केंद्र सरकार की श्रमिक विरोधी नीति एवं कोविड 19 में वेकोलि के क्षेत्रीय हास्पिटलों में उचित उपचार न मिलने के गलत रवैये के खिलाफ कोल कर्मियों में अक्रोश फैला है।
- श्रमिक संगठनाओं ने गेट मिटिंग में लिये निर्णय
चंद्रपुर. केंद्र सरकार की श्रमिक विरोधी नीति एवं कोविड 19 में वेकोलि के क्षेत्रीय हास्पिटलों में उचित उपचार न मिलने के गलत रवैये के खिलाफ कोल कर्मियों में अक्रोश फैला है। कोयला खानों में गेट मिटिंग कर 8 अक्टूबर को क्षेत्रीय कार्यालयों के सामने चारों श्रमिक संगठनना ने एक दिवसीय सांकेतिक धरना प्रदर्शन की चेतावनी दी है।
श्रमिक नेताओं का आरोप है कि,कोल इंडिया लिमिटेड हर साल हजारों करोड़ का राजस्व केंद्र सरकार को देता है, ऐसे में निजीकरण करने का सवाल ही नहीं उठता है। निजीकरण के विरोध में श्रमिक संगठन के विरोध प्रदर्शन के कारण फिलहाल बिल पेडिंग है, परंतु कमर्शियल माईनिंग नीति के तहत निजी ठेकेदारों के माध्यम से लगभग 50 प्रतिशत काम कराये जा रहे है।
कोल इंडिया का महज 20 प्रतिशत ओपन मार्केट में बेचने की अनुमति दी, और 80 प्रतिशत कोयला थर्मल पावर स्टेशन को कम रेट में बेचने के निर्देश है। रेट कम कर वेकोलि को नुकसान में दिखाकर निजीकरण का षडयंत्र रचा जा रहा है यह सरकार चुनावी फडिंग करने वाले उद्योगपतियों को लाभ पहुंचाने में तुली है। इसके पूर्व सरकार ने लाभ में चल रहे कई उद्योगों को उद्योगपतियों को बेच दिया है।
श्रमिकों का शोषण रोकने के लिए तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने कोल इंडिया के अलावा कई नामी निजी उद्योगों का राष्ट्रीयकरण किया ,श्रमिक संरक्षण कानून लागू कर संरक्षण दिया। मोदी सरकार के सबका साथ सबका विकास के सिध्दांत पर चुनाव में विजय हासिल किया किंतु अब केंद्र सरकार उधोगपतियों के साथ, श्रमिक, किसानों के साथ विश्वासघात कर चुनिंदा लोगों को लाभ पहुंचा रही है।
इसलिए श्रमिकों से सजग रहकर कडे संघर्ष को तैयार रहने की अपील श्रमिक नेताओं ने गेट मिटिंग के दौरान की। मिटिंग में श्रमिक नेता आर शंकरदास, आर, आर. यादव, विजय कानकाटे, मारोती नन्नावरे, बादल गरगेलवार, दिलीप कनकुलवार, विवेक अल्लेवार अशोक चिवंडे,,जोगेंद्र यादव, विश्वास सालवे, गणेश नाथे, रंगराव कुलसंगे आदि उपस्थित थे।