- ताड़ोबा कर्मी और एक निजी व्यक्ति का समावेश
चिमूर. बाघों के लिए विश्वविख्यात ताड़ोबा बाघ अभयारण्य के कोअर और बफर क्षेत्र में यदि पर्यटकों को सफारी करनी हो तो उसे पहले ऑनलाईन बुकिंग करना जरूरी है. इस समय ऐसी स्थिति है कि बुकिंग फुल होने से पर्यटकों को एक एक महीने की प्रतीक्षा करनी पड़ती है.इसके बावजूद यहां ताड़ोबा में पर्यटकों को फर्जी रूप से प्रवेश दिलाने का फर्जीवाडा कई दिनों से चल रहा था. इस काम में एक रैकेट सक्रिय था जिसका ताड़ोबा प्रबंधन ने राजफाश किया है. इसमें एक आरोपी ताड़ोबा का ही कर्मी निकला. इस मामले दो लोगों को गिरफ्तार किया गया है.
ताड़ोबा बाघ प्रकल्प संरक्षित वन क्षेत्र है. अधिकृत रूप से प्रवेश दिए जाने की प्रक्रिया यहां अमल में लायी गई है.चिमूर तहसील के नवेगांव प्रवेशद्वार से ऑनलाईन बुकिंग की प्रतिदिन 6 जिप्सी को प्रवेश दिया जाता है. परंतु जिस दिन 06 जिप्सी में से ऑनलाईन बुकिंग केवल 4 जिप्सी की है ऐसे में शेष दो गाडियों को अवैध रूप से प्रवेश दिए जाने का गोरखधंधा यहां कई दिनों से शुरू था. यहां वनरक्षक टेकचंद रूपचंद सोनुले स्वयं ही पैसे लेकर गेट पर किसी भी तरह का कोई उल्लेख ना करते हुए वाहनों को छोड़े जाने की गोपनीय जानकारी वनपरिक्षेत्र अधिकारी ताड़ोबा को प्राप्त हुई तो इसकी जांच किए जाने पर पता चला कि खडसंगी निवासी सचिन संतोष कोयचाडे 27 अपने मोबाईल से मल्टीमीडिया के के माध्यम से ताड़ोबा में जंगल सफारी के लिए बुकिंग करता है.
वनविभाग की टीम ने जाल बिछाया और उसके मोबाईल पर संपर्क कर 1 दिसंबर को एक गाडी नवेगांव गेट से छोड़ने की बात कही. फोन पर ही सौदा होने पर 9 हजार रुपये फोन पे के माध्यम से भिजवाने को कहा गया. जब वाहन वहां पहुंचा तो उसे बिना किसी जांच पड़ताल के अंदर प्रवेश दे दिया गया. इसकी जांच किए जाने पर पता चला कि उक्त गेट नियुक्त शासकीय कर्मी वनरक्षक टेकचंद रूपचंद सोनुले 28 और निजी व्यक्ति सचिन संतोष कोयचाडे 27 ने मिलकर यह गोरखधंधा शुरू किया था. वें जिस दिन गाडी कम आती थी उस दिन पैसे लेकर पर्यटकों की जिप्सी को प्रवेश दिलाते थे.यह काम दोनों सभी नियमों, शर्तों का खुलेआम उल्लंघन करते आ रहे थे.
वनपरिक्षेत्र अधिकारी ने इसकी शिकायत चिमूर पुलिस थाने में की. जिसके आधार पर पुलिस ने वनरक्षक टेकचंद रूपचंद सोनुले और निजी एजेंट सचिन सतोष कोयचाडे को विभिन्न धाराओं के तहत गिरफ्तार किया. उक्त कार्रवाई ताड़ोबा_अंधारी प्रकल्प के क्षेत्र संचालक डा. जितेंद्र रामगांवकर के मार्गदर्शन में सहायक वनसंरक्षक महेश खोरे, वनपरिक्षेत्र अधिकारी वन्यजीव सतीश शेंडे एवं अन्य कर्मियों ने मिलकर की.
इस मामले की जांच चिमूर के पुलिस निरीक्षक रवींद्र शिंदे के मार्गदर्शन में पुलिस उपनिरीक्षक अलीम शेख कर रहे है. लोगों का कहना है कि इस तरह का मामला पहले भी उजागर हुआ था उस समय अधिकारियों ने जानबुछकर ध्यान नहीं दिया था.
प्रवेश के लिए रहती है प्रतिस्पर्धा
पट्टेदार बाघों के लिए प्रसिध्द ताड़ोबा अंधारी बाघ प्रकल्प में आनेवाले पर्यटकों को आनलाईन बुकिंग और स्पॉट बुकिंग ऐसी दोनों सुविधा दी गई है. स्पॉट बुकिंग के लिए प्रवेश को लेकर प्रतिस्पर्धा रहती हैइसके लिए जो पहले आता हैउसे ही प्रवेश दिया जाता है. इसका भी पूरा रिकार्ड मेन्टेन किया जाता है. परंतु यहां तो अधिकार का दुरूपयोग कर सीधे पैसे लेकर प्रवेश दिया जा रहा था. सरकारी रिकार्ड में इस तरह के प्रवेश की कोई सूचना नहीं दी जा रही थी. यह गोरखधंधा कई वर्षों से जारी होने का पता चला है.
शिकारियों भी उठा सकते है लाभ
इस तरह के अवैध रूप से प्रवेश का वन्यजीव शिकारी भी लाभ उठा सकते है, अनाधिकृत रूप से प्रवेश कर वें किसी भी वन्यजीव का शिकार कर ले ताड़ोबा प्रबंधन को कानोकान खबर नहीं होगी. इस तरह के मामलों से बाघों का जीवन भी खतरे में नजर आ रहा है. इसलिए इस मामले को गंभीरता सेलेते हुए कड़े कदम उठाये जाने की आवश्यकता है.
लालच में ना पड़े पयर्टक- ताड़ोबा प्रबंधन
इस संदर्भ में विभागीय वन अधिकारी एस. एस. भागवत ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर पर्यटकों को सूचित किया है कि वें किसी तरह की लालच में ना पड़ते हुए ताड़ोबा की अधिकृत वेबसाईट पर जाकर ही प्रवेश हासिल करें.