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    चंद्रपुर. मृग नक्षत्र में ही अच्छी बरसात के बाद जिनके पास पैसे थे ऐसे किसानों ने खेतों में बुआई के लिए बीज, खाद आदि खरीदकर रख लिए हैं. किंतु जिनके पास पैसे नहीं है, वे अब साहूकारों के दरवाजों के चक्कर काट रहे हैं. साहूकार भी इस मौके को भांपकर बिना कुछ गिरवी रखे कर्ज नहीं दे रहे हैं. ऐसे में अनेक किसानों को अपने घर के जेवर गिरवी रख कर्ज लेना पड़ रहा है.

    लाकडाउन ने तोड़ी कमर

    गत वर्ष से शुरू कोरोना संक्रमण व लाकडाउन Economis crisisi के कारण किसानों की आर्थिक कमर टूट गई है. सिंदेवाही तहसील की मुख्य फसल धान है. गतवर्ष किसानों ने अपनी धान की फसल बेची. किंतु लाकडाउन के समय पर पास का पैसा खर्च हो गया. क्योंकि आय का कोई साधन नहीं था और खर्च तो हो रही रहा था. सरकार ने धान उत्पादक किसानों को बोनस की घोषणा की थी, किंतु आज तक वह भी नहीं मिला है. अब किसान बैंक में कर्ज के लिए जा रहे हैं, तो अनेक प्रकार के दस्तावेज मांगे जा रहे हैं.

    जिसे बनाने और जमा करने में किसानों को समय लग रहा है. ऐसे में आसान तरीका अपनाते हुए किसानों ने साहूकारों का सहारा लिया है. यहां फसल की पैदावार के बाद कर्ज चुकाने का पत्र भी लिखवाया जा रहा है. ऐसे में किसानों के साथ धोखाधड़ी की भी आशंका होती है. अनेक किसानों ने तो अपनी पत्नी के जेवर गिरवी रखकर कर्ज लेकर अपनी किसानी की तैयारी शुरू की है. अब पैदावार अच्छी हुई, तो किसानों के जेवर और जमीन वापस मिल सकेंगे अन्यथा भगवान ही उनका मालिक है.