प्रकल्पप्रभावितों की मांगों का निपटारा किए बिना शुरू नहीं होगी केपीसीएल – अहीर

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चंद्रपुर. पूर्व केन्द्रीय गृहराज्यमंत्री हंसराज अहीर ने कहा कि केपीसीएल के सभी प्रकल्पप्रभावित किसान एवं कर्मचारियों की प्रलंबित मांगों का जब तक सम्पूर्ण रूप से निपटारा नहीं हो जाता तक इस प्रकल्प को दोबारा शुरू नहीं होने देंगे. इस संबंध में जिलाधीश और केपीसीएल के प्रबंधन के साथ निरंतर चर्चा होने की बात उन्होने कही.

2007 में हुआ था कंपनी के साथ करार

अहीर पत्र परिषद बताया कि केपीसीएल (केईसीएमएल) प्रबंधन ने प्रकल्प शुरू करने के पूर्व वर्ष 2007 में उनके समक्ष ही प्रकल्पप्रभावित किसानों की न्यायोचित मांगों और प्रकल्पप्रभावित ग्रामों की सुविधा एवं विकासात्मक प्रारूप का करार किया था मात्र उन करार का क्रियान्वयन केपीसीएल द्वारा नहीं हो रहा है. इस प्रकल्प से 250 प्रकल्पग्रस्त परिवार जुडे है.

2016 में भी ली गई बैठक

अहीर ने कहा कि केपीसीएल के माध्यम से प्रकल्पग्रस्त गांव का पुनर्वसन केन्द्र एवं राज्य सरकार के वर्तमान नीतियों के अनुसार खान शुरू होने से पूर्व होना चाहिए. इस संदर्भ में 16 मई 2016  को तत्कालिन मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़णवीस के साथ केपीसीएल के कार्यकारी संचालकों के साथ मुंबई में चर्चा हुई थी. उस समय भी पुनर्वसन का मुद्दा उठा था प्रबंधन ने अब तक पुनर्वसन नहीं किया है.

अहीर का कहना है कि बरांज मोकासा और चेकबराज यह दोनों गांव पुनर्वसित होने के कारण प्रकल्पग्रस्त किसान यहां खेती नहीं कर सकते है इसलिए खान शुरू होने से पूर्व भूमि का उचित मुआवजा और प्रकल्पप्रभावित को कायमस्वरूप में नौकरी देना जरूरी है. परंतु प्रकल्प में अब तक कई प्रकल्पग्रस्तों को रोजगार नहीं मिला है. 

कंपनी ने नहीं लौटाई जमीन

अहीर ने यह भी बताया कि 2007 में केपीसीएल के साथ हुए करार के अनुसार प्रकल्पग्रस्त किसानों की 50 प्रश खेत जमीन खेती योग्य कर वापस करने का निर्णय हुआ था इस पर भी अमल नहीं किया गया. इसलिए कंपनी कम से कम उतने राशि का मुआवजा दें, वर्ष 2015 से उक्त प्रकल्प बंद होने से प्रकल्प के कामगारों का वेतन, भविष्य निर्वाह भत्ता बकाया है. उसे अदा किया जाना चाहिए, प्रकल्प शुरू होने के बाद सभी कामगारों एवं कर्मचारियों को एनसीडब्ल्यूए वेतन संरचना के अनुसार वेतन दिया जाए, स्वयरोजगार के लिए प्रकलपग्रस्तों को प्राधान्य दिया जाए, नहीं तो कंपनी प्रबंधन को कामगारों के विरोध का सामना करना होगा.

पत्र परिषद में अहीर के अलावा नरेंद्र जीवतोडे, भाजपा किसान आघाडी के जिलाध्यक्ष राजू घरोटे, प्रवीण ठेंगणे, संजू ढाकने, नीलकंठ निखाडे, सुधीर बोढाले, राजू येले, शंकर बालपने, संदीप निमकर, रवि डोंगे समेत केपीसीएल प्रकल्पग्रस्त किसान बड़ी संख्या में उपस्थित थे.