वनभूमि हस्तांतरण का प्रस्ताव मुख्यमंत्री के पास भेजने के राज्यमंत्री के निर्देश

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    • एक बार फिर हवाईअड्डे का मुद्दा चर्चाओं में
    • वनविभाग के चलते अटका है मामला

    चंद्रपुर. चंद्रपुर जिले के राजुरा तहसील के विहीरगांव एवं मूर्ति में महाराष्ट्र विमानतल विकास कंपनी द्वारा स्थापित किए जानेवाले प्रस्तावित ग्रीनफिल्ड विमानतल के लिए वनभूमि के हस्तांतरण का प्रस्ताव मुख्यमंत्री के पास पुर्न प्रस्तुत करने के निर्देश वन एवं सामान्य प्रशासन राज्यमंत्री दत्तात्रय भरणे ने वनविभाग के उच्च अधिकारियों को दिए है.

    जिसके चलते बार फिर जिले में हवाई अड्डे का मुद्दो सुर्खियों में है. कन्हालगांव बाघ अभयारण्य की घोषणा के चलते यहां विमानतल का मामला लगभग खटाई में पड़ चुका है. ऐसे में मुख्यमंत्री फिर से इस प्रस्ताव पर क्या निर्णय लेंगे इस ओर सभी की निगाहें टिकी हुई है.

    चंद्रपुर जिले के राजुरा तहसील के विहीरगांव व मूर्ति में महाराष्ट्र विमानतल विकास कंपनी की ओर से ग्रीनफील्ड विमानतल स्थापित करने के संदर्भ में वनभूमि के हस्तांतरण के संदर्भ में विधाक सुधीर मुनगंटीवार के विनंती पर वनराज्यमंत्री दत्तात्रय भरणे ने हाल ही में मंत्रालय में इस संदर्भ में बैठक ली. इस बैठक में वनविभाग के प्रधान सचिव वेणूगोपाल रेड्डी, मुख्य वनसंरक्षक अरविंद आपटे, नागरी विमान चालन विभाग के सहसिचव, महाराष्ट्र विमानतल विकास प्राधिकरण के सहसचिव आदि प्रमुखता से उपस्थित थे.

    इस बैठक में विधा. सुधीर मुनगंटीवा ने इस विषय के संदर्भ में विस्तृत भूमिका रखी. उक्त ग्रीनफील्ड विमानतल स्थापित करने के दृष्टि से सामान्य प्रशासन विभाग ने प्रस्तावित विमानतल के विकास कार्यों को प्रशासकीय एवं वित्तीय मंजूरी दी है. वनभूमि हस्तांतरण का प्रस्ताव नियमों के तहत शासन को प्रस्तुत किया गया है.परंतु इस प्रस्ताव पर वनविभाग ने आपत्ति जताते हुए इसे अव्यवहारिक बताया है. कन्हालगांव अभयारण्य का मसला आडे़ आ रहा है.

    विधायक मुनगंटीवार का कहना है कि जिले में हवाईअड्डा बनने से जिले के औद्योगिक विकास को प्रोत्साहन मिलेगा.जिले में सैनिक स्कूल स्थापित की गई है. इसके चलते डिफेन्स से संबंधित कार्यवाही को गति मिलेगी इसलिए इस मामले में फिर से राज्य सरकार मंजूरी के लिए केन्द्र को भेजे. इस पर वनराज्यमंत्री दत्तात्रय भरणे ने आश्वासन दिया गया कि वे व्यक्तिगत रूप से मुख्यमंत्री से इस संदर्भ में विनंती करेंगे.

    उल्लेखनीय है कि जिले में हवाईअडडे का मसला कई वर्षों से अधर पर ही लटका हुआ है.  पहले यह हवाई अड्डा मोरवा या भद्रावती में बनाने का प्रस्ताव था परंतु सीटीपीएस के चलते इसे नामंजूर कर दिया गया. राजुरा तहसील के विहीरगांव, मूर्ति ग्राम में इस हवाईअड्डे की योजना को मूर्त रूप दिया जाना था कि राज्य सरकार ने कन्हालगांव बाघ अभयारण्य की घोषणा कर दी. ऐसे में हवाईअड्डे से बाघ परियोजना प्रभावित हो सकती है. बाघों का कोरीडोर प्रभावित हो सकता है.

    कन्हालगांव बाघ अभयारण्य से एकदम करीब प्रस्तावित कमर्शियल एयरपोर्ट के संदर्भ में अंतिम निर्णय लेने के लिए गठित वनविभाग की 6 सदस्यीय समिति पहले ही इस प्रस्ताव को नामंजूर कर चुकी है.

    जिले में उद्योगों की भरमार और खनिज संपत्ति से संपन्न जिले में नए उद्योगों की प्रबल संभावनाओं को देखते हुए यहां एक कमर्शियल एयरपोर्ट शुरू करने के प्रस्ताव को पिछली सरकार ने मंजूरी दी थी. नए एयरपोर्ट को विकसित करने की जिम्मेदारी सरकार की ओर से महाराष्ट्र विमानतल विकास प्राधिकरण ( एमएडीसी ) को सौंप दी गयी थी. इस प्राधिकरण ने पहले चंद्रपुर के निकट ही मोरवा में स्थित हवाई पट्टी का विस्तार कर उसे एयरपोर्ट का स्वरूप प्रदान करने पर अध्ययन किया किंतु मोरवा के समीप ही चंद्रपुर ताप बिजली घर की ऊंची चिमनियों से विमानों की आवाजाही पर विपरीत परिणाम होने की आशंका के मद्देनजर यह प्रस्ताव सिरे से नकार दिया गया था.

    इसके बाद भद्रावती के पास नया एयरपोर्ट बनाने का विचार सामने आया किंतु पर्याप्त जमीन की अनुपलब्धता को देखते हुए यह प्रस्ताव भी दरकिनार हुआ था.पिछली सरकार ने अंततः राजुरा के पास विहिरगाव – मूर्ति के पास प्रस्तावित विमानतल के लिए 840 एकड़ जमीन अधिग्रहित की.

    प्रस्तावित एयरपोर्ट के लिए पिछली सरकार ने हर बजट में कुछ न कुछ रकम का भी प्रावधान किया था.इस एयरपोर्ट को अंतिम मंजूरी देने हेतु एमएडीसी ने वन विभाग के पास प्रस्ताव भेजा था और इस पर निर्णय लेने वन विभाग ने 6 सदस्यीय एक समिति गठित की थी. एमएडीसी द्वारा वन विभाग को प्राप्त प्रस्ताव में 75 हेक्टेयर जमीन को परिवर्तित करने और 3800 से अधिक पेड़ों की कटाई की अनुमति मांगी गई थी.

    एयरपोर्ट के लिये जिस जमीन का चयन किया गया था वह बाघों के अधिवास और उनके अंतरराज्यीय कॉरिडोर के बेहद समीप  है. वन विभाग के अनुसार एयरपोर्ट की प्रस्तावित जमीन के 30 किमी रेडियस में 12 से अधिक बाघों के अस्तित्व है. जहां कन्हालगाव वन्यजीव अभयारण्य घोषित हो चुका है उसमें 15 से अधिक बाघ और 25 के करीब तेंदुए है. कन्हालगांव वन्यजीव अभयारण्य घोषित होने के साथ ही अब एयरपोर्ट बनने की कोशिशों पर वज्रपात हुआ है. अब यदि एयरपोर्ट का प्रस्ताव फिर से आता है तो उसके लिए नई जगह तलाशनी होगी.