- कामगारों का शव उठाने से इंकार
चंद्रपुर. जिला सरकारी अस्पताल में ठेका कामगार कोरोना वारीयर्स संगीता पाटिल की हदयाघात से मौत होने पर कई महीनों से वेतन नहीं मिलने की वजह से परेशान अन्य कामगारों ने यहां हंगामा मचाते हुए तनाव निर्माण किया. मृतक के पति की छह माह पूर्व ही मौत हो चुकी थी. उन्हें एक पुत्र जिसके सर से मां-पिता साया उठ चुका है.कामगारों का नेतृत्व कर रहे जनविकास कामगार संघ के अध्यक्ष पप्पू देशमुख ने आरोप लगाया है कि मानसिक परेशानी के चलते दो कामागारों की मौत हो चुकी है.
देशमुख के अनुसार संगीता पाटील को 6 महीने से वेतन नहीं मिला था. उसके पति की 6 महीने पूर्व ही मृत्यु हो चुकी है. इसके चलते उसका इकलौता पुत्र अनाथ हो गया है. बीते 6 महीने से कामगारों को वेतन न मिलने से कामगारों में असंतोष व्याप्त है. 6 महीने से ठेका कामगारों को वेतन से वंचित रखने वाले अधिष्ठाता और वैद्यकीय शिक्षा विभाग के सचिव के खिलाफ गैर इरादतन हत्या का मामला दर्ज कर मृत महिला कामगार के पुत्र को 30 लाख रुपये नुकसान भरपाई देने की मांग की है.
4 अगस्त की रात महिला नवजात शिशु विभाग के आईसीयू में ड्यूटी पर थी. चक्कर आने से अचानक संगीता पाटील गिर पडी. उसे तुरंत आईसीयू में दाखिल किया गया. किंतु रात के समय किसी विशेषज्ञ चिकित्सक ने उसकी जांच नहीं की. कामगारों का आरोप है कि शासकीय अस्पताल के कर्मचारियों का यह हाल है तो आम मरीजों का क्या होता होगा? इसलिए शासकीय मेडिकल कालेज का उपयोग क्या?
महिला मृत्यु मामले की जांच कर, रात में विशेषज्ञ डाक्टर को काल किया गया था अथवा नहीं, काल किया गया तो चिकित्सक क्यों नहीं आये, महिला का तत्काल में क्या उपचार किया गया आदि की विस्तृत जांच कर जवाबदार अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई की मांग देशमुख ने की है.
चंद्रपुर में मेडिकल कालेज होने से जिला और आस पास के जिले के लोगों को बेहतर उपचार की अपेक्षा थी. किंतु समय पर विशेषज्ञ उपस्थित नहीं रहते है. कोरोना काल में पिछले एक महीने से कुछ विशेषज्ञ महज उपस्थिति दर्ज कर अपने निजी हास्पिटल में प्रैक्टीस कर रहे ऐसा आरोप भी किया है.