किंतु इस वर्ष नवंबर के शुरुवात से शीतलहर बहने लगी है।
- तड़के और शाम को बह रही शीतलहर
चंद्रपुर. देश में सर्वाधिक अधिक तापमान वाले और देश ही नहीं विदेशों में प्रसिध्द चंद्रपुर में ठंड के चार माह में और स्थानों की तुलना में कम ही ठंड पड़ती है। किंतु इस वर्ष नवंबर के शुरुवात से शीतलहर बहने लगी है। तडके और शाम को शीतकाल के शुरुवात से ही ठंड का तेज एहसास होने लगा है।
तड़के और शाम को शीतलहर
शीतलहर तड़के और शाम को ज्यादा महसूस की जा रही है। हालांकि जैसे ही बारिश का सिलसिला समाप्त होता है ठंड महसूस होने लगती है। जोरदार बारिश हो तो अक्टूबर माह से ही ठंड का अहसास होने लगता है परंतु इस वर्ष सम्पूर्ण अक्टूबर माह में ठंड का आगमन नहीं हो पाया था। इस बार ठंड पडेगी या नहीं यह सवाल उत्पन्न हो गया था परंतु नवंबर के प्रारंभ से ही ठंड अपना असर दिखा रही है। न्यूनतम तापमान 11.6 डिग्री तक आ पहुंचा है।
गर्मवस्त्रों में नजर आने लगे लोग
नवंबर के मध्य में तापमान में चार से छह डिग्री की गिरावट के चलते रात के समय कुछ ठिठुरन महसूस हो रही है। हालांकि अभी तक स्वेटर, जॉकेट, मफलर जैसे गर्म कपड़ों का इस्तेमाल पूरी तरह से शुरू नहीं हुआ है। छोटे बच्चे और वृध्दों को उनके स्वास्थ्य के दृष्टि से गर्म वस्त्रों देखा जा रहा है।
दीपावली के बाद जोर पकड़ेगी ठंड
चंद्रपुर जिला समेत समूचे विदर्भ में दीपावली के उपरांत ठंड का अहसास होने लगता है। परंतु इस बार शरद पूर्णिमा के बाद से ही ठंड ने जोर पकड़ा और अब धीरे धीरे पारे में गिरावट का सिलसिला शुरू हो गया है। नवंबर के शुरूआत में तापमान कम से कम तीन डिग्री सेल्सिअस तक गिरने का अंदाज मौसम विभाग ने लगाया है। आनेवाले कुछ ही दिनों में विदर्भ के अधिकांश शहरों के न्यूनतम तापमान में गिरावट होने का अनुमान मौसम विभाग ने जताया है।
दिखाई देने लगे है अलाव
नवंबर के शुरुवात से ही ठंड का असर दिखाई देने से सडक किनारे अलाव जलने शुरु हो गये है। कोरोना संक्रमण की वजह से रात ट्रेन और बसों से सफर करने वाले यात्रियों की संख्या कम हो जाने से अधिकांश आटो वाले रात में नहीं निकलते है। अन्यथा यह लोग भी रेलवे स्टेशन और बस अड्डे के सामने अलाव जलाकर शरीर को गर्म रखने का प्रयास करते थे। भले ही पहले की तुलना किंतु अलाव दिखाई देने लगे है।