कोरोना का मुकाबला कर रहे है ठेका कर्मचारी, बीमा संरक्षण नहीं

  • बीएमएस चिकत्सिक संभाल रहे है कंट्रोल रूम

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चंद्रपुर. कोरोना वायरस से लोगों को सुरक्षित रखने के लिए स्वास्थ्य विभाग के चिकत्सिक, नर्स एवं अन्य कर्मचारी जान हथेली पर रखकर सेवा दे रहे है. एमबीबीएच के साथ साथ बीएएमएस डॉक्टर भी दिन रात मरीजों की सेवा में जुटे हुए है. चंद्रपुर जिला अस्पताल के आरबीके पथक एवं ठेका बीएएमएस चिकत्सिक सहित कर्मचारी कोरोना जांच, कोरोना केअर सेंटर और कंट्रोल रूम की जिम्मेदारी आरबीके के पथक चिकित्सक के कंधे पर डाली गई है.

ठेकेदारी तत्व पर काम करने वाले राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम योजना के चिकित्सक, नर्स, औषधि अधिकारी गत दो माह से चंद्रपुर जिले के कोविड हास्पिटल में ओपीडी की जिम्मेदारी संभाल रहे है. जोखिम कार्य करते हुए मात्र उन्हें किसी भी तरह का सुरक्षा कवच नहीं है. इसके बावजूद वें रोगियों की सेवा में कोई कमी नहीं रख रहे है. जिले में लगभग 26 से अधिक बाल स्वास्थ्य योजना के डॉक्टर, नर्स, फार्मासस्टि जिले में कार्यरत है. जिले में बाहर से आनेवाले नागरिकों की बस स्टॉप पर जांच के लिए जिला सामान्य अस्पताल के आरबीके के पथक को बीएएमएस चिकत्सिक की डयूटी लगायी गई है. साथ ही कोरोना ओपीडी और होम क्वारंटाईन डयूटी, कोरोना केअर सेंटर, फार्मसस्टि, कंट्रोल रूम में 3 बीएएमएच डॉक्टर, फार्मसस्टि एवं सस्टिर ऐसे कर्मचारी कोरोना संकट में योध्दा की तरह सेवा दे रहे है.

जिले में चंद्रपुर तहसील, सावली, मूल, सिंदेवाही, नागभीड़, ब्रम्हपुरी, चिमूर, पोंभूर्णा, राजुरा, कोरपना, जिवती, गोंडपिपरी इन तहसीलों में कोरोना चेकअप, क्वारंटाईन का कर्तव्य निभा रहे है. राजूरा, कोरपना में ओपीडी और क्वारंटाईन, गडचांदूर में कोरोना केअर सेंटर, गोंडपिपरी में कोरोना केअर सेंटर एवं क्वारंटाईन डयूटी साथ ही बल्लारपुर ग्रामीण अस्पताल में 8 लोगों की टीम कोविड केअर सेंटर एवं ओपीडी संभाल रहे है.

चंद्रपुर जिले में अब तक जिले के बाहर से लगभग 72 हजार से अधिक नागरिकों की घर वापसी की है. पिछले पंद्रह दिनों से पुणेट्ठमुंबई इन हाटस्पॉट जिले से हजारों नागरिक दाखिल हुए है. जिले में कोरोना बाधित 23 मरीज दर्ज हुए है. इसमे से 13 लोग कोरोनामुक्त हुए है. 

जो चिकित्सक सेवारत है उन्हें पिछले तीन महीने से ठेका तत्व पर लिए जाने का साधा आदेश भी अस्पताल प्रशासन ने नहीं दिया है.जनवरी में इन सभी की अवधि समाप्त हो चुकी है. इसके अलावा ठेका अधिकारी, कर्मचारी का बीमा नहीं निकाला गया. इसके चलते भविष्य में सेवा देते हुए चिकित्सक संकट में फंसे तो इनकी जिम्मेदारी कौन लेगा ऐसा प्रश्न है.