जिलाधिकारी के तबादले पर गरमाई राजनीति, आरोप प्रत्यारोप का दौर शुरू

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– संजय तायड़े

चंद्रपुर. जिले में कोरोना महामारी के प्रवेश पर रोक लगाने हेतु प्रारंभिक समय मे कड़े कदम उठाने वाले जिले के जिलाधिकारी डॉ कुणाल खेमनार का आकस्मिक रूप से तबादला होने पर जिले में अब राजनीति गर्माने लगी है.

आनन फानन में किये गए उनके स्थानांतरण पर जिले में न केवल आश्चर्य व्यक्त किया जा रहा है, बल्कि उनके तबादले को लेकर नए नए तर्क वितर्क उपस्थित किये जा रहे है. उनके स्थानांतरण के पीछे जिले में वर्तमान तथा पूर्व पालकमंत्री के बीच चल रहे राजनीतिक द्ंवद को भी जिम्मेदार बताया जा रहा है. 

खेमनार का आकस्मिक तौर पर तबादला तो किया गया है और उनके स्थान पर नए जिलाधिकारी के रूप में नवी मुंबई में कार्यरत जलसंपदा के प्रकल्प प्रबंधक अजय गुल्हाने की नियुक्ति की गई है, लेकिन राज्य सरकार ने डॉ खेमनार के नए पदभार की अभी तक घोषणा नहीं की है, इसी बात से यह तर्क भी लगाया जा रहा है कि, उनका तबादला एक स्वाभाविक प्रक्रिया के तहत नहीं किया गया है.

जब देश और राज्य में सर्वत्र कोरोना महामारी तेजी से अपने पांव पसार रही थी, उस वक्त जिला कोरोना के संक्रमण से काफी दूर था. मार्च महीने में ही राज्य के कई जिले कोरोना की चपेट में आ गए थे लेकिन उस वक्त इस जिले में कोरोना का दूर दूर तक कोई अता पता नहीं था. इसके पीछे सिर्फ और सिर्फ जिलाधिकारी डॉ खेमनार और जिला पुलिस अधीक्षक डॉ महेश्वर रेड्डी के नेतृत्व में मुस्तैदी से काम कर रहे जिला प्रशासन की चुस्त दुरुस्त रणनीति और प्रतिबंधात्मक उपाय योजनाएं जिम्मेदार थे. 

इन्ही प्रतिबंधात्मक कार्यवाही के कारण ही जिले में मार्च और अप्रैल माह तक कोरोना का प्रवेश नहीं हो पाया था. राज्य सरकार ने जब लाकडाउन के तहत बाहरी जिलों तथा राज्यों में फ़सें जिले के नागरिकों को अपने जिले में लौटने की अनुमति घोषित की, उसके बाद ही जिले में कोरोना का प्रवेश शुरू हुआ और जिले में कोरोना से संक्रमित पहला मरीज 2 मई को दर्ज किया गया. इसके बाद भी जिले में प्रतिबंधात्मक कार्यवाही चुस्त दुरुस्त थी, नतीजतन जिले में कोरोना के प्रसार की रफ्तार बेहद धीमी थी. जिले में पंद्रह बीस दिन के अंतराल में ही नया मरीज मिल रहा था. उन दिनों जिले में कोरोना मरीजों की संख्या दोगुनी होने के लिए 88 दिन का समय लगा था.

जिले में अब यह आलम है कि, कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ गयी है और प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही है. 

जिले में अब प्रतिदिन 35 से 40 की रफ्तार से नए मरीजों की संख्या में इजाफा हो रहा है. जिले में कोरोना से संक्रमित मरीजों की कुल संख्या 900 के करीब आ पहुंची है, यह संख्या एक सप्ताह तक ही हजार के पार होने का अनुमान है. जिले में कोरोना से जान गंवाने वालों की संख्या भी 6 पर पहुंच चुकी है. मरीजों की संख्या डबल होने का रेट भी अब 10 से 12 दिनों पर आ गया है.

वर्तमान समय मे जब जिले में कोरोना तेजी से फैलने लगा है, ठीक उसी समय जिलाधिकारी खेमनार का ताबड़तोड़ तबादला किया जाना, आश्चर्य पैदा कर रहा है. शुरू शुरू में मुस्तैद रहे प्रशासन की कहीं अब पकड़ तो ढीली नहीं हो रही है, यह सवाल लोगों के जेहन में निर्माण ही हो रहा था कि जिलाधिकारी का अचानक तबादला हो जाना उन सवालों को बलवती बना रहा है.

पिछले सप्ताह जिले के एक साथ 37 पुलिसकर्मी कोरोना से संक्रमित हुए. इन पुलिसकर्मियों को ऐन कोरोना काल मे ट्रेनिंग हेतु नागपुर रवाना किया गया था. रवाना होने से पहले वे सब चुस्त दुरुस्त थे. मगर नागपुर जाने के एक सप्ताह के भीतर ही वे सभीं 37 पुलिसकर्मी पॉजिटिव हो गए. उक्त पुलिसकर्मियों को रातोरात चंद्रपुर वापस लाया गया. उन्हें कोविड केअर सेंटर में उपचार हेतु भर्ती करने की बजाय एक क्वारंटाइन सेंटर में रखा गया. प्रशासन ने इस बात को लेकर चुप्पी बनाये रखी. 

आम तौर पर जिले का निवासी व्यक्ति किसी भी अन्य जिले में य्या राज्य में पॉजिटिव पाया जाता है तो उसका पंजीयन जिले के कोरोना संक्रमित मरीजों में दर्ज किया जाता था किंतु 37 पुलिसकर्मियों के संदर्भ में यह नहीं किया गया. कुल मिलाकर जिला प्रशासन कोरोना मरीजों की संख्या य्या वास्तविकता को कहीं छिपाने का तो प्रयास नहीं कर रहीं है ऐसी आशंका लोगों के मन मे उत्पन्न होने लगी है.

बहरहाल जिलाधिकारी का ताबड़तोब तबादला जिले में अनेकों सवाल उपस्थित कर गया है. पूर्व वित्तमंत्री सुधीर मुनगंटीवार ने भी इस तबादले पर अपनी तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है. उनका कहना है कि जिले में वर्तमान में जो कोरोना संक्रमण का विस्फोट हो रहा है उसके लिए जिलाधिकारी खेमनार नहीं बल्कि राज्य सरकार की लचर नीति जिम्मेदार है, और अपनी नाकामी छुपाने के लिए ही कुछ लोगों ने खेमनार का ताबड़तोब तबादला किया है.