प्रकल्प पीड़ितों को नीचे उतारने के प्रयास विफल

  • बैरंग लौटा पुलिस प्रशासन

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चंद्रपुर. बिजलीघर की चिमनी पर चढ़कर सैकड़ों फुट ऊंचाई पर जाकर आंदोलन कर रहे प्रकल्प पीड़ितों का आंदोलन मंगलवार को सातवें दिन भी जारी रहा. 

इस बीच आंदोलनकारियों को नीचे उतारने के लिए पहुंचे पुलिस प्रशासन के सारे प्रयास उस वक्त विफल हो गए जब आंदोलनकारियों ने उन्हें देख नीचे कूदकर आत्महत्या करने की धमकी दी.

बिजलीघर परियोजना में अधिग्रहित की गई जमीन के बदले में लिखित वायदों के अनुसार स्थायी नोकरी देने की अपनी बरसों पुरानी मांग को पूर्ण करने के लिए प्रकल्प पीड़ितों ने यह आंदोलन शुरू किया है. 

पिछले सात दिनों से वे बिजलीघर के आंठवे यूनिट की 275 मीटर ऊंची चिमनी पर चढ़कर बैठे हुए है. इस चिमनी की छोटी सी गैलरी पर दिन, रात, धूप और बारिश की मार सहन करते हुए आंदोलन कर रहे इन प्रकल्प पीड़ितों में से महिला आंदोलनकारियों की तबियत अब जवाब देने लगी है. तथा उनका स्वास्थ्य गिरता जा रहा है.

दिन ब दिन आंदोलन और अधिक उग्र होता देख जिला पुलिस प्रशासन ने आज पुनः एक बार आंदोलनकारियों को चिमनी पर से नीचे उतारने की पहल की. पुलिस अधिकारी तथा कर्मचारियों का एक दल चिमनी के पास पहुंचा लेकिन पुलिसकर्मियों को उपरसे देखने के बाद आंदोलनकारी बिफर पड़े. अगर पुलिसकर्मी वापस नहीं लौटे तथा उन्हें जबरन नीचे उतारने का प्रयास किया गया तो वे सभीं उपरसे कूदकर अपनी जान दे देंगे. आंदोलनकारियों के इस रौद्र रूप को देखते हुए पुलिसकर्मियों को बैरंग लौटना पड़ा.

इस नीच बुधवार को राज्य मंत्रिमंडल की बैठक है. इस बैठक में चंद्रपुर ताप बिजलीघर के प्रकल्प पीड़ितों के आंदोलन को लेकर कोई चर्चा होती है या कोई हल निकलता है इस ओर सबकी निगाहें लगी हुई है.

सर्वदलीय आंदोलन की चेतावनी
प्रकल्प पीड़ितों के चल रहे आंदोलन को समर्थन देने वाले सर्वदलीय संगठनों ने अब जिले में प्रकल्प पीड़ितों के आंदोलन को बल देने के उद्देश्य से तीव्र आंदोलन की चेतावनी दी है. इस संदर्भ में मंगलवार को सीटीपीएस के मेजर गेट के सामने कुछ विभिन्न संगठनों के पदाधिकारियों ने बैठक ली तथा शीघ्र ही जिले में रास्ता रोको, श्रुंखला अनशन, बेमियादी अनशन, पावर स्टेशन को बंद करने जैसे आंदोलन खड़े करने का निर्णय लिया.

इस बैठक में संविधान संवर्धन समिति के अंकुश वाघमारे, रविन्द्र उमाठे, सदानंद चांदेकर, सुदेश कांबले, शंकर मांदाडे, सुचित्रा आवले, पपीता जुनघरे, हंसराज वनकर आदि उपस्थित थे.