स्नातक युवतियां बेच रही चना-चूड़ा, लाकडाउन में बेरोजगारी पर मात करने लिया निर्णय

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    ब्रम्हपुरी. जीवन में यदि सफल बनाना है तो शुरूआत छोटे छोटे कदम डालकर ही होती है. ईमानदारी और हौसलों से की गई शुरूआत में कोई शर्म और संकोच भी नहीं होता है. इसी मूलमंत्र को अपनाते हुए ब्रम्हपुरी की तीन स्नातक सहेलियों ने मिलकर रोड के किनारे चना चूड़ा बेचने का व्यवसाय शुरू किया है. इन तीनों के हौसले को देखकर सभी हैरत में है और उनकी सराहना भी कर रहे है.

     ब्रम्हपुरी एक सांस्कृतिक तथा शैक्षणिक नगरी है यहां पर शिक्षा के साथ साथ स्वास्थ्य को भी महत्व दिया जाता इसीलिए शिक्षा के साथ-साथ खेल की दुनिया में भी अग्रसर ऐसे खिलाड़ी ब्रम्हपुरी  से हर साल तैयार होते है, इसीलिए बचपन से ही स्वास्थ्य और व्यायाम का महत्व यहां के सभी बच्चे, बूढ़े, महिला, पुरुष जानकर अपने स्वास्थ्य के लिए प्रयास करते रहते.

    शिक्षा नगरी होने के कारण बड़ी संख्या में शिक्षित युवक, युवतियां हर साल तैयार होते रहती. इसीलिए शिक्षित बेरोजगार युवक युवतियों की यहां पर भरमार है सभी अपने अपने सोच के अनुसार प्रयास करते रहते हैं और बेरोजगारी पर मांत करते रहते हैं। कोई प्रशासकीय सेवा में नौकरी के लिए प्रयास करता तो कोई प्राइवेट में जॉब करते दिखते हैं.

    सभी के सामने शिक्षा के बाद क्या करें यही सोच में डूबे नजर आते और कुछ ना कुछ कर आत्म निर्भर बनने का प्रयास करते है. ऐसे ही सुबह 10:00 बजे के करीब शासकीय तंत्रनिकेतन महाविद्यालय की तरफ सैर को निकले तो वहां पर तीन युवतियां कुछ सामान लेकर एक छोटे पेड़ के नीचे नजर आई ,तो पुछताछ करने पर पता चला की आज की महंगाई और बेरोजगारी पर मात कर आत्म निर्भर बनने का प्रयास कर रहे है.कहातक बोझ बनकर घर बैठे रहेंगे कुछ ना कुछ तो करना ही पड़ेगा. बातचीत में उन्होंने कहा की हम सब ग्रेजुएट हैं घर से भी ठिकठाक है पर “खाली दिमाग शैतान का घर “उसपर मात करते हेतु और घर से परमिशन लेकर ही यह व्यवसाय कर रहे.

      ब्रम्हपुरी में रहने वाली सेजल सुरेश बांबोले जिन्होंने सायंस में ग्रेजुएशन पूरा किया बि एस सी काम्पुटर सायंस पास हुयी है ,दुसरी रोहिणी राजेश मेश्राम आर्ट में ग्रेजुएशन पुरा कर बी ए हुयी है तो तिसरी युवती श्वेता विजय हेमणे जिसने इंजीनियरिंग की पढ़ाई पुरी कर बी ई में डीग्री प्राप्त की है.तीनों युवतियों ने घरसे परमिशन लेकर ब्रम्हपुरी नागभीड रोडपर श्यामाप्रसाद मुखर्जी बॉटनिकल गार्डन के सामने एक छोटे पेड़ के नीचे घरसे टेबल, कुर्सी और स्टोव्ह  लाकर दुकान सजायी जहापर चाय ,और आलुपोहा- चना  बिक्री का व्यवसाय कर रहे वह भी सुबह छह से सुबह नव- दस बजे तक ही व्यवसाय करतें हैं.

    दुकान की जगह और टाईम का चुनने कारण पुछने पर बताया कि अभी तक लाकडाउन था सभी अपने घर में कैद थे अभी अनलॉक होने की वजह से फिर से अपने स्वास्थ्य हेतु सुबह की मार्निंग वाक की सैर करना शुरू किया जो सुबह साढ़े पांच बजे घर से निकलते और  छह साढ़े छह-सात बजे तक वापसी होने के कारण चाय और नाश्ता करने का मन बनाने वाले रहने  के कारण  हमारा व्यवसाय होता और हमारी लागत निकलकर काफी मुनाफा मिल जाता.आज का हमारा दुसरा दिन ,पहले दिन अच्छा 600 का व्यवसाय किया और आज कल से ज्यादा हुआ इससे हमारा जज्बा बढ़ा और नये ऊत्साह के साथ व्यवसाय को आगे बढ़ाकर आत्मनिर्भर बनेंगे. यह व्यवसाय करणेमें क्या बुराई है.

     उनका हौसला तारीफ के लायक है युवक बेवजह गाड़ीयां लेकर घुमाते रहते पर युवतीयोंकी सोच कुछ अलग ही है जो एक दुसरों के लिये प्रेरणादायक है.