Independent India's first and second postage stamp in Chandrapur

15 अगस्त 1947 को भारत देश अंग्रेजों की गुलामी से आजाद हुआ और देशवासियों ने आजाद भारत में सांस ली।

Loading

  • इतिहास संशोधक अशोकसिंह ठाकुर ने सहेजी है इतिहास की यादें

चंद्रपुर. 15 अगस्त 1947 को भारत देश अंग्रेजों की गुलामी से आजाद हुआ और देशवासियों ने आजाद भारत में सांस ली। प्रतिवर्ष 15 अगस्त को देश भर में स्वतंत्रता दिवस मनाया जाता है। देश की आजादी के बाद देश में अपने डाक टिकट छापे गए थे। स्वतंत्र भारत की पहली और दूसरी डाक टिकट चंद्रपुर के इतिहास संशोधक अशोकसिंह ठाकुर के संकलन मे आज भी सुरक्षित है। जो 15 अगस्त 2020 में देश के आजादी की उस एतिहासिक घडी की याद दिलाती है।

आजादी के बाद देश के तकनीकी में अनेक सुधार और नये नये संशोधन किए गये। मोबाइल भी इसी तकनीक की देन है जिससे आज दूसरे शहर और देश में रहते हुए अपने परिजनों से बातचीत कर उनकी खुशहाली जान सकते है। किंतु पहले यह सुविधा नहीं थी। अधिकांश लोग चिट्ठी पत्री से ही अपने परिजन और रिश्तेदार की खुशहाली का हाल जानते थे। गांव, शहर में आने वाले डाकिया का बेसब्री से इंतजार करते थे। उससे बार बार पूछा जाता था मेरी कोई चिट्ठी आई है क्या। किंतु वर्तमान समय पर तकनीकी में नई क्रांति आई और अनेक प्रकार के स्मार्ट फोन मोबाइल निकल गये है जिससे तुरंत बातचीत हो जाती है। इसलिए डाक विभाग का महत्व भी कम हो गया और नई डाक टिकट भी जारी होना लगभग ठप पड गया है। किंतु जिस समय देश आजाद हुआ उस समय पर डाक टिकटों का विशेष महत्व था। किसी भी पत्र पर डाक टिकट लगाकर ही उसे पोस्ट में डाला जाता था और वह निर्धारित जगह पर पहुंचा दी जाती थी। 

देश में पहली डाक टिकट 21 नवंबर 1947 को डाक विभाग ने छापा था। इस डाक टिकट पर राष्ट्रीय ध्वज और एक तरफ 15 अगस्त 1947 और दूसरी ओर जय हिंद,  नीचे में कीमत 11/2 आना. इंडिया पोस्टेज लिखा है।

आजाद भारत में छापी दूसरी डाक टिकट भी उनके संकलन में है। इस टिकट पर हमारा विमान अंकित हैं ये डाक टिकट 15 दिसंबर 1947 को डाक विभाग ने छापा। इस डाक टिकट पर हमारा विमान, उसके ऊपर जय हिंद और और नीचे 15 अगस्त 1947 लिखा है, और  कीमत 12 आना, इंडिया पोस्टेज लिखा है। स्वतंत्र भारत में जारी की गई दोनों डाक टिकट यहां के इतिहास संशोधक के संकलन में आज भी है।