजार के नई ऊंचाइयों पर जाने के आसार बनेंगे। इसलिए मीडियम टू लॉन्ग टर्म में भारतीय बाजार अन्य बाजारों की तुलना में बेहतर प्रदर्शन करेगा, ऐसी संभावना है। शॉर्ट टर्म की बात करें तो चूंकि विगत 2 महीनों में सेंसेक्स-निफ्टी में एक तरफा 18% की बड़ी तेजी आई है। लिहाजा अब 4 से 6% हेल्दी करेक्शन (तकनीकी गिरावट) आ सकती है, जो तेजी के लंबे दौर के लिए जरूरी भी है और यह गिरावट उन निवेशकों के लिए एंट्री का अवसर प्रदान कर सकती है, जो इस तेजी में शामिल नहीं हो पाए।