Notice to Minister Vijay Vadettivar in passport application case

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चंद्रपुर.  जिले के कोरोना संक्रमण के प्रादुर्भाव को ध्यान में लेते हुए स्वैब नमुनों की जांच जिले में ही होने के उद्देश से सहायता व पुनर्वास तथा जिले के पालकमंत्री विजय वडेट्टीवार की अगुवाई में चंद्रपुर जिले में शासकीय वैद्यकीय महाविद्यालय में 2 करोड 18 लाख की प्रयोगशाला को शुरूवात हुई है. 

जिलाधिश डा. कुणाल खेमनार के नेतृत्व में प्रयोगशाला में (वायरल रिसर्च एन्ड डायग्नोस्टिक लेबोरेटरी) शासकीय वैद्यकीय महाविद्यालय के अधिष्ठाता डा.एस.एस.मोरे के मार्गदर्शन में नोडल अधिकारी डा. राजेंद्र सुरपाम तथा प्रशिक्षित वर्ग कार्य कर रहा है. जिसमें एक सहाय्यक प्राध्यापक, दो व्याख्याता, 18 तंत्रज्ञ, 3 ट्युटर, दो कर्मचारी, दो डाटा एंट्री ऑपरेटर दिनरात कार्य कर रहे है. 

प्रयोगशाला में 14 तरह की यंत्रसामुग्री लगायी गयी है. इसमे सबसे महत्वपुर्ण आरटी-पीसीआर (रिव्हेर्स ट्रान्सक्रप्शिन-पॉलिमरेज चेन रिएक्शन) यह मशीन है. इस मशीन अंतर्गत स्वैब नुमनों की जांच की जाती है. कुछ यंत्रसाहत्यि सींगापुर से मंगाए गए है. तथा जांच के लिए लगनेवाली किट भोपाल से मंगाए गए है. आईसीएमआर (इंडियन कौन्सिल ऑफ मेडिकल रिसर्च) की अनुमती लेकर यह यंत्रसाहत्यि लगाए गए है. अनुमती के पश्चात ही मशीन के प्रमाणीकरण के लिए एआयआयएमएस नागपुर(ऑल इंडिया इन्स्टट्यिूट ऑफ मेडिकल सायन्स नागपुर) के अंतर्गत स्वैब नमुनों की जांच की जाती है. 

फिलहाल इस प्रयोगशाला में 1 दिन में 150 से 160 स्वैब नमुनों की जांच की जाती है.  तत्पश्चात इसकी क्षमता बढाकर 250 तक की जायेगी. एक साथ 100 स्वैब नमुनों की जांच की जाती है. स्वैब नमुनों रिपोट आने के लिए 6 घंटे लगते है. प्रयोगशाला के माध्यम से 3 जुन से आजतक 1 हजार 250 स्वैब नमुनों की जांच की गयी. 

प्रयोगशाला में 3 विभाग में काम चल रहा है. पहले विभाग में सुरक्षा के लिए फायर सेफ्टी, दुसरे विभाग में मशिनरी कैसे इस्तेमाल की जाती है इसपर मार्गदर्शन तो तिसरे विभाग में पीपीई किट का उपयोग कर स्वैब नमुनों की जांच की जाती है. विभाग अंतर्गत पहले ही 10 दिनो के लिए लगनेवाले साहत्यिों की व्यवस्था की जाती है. रिपोर्ट आने के पश्चात हररोज आईसीएमआर( इंडियन कौन्सिल ऑफ मेडिकल रिसर्च), डिएमईआर को भेजा जाता है. 

प्रयोगशाला में सुरक्षा व स्वच्छता पर विशेष भर दिया जा रहा है. स्वैब नमुनों की जांच के लिए पीपीई किट का उपयोग किया जाता है. जांच के पश्चात  पीपीई किट को नष्ट किया जाता है. संपुर्ण प्रयोगशाला को सैनीटायइज करना, स्वच्छ करना आदि प्रमुखता से कीया जाता है. सुरक्षीतता के लिए सीसीटीव्ही कैमेरे के माध्यम से नजर रखी जा रही है. 

स्वैब नमुनो की जांच व प्रयोगशाला में नमुने लिए जाते है. कुछ स्वैब के नमुने तहसील में निर्माण किए गए कोवीड सेंटर में लिए जा रहे है. इस सेंटर में से स्वैब नमुने एकठ्ठा कर प्रयोगशाला में जांच के लिए लाए जा रहे है. 

प्रयोगशाला में अब चंद्रपुर समेत गडचीरोली से स्वैब नमुने जांच के लिए लाए जानेवाले है. जिससे नमुनो का रिपेार्ट जल्द ही मिलने पर सहायता होगी.