- मानव-वन्यप्राणी संघर्ष का प्रमुख घटक है तेंदूआ
चंद्रपुर. चंद्रपुर जिला वनों के जिले के साथ अब बाघ जिले के रूप में विख्यात है. जिले में विश्वविख्यात ताड़ोबा-अंधारी व्याघ्र प्रकल्प सहित सर्वाधिक बाघ यहां है. मात्र बढता बाघ और वन्यप्राणी साथ ही मानव-वन्यप्राणी संघर्ष अब जिले के लिए चिंता का विषय बन गया है.चंद्रपुर जिले में मानव-वन्यप्राणी संघर्ष अपने चरम है. मानव-वन्यजीव संघर्ष की अधिकांश घटनाओं में तेंदूए का हमला प्रमुख है. इसलिए तेंदूए के हमलों को रोकने के लिए जिले में कारगर उपाययोजना किए जाने की आवश्यकता है.
बाघ के बजाय तेंदूआ आता है गांव में
जंगल से सटे और जंगलव्याप्त ग्रामों में जंगल पर निर्भरता वाले ग्रामीण, चरवाहे घने जंगल, बाघ के अधिवास वाले क्षेत्र में जाने के बाद ही बाघ का शिकार, बाघ के हमले में घायल होते है. परंतु तेदूआ जैसा वन्यप्राणी सीधे गांव में प्रवेश करता है, तेंदूए की खाद्य निर्भरता गांव में पूर्ण होने से उसका गांव के आसपास ही ठिकाना होता है. इसलिए गांव में, गांव के समीपस्थ और कृषि क्षेत्र में तेंदूए से मानव मृत्यु या घायल होने की घटनाएं होती है.
इसलिए गांव के छोटे बच्चों, ग्रामीण और पालतु प्राणियों की जान खतरे में बनी रहती है. इसी वजह से ही मानव-वन्यजीव संघर्ष बढता है. मानव-वन्य प्राणी संघर्ष दृष्टि से तेंदूआ-मानव संघर्ष यह सबसे खतरनाक स्थिति है. तेंदूए के गांव में आने के कारणों का समझकर उसे दूर किया जाए तो समस्या से मुक्ति मिलना संभव है. इसलिए संबंधित उपाययोजना ग्रामपंचायत एवं जिला परिषद के विभिन्न विभागों के माध्यम से एवं नियमित रूप से किया जाए तो यह समस्या दूर हो होकर तेंदूआ समस्यामुक्त ग्राम योजना ऐसे गांव में प्राथमिकता से चलाये जाने की आवश्यकता है.
12 वर्षों में 50 से अधिक ने गंवाई जान
चंद्रपुर जिले में पिछले 12 वर्षों में तेंदूए के हमले में 50 से अधिक लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी है. यह सभी घटनाएं गांवों में या गांव के समीपस्थ हुई है. तेंदूए का ठिकाना यह गांव के समीपस्थ होने और गांव में उसकी निर्भरता होने से गांव के आसपास की झाड़ियां, झुड़पी जंगल तेंदूए के पोषक है. यह उसके लिए अधिवास बन जाते है. यदि ऐसी कोई घटना होती है तो वनविभाग द्वारा गांव के आसपास के परिसर की साफ_सफाई की जाती है. बढ गई झाड़ियों को हटाया जाता है. यह अतिरिक्त काम संघर्ष के दौरान करनी पड़ती है. ऐसी घटनाएं ना हो इसलिए पूर्व नियोजन जिला परिषद चंद्रपुर के विभिन्न विभागों से समन्वय बनाकर किया जा सकता है. जिला विकास एवं नियोजन निधि में विशेष प्रावधान की आवश्यकता है.
इको प्रो ने किया पालकमंत्री का ध्यानाकर्षण
जिले में मानव-वन्यप्राणी संघर्ष के निपटारे के दृष्टि से तेंदूए के मामले में संवेदनशील ग्रामों में तेंदूआ समस्यामुक्त ग्राम योजना चलाने की मांग इको प्रो के अध्यक्ष तथा मानव वन्यजीव रक्षक बंडू धोतरे ने पालकमंत्री विजय वडेट्टीवार से की है. जिले में मानव-वन्यप्राणी संघर्ष के बारे में उक्त निवेदन की दखल लेते हुए पालकमंत्री ने जिला नियोजन भवन में आयोजित बैठक के दौरान संबंधित वनाधिकारी एवं जिला परिषद अधिकारी को विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश दिए है.
तेंदूआ समस्यामुक्त ग्राम योजना की संकल्पना इको प्रो द्वारा इससे पूर्व भी रखी गई थी. 2019 में तत्कालिन पालकमंत्री के समीक्षा बैठक में प्रस्तुतिकरण किया गया. इसके बाद ही यह योजना जिला परिषद चंद्रपुर की ओर से चलाने का निर्णय लिया गया था. इस संदर्भ में पहली बैठक ब्रम्हपुरी में लेकर संवेदनशील गांव के जनप्रतिनिधि एवं विभिन्न विभागों के अधिकारियों के साथ ली गई थी. इस वर्ष के शुरूआत से ही कोरोना के कारण आगे का काम नहीं हो पाया और इसलिए इसपर कार्यवाही करने के लिए संबंधितों को उचित निर्देश देने की विनती ज्ञापन में की है.