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शनिवार को ‘इंडियन फिल्म प्रोजेक्ट' में हो रही एक परिचर्चा में, गुप्ता और तिवारी ने बताया कि कैसे उन्होंने अभिनय के क्षेत्र में आने के लिए माता-पिता को मनाया।

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मुंबई. अभिनेत्री सयानी गुप्ता (Sayani Gupta) और अभिनेता अविनाश तिवारी (Avinash Tiwary) का मानना है कि पिछले कुछ महीनों में फिल्म उद्योग की जो आलोचना हुई है, उससे नये कलाकारों के लिये फिल्मों में करियर बनाने को लेकर अपने परिवार को राजी करना और मुश्किल हो गया है। जून में अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मौत के बाद से ही बॉलीवुड में बाहरी लोगों के साथ दुर्व्यवहार और फिल्म उद्योग में संभवत: मौजूद कथित ड्रग संस्कृति को लेकर काफी आलोचना हुई है।

यही नहीं सोशल मीडिया पर भी फिल्म जगत की कार्यप्रणाली को लेकर कई आरोप लगाए गए हैं । शनिवार को ‘इंडियन फिल्म प्रोजेक्ट’ में हो रही एक परिचर्चा में, गुप्ता और तिवारी ने बताया कि कैसे उन्होंने अभिनय के क्षेत्र में आने के लिए माता-पिता को मनाया। लेकिन आज लोगों के मन में बॉलीवुड को लेकर जो धारणा बन गई है ,उससे अब नए कलाकारों को वह करने में काफी मुश्किलें आएंगी। वर्ष 2018 की फिल्म ‘लैला मजनूं’ से शोहरत पाने वाले तिवारी ने कहा कि अब बॉलीवुड को लोग संदेह भरी निगाहों से देखते हैं।

उन्होंने कहा, “मैं बिहार के एक परंपरागत परिवार से आता हूं। अब भी वहां हिंदी फिल्म उद्योग की छवि बहुत अच्छी नहीं है। ऐसा नहीं है कि लोगों को पता नहीं है कि एसी चीजें होती हैं बल्कि सभी को लगता कि यही बॉलीवुड है।” अभिनेता ने कहा कि पिछले कुछ महीनों में फिल्म जगत के बारे में जो नकारात्मक लहर उठी है, उससे इसकी छवि और भी खराब हो गई है।

अमेजन प्राइम पर वेब सीरिज ‘फोर मोर शॉट्स’ में नजर आने वाली सयानी गुप्ता ने कहा कि पिछले चार महीनों में जो भी हुआ, वह फिल्म उद्योग के लिए काफी दुर्भाग्यपूर्ण था। अभिनेत्री ने कहा कि वर्तमान पीढ़ी को अपने माता-पिता को यह साबित करने के लिए बहुत संघर्ष करना पड़ेगा कि एक कलाकार के रूप में भी वह एक सम्मानजनक जीवन और सही करियर पार सकते हैं।

वहीं ‘दम लगा के हइशा’ जैसी फिल्म से बॉलीवुड में पदार्पण करने वाली अभिनेत्री भूमि पेडनेकर ने कहा कि उनके लिए भी अभिनय करने के अपने सपने को लेकर अपने परिवार को सामने खुलना आसान नहीं था, वो भी एसे परिवार में जहां किसी का फिल्मों से कोई संबंध नहीं रहा हो।

पेडनेकर ने कहा, “मुझे समझ नहीं आ रहा था कि मैं अपने माता-पिता को कैसे समझाऊं कि मैं एक अभिनेत्री बनना चाहती हूं। भले ही मेरे दादाजी रंगमंच कलाकार थे, फिर भी मेरे परिवार में हिंदी फिल्मों में अभिनेत्री बनना अच्छा नहीं माना जाता था। उन्होंने कहा, “मुझे नहीं लगता कि लोगों को इस पेशे की सुंदरता का अंदाजा भी है। मैं अपने परिवार को दोष नहीं दे सकती। मैं वकीलों, इंजीनियरों, डॉक्टरों के परिवार से आती हूं। उनके लिए मेरा अभिनय करना बहुत अजीब सी चीज थी।”