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By: पंकज मिश्रा 

भिसी. कुछ छोटे-छोटे 2 या उससे अधिक गांवों को मिलाकर एक ग्राम पंचायत का गठन किया जाता है. गांव की जनसंख्या के आधार पर ग्रापं सदस्यों की संख्या तय होती है. इस ग्रापं के माध्यम से उन गांवों का कामकाज संभाला जाता है. किंतु चिमूर तहसील में एक गांव ऐसा है, जहां का कामकाज 2 ग्राम पंचायतें संभालती है. गांव में एक मात्र सड़क है. इस गांव का नाम है खुर्सापार. 200 से 2500 जनसंख्या वाले इस गांव का प्रशासकीय कामकाज वाहानगांव तथा बोथली 2 ग्राम पंचायतों के अधीन है और यही स्थिति उसके विकास में सबसे बड़ा रोड़ा बनकर सामने आ रही है. गांव अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है. यहां बुनियादी सुविधाओं तक का अभाव है.

2 घर का मेहमान भूखा
एक कहावत है कि 2 घर का मेहमान भूखा रह जाता है. कुछ इसी तरह के हाल खुर्सापार गांव के है. चिमूर-वरोरा राष्ट्रीय राज्यमार्ग नं. 353 ई पर बसे वाहानगांव तथा बोथली दोनों गांव की ग्राम पंचायत के राजस्व क्षेत्र में खुर्सापार गांव शामिल है. गांव में आवागमन करने के लिए एकमात्र गलीनुमा सड़क है. इस सड़क के एक ओर रहने वाले निवासी वाहानगांव ग्राम पंचायत में आते हैं, तो दूसरी ओर रहने वाले बोथली ग्राम पंचायत में शामिल है. चिमूर-वरोरा राष्ट्रीय राज्यमार्ग से 3 किमी अंदर बसे इस गांव को टोली के नाम से भी जाना जाता था. गांव में करीब 40 परिवार रहते हैं.

गांव में करीब 125 मतदाता हैं. गांव में आने के लिए वाहाणगांव तथा बोथली से पक्की सड़क बनी है. किंतु गांव में आज भी नाली, स्ट्रीट लाइट, पीने के पानी की सुविधाएं नहीं हैं. 2 ग्राम पंचायतों से मिलने वाली विकास निधि से खुरसापार ग्राम का विकास दुगुना होना चाहिए था, लेकिन वास्तविकता इसके उलट है. जो भी विकास निधि यहां दी जाती है, वह 2 ग्राम पंचायतों के सीमावाद की वजह से वापस चली जाती है. गांव में मतदाता भी कम होने के कारण जनप्रतिनिधियों को यहां की समस्याओं से कोई वास्ता नजर नहीं आता.

सरकारी स्कूल के 2 भवन
गांव में जिला परिषद की स्कूल है. यहां पर पहली से चौथी तक कक्षाएं हैं. बोथली तथा वाहाणगांव ग्राम पंचायत की ओर से यहां पर जिला परिषद स्कूल के 2 अलग-अलग भवन बनाए गए हैं. बोथली ग्राम पंचायत द्वारा बनाई गई स्कूल की इमारत खस्ताहाल हो गई है. यहां के विद्यार्थी फिलहाल वाहाणगांव ग्राम पंचायत द्वारा बनाए गए स्कूल भवन में पढ़ते हैं. खुरसापार गांव का विकास भले ही 2 ग्राम पंचायतों के सीमावाद में फंसा हो, लेकिन गांव में रहने वाले सभी जाति, धर्म के लोग हर उत्सव, त्यौहार मिलजुलकर मनाते हैं.

सड़क है, लेकिन वाहन नहीं
कक्षा 5वीं से आगे की पढ़ाई करने के लिए बच्चों को बोथली तथा अन्य स्थान पर जाना पड़ता है. नेशनल हाईवे से मात्र 3 किमी अंदर बसे इस गांव से आने-जाने का कोई साधन नहीं है. गांव के बच्चों को पढ़ाई तथा ग्रामीणों को राशन सहित अन्य कार्य के लिए पैदल ही बोथली गांव या फिर हाईवे तक आना पड़ता है. हर छोटे-बड़े काम के लिए गांववालों को पैदल चलना उनके दिनचर्या में शामिल है. खुरसापार के ग्रामीण बंडू बूचे का कहना है कि  2 ग्राम पंचायत, राजकीय अस्थीरता तथा सीमावाद के चलते गांव का विकास नहीं हो रहा है. किसी भी शासकीय योजना का लाभ लेते समय काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. 2 ग्राम पंचायतों से कामकाज चलने वाले खुरसापार गांव को किसी भी एक ग्राम पंचायत में शामिल करने की मांग उन्होंने की.