Patriarchy not a male-female thing, says ''Kaali Khuhi'' director Terrie Samundra

एक निर्देशक के रुप में ‘काली खुही' समुंद्रा की पहली फिल्म है।

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नयी दिल्ली. फिल्म ‘काली खुही’ (Kaali Khuh)की निर्देशक टेरी समु्ंद्रा (Terrie Samundra) का मानना है कि पितृसत्ता किसी भी स्त्री और पुरुष के बारे में नहीं है लेकिन समाज में इसकी जड़ें बेहद गहरी हैं और यह महिलाओं-पुरुषों दोनों को बुरी प्रभावित करती है। एक निर्देशक के रुप में ‘काली खुही’ समुंद्रा की पहली फिल्म है।

इस हॉरर फिल्म की कहानी कन्या भ्रूणहत्या जैसी कुप्रथा के बारे में हैं जो भारत के कुछ हिस्सों में अब भी एक बड़ी समस्या बनी हुई है। लॉस एंजिल्स की रहने वाली फिल्म निर्माता ने कहा कि महिलाओं को पितृसत्तात्मक समाज में देवी के रूप में पूज कर उनके समानता के अधिकार को तर्कहीन कर दिया जाता है तो वहीं पुरुषों को अपनी कमजोरियां व्यक्त करने से रोककर उनके विकास को बाधित कर दिया जाता है।

उन्होंने कहा, ‘‘महिलाओं को देवी मानकर उनकी मूर्तियां पूजी जाती हैं लेकिन यह सच्ची समानता नहीं है क्योंकि इससे लोगों की असली समस्याओं और जटिलताओं को नकार दिया जाता है। यह अच्छे बनाम बुरे के बारे में नहीं है। महिलाएं भी बुरी हो सकती हैं, उन्हें उनके अनुसार जीने की अनुमति दी जानी चाहिए। पितृसत्ता किसी पुरुष या महिला के बारे में नहीं है बल्कि यह तो सदियों से चली आ रही एक जड़ सोच है जो हर किसी को प्रभावित करती है।”

समुंद्रा ने पीटीआई-भाषा को एक ऑनलाइन साक्षात्कार में बताया,‘‘यदि आप एक युवा लड़के हैं जिसे खुद को और अपनी कोमलता, भावनाएं और कमजोरियां व्यक्त करने की अनुमति नहीं है, तो कल्पना करें कि बड़े होने पर इसका आप पर क्या प्रभाव पड़ेगा। आपके पास दूसरों से बात करने, उन्हें समझने और रिश्ते बनाने की समझ नहीं होगी।” नेटफ्लिक्स पर 30 अक्टूबर को रिलीज हो रही फिल्म ‘काली खुही’ की कहानी 10 वर्षीय लड़की शिवांगी(रिवा अरोड़ा) के इर्द गिर्द घूमती है।