A ten-fold idol of Goddess Durga, lying neglected for 400 years

नवरात्र में शक्ति की देवी दुर्गा की सभी पूजा और आराधना करते है।

Loading

-सुरेश वर्मा 

  • मूर्ति को इंतजार है किसी ‘राम’ का

चंद्रपुर. नवरात्र में शक्ति की देवी दुर्गा की सभी पूजा और आराधना करते है। दुर्गोत्सव का सभी देशवासियों को इंतजार रहता है। भले इस वर्ष कोरोना संक्रमण के चलते नवरात्रोत्सव सादगी और कुछ नियम शर्तो के आधीन मनाया जा रहा है। इसके बावजूद भाविकों की भक्ति और श्रध्दा में किसी प्रकार की कमी नहीं आई है। किंतु चंद्रपुर के भिवापुर वार्ड में 400 वर्ष पुरानी मां दुर्गा की दसमुखी मूर्ति अपने स्थापना और वैभव की बाट जोह रही है। इस मूर्ति को किसी ‘राम’ का इंतजार है जो उसका उध्दार कर सके।

चंद्रपुर शहर का ऐतिहासिक महत्व सर्वविदित है। यहां पाषण कालीन गुफाओं के अलावा आकर्षक मूर्तिकला वाले मंदिर और बहुत मात्रा में मूर्तिया बिखरी पड़ी है। इन्ही में भिवापुर वार्ड में पुरातन काल की 23 फुट लंबी और 18 फुट चौड़ी विशाल एक शिला से बनी दसमुखी मूर्ति भी है।

गोंड़ राजाओं के विशाल दुर्ग, मंदिर और लोकोपयोगी कृतियों से प्रेरित होकर 16 वीं सदी में चंद्रपुर के नगर सेठ रायप्पा वैश्व ने इस विशाल मूर्ति का निर्माण कार्य आरंभ किया था। वह इस प्रकार अलग अलग देवी देवताओं की मूर्तियां बनाकर एक विशाल मंदिर का निर्माण करना चाहते थे। लेकिन मंदिर तैयार होने के पूर्व ही उनकी मौत हो जाने से मंदिर का निर्माणकार्य अधूरा रह गया और तराशी हुई मूर्तिया उसी अवस्था में पड़ी रह गई।

नागपुर संग्रहालय में है विशाल मूर्ति का प्रतिरुपी

इसी परिसर में मां दुर्गा की दसमुखी प्रतिमा है, यह मूर्ति दसमुखी होने के कारण लोग इसे लंकापति रावण की मूर्ति समझकर विजयादशमी के दिन पत्थर मारते थे। कालांतर में लोगों को जब मूर्ति के संबंध में पता चला तो लोगों ने पत्थर मारना बंद कर दिया। क्योंकि मूर्ति के दाहिनी हाथ में एक खड़क और बायें हाथ में राक्षस का कटा हुआ सिर है। जैसा कि माता दुर्गा के हाथ में राक्षस महिषासुर का सिर होता है। मूर्ति के 9 सिर छोटे और एक बड़ा है। इसके दाहिनी ओर पांच और बाई ओर चार छोटे सिर है। अब तक पत्थरों और मौसम के थपेड़े सहती हुई 400 वर्षा से अहित्या की भांति किसी ‘राम’ की बाट जोह रही है। इस मूर्ति की विशेशता को समझकर पुरातन विभाग ने इस मूर्ति का छोटा प्रतिरुप नागपुर के संग्रहालय में रखा है। लेकिन मां दुर्गा की विशाल दसमुखी मूर्ति को उन्ही के भरोसे छोड़ दिया। इस मूर्ति के संबंध में इतिहास संशोधक अशोकसिंह ठाकुर ने बताया कि इस प्रकार की दसमुखी मां दुर्गा की मूर्ति देश में कम ही पाई जाती है। बावजूद इसके यह मूर्ति यहां इस अवस्था में पडी है जिसकी ओर पुरातन विभाग का कोई ध्यान नहीं है।