4 दशक बाद भी MIDC खाली, उद्योग नहीं आने से बेरोजगारी बढ़ी, पालकमंत्री से लोगों को उम्मीद

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    • – करंजी गांव जिले के पालकमंत्री विजय वडेट्टीवार का पैतृक गांव है.
    • – उनके पिता नामदेव वडेट्टीवार सरपंच और भाई विलास पडेट्टीवार उपसरपंच रह चुके हैं.
    • – इसकी वजह से आज भी करंजी गांव से विजय वडेट्टीवार का लगाव है.
    • – इसलिए गांव का व्यक्ति मंत्री होने से गांव वासियों को पालकमंत्री से काफी उम्मीदें हैं.

    गोंडपिपरी. 1980 के दशक में गोंडपिपरी तहसील के करंजी की लगभग 35 एकड़ जमीन एमआईडीसी के लिए सरकार ने अधिग्रहित की. तत्कालीन बाजार मूल्य के आधार पर किसानों को मुआवजा भी मिला. किंतु 4 दशक बाद भी करंजी एमआईडीसी की जगह पर एक भी उद्योग शुरू नहीं हो पाया है. यह जगह वर्तमान में महज बुजुर्गों के मनोरंजन और टहलने के काम में आ रही है. उद्योग नहीं आने से तहसील में बेरोजगारी बढ़ती जा रही है. तहसील के उद्योग लाकर युवाओं को रोजगार देने अन्यथा किसानों को उनकी जमीन वापस करने की मांग की गई है.

    रोजगार के लिए दूसरे राज्यों का सहारा

    महाराष्ट्र-तेलंगाना सीमा पर आदिवासी बहुल गोंडपिपरी तहसील उद्योग रहित है. इसकी वजह से लगातार बेरोजगारों की वृद्धि हो रही है. तहसील में कोई उद्योग नहीं होने की वजह से ही ग्रीष्मकाल के दिनों में यहां के बेरोजगार अपने परिवार के साथ पड़ोसी राज्य में मिर्ची तुड़ाई के लिए जाते हैं. इसके अलावा अन्य बेरोजगारों को जो काम मिलता है, वह करने को तैयार हो जाते हैं. उद्योग रहित तहसील के बेरोजगारों को स्थानांतरण प्रतिवर्ष होता है. गतवर्ष के कोरोना काल में तेलंगाना गए लोगों को घर वापसी में अनेक दिक्कतों का सामना करना पड़ा था. कई लोग सैकड़ों मील पैदल चलकर किसी प्रकार अपने घरों तक पहुंचे थे.

    चुनावों तक सीमित हुआ मुद्दा

    करंजी एमआईडीसी में उद्योग निर्माण के लिए आज तक अनेक राजनीतिक दलों के साथ सामाजिक संगठनों ने पत्राचार किया. किंतु सबकुछ निरर्थक साबित हुआ है.  खाली पड़े भूखंड पर भौतिक सुविधा और सामाजिक वनीकरण के माध्यम से पौधारोपण के अलावा आज तक कुछ नहीं किया है. वहीं विधानसभा चुनाव के दौरान राजुरा से चुनाव लड़ने वाले सभी उम्मीदवार चुनावी एजंडे में करंजी एमआईडीसी में उद्योग का मुद्दा उठाते हैं. लेकिन चुनाव होते ही किसी भी विधायक ने आज तक गोंडपिपरी तहसील के एमआईडीसी की ओर ध्यान नहीं दिया है. नतीजा आज भी यह भूखंड किसी उद्योग के इंतजार की बाट जोह रहा है. राजनीतिक इच्छाशक्ति के अभाव में तहसील आज भी विकास से दूर है.

    किसानों को लौटाएं जमीन : ताडशेट्टीवार

    करंजी एमआईडीसी प्रकल्पग्रस्त समिति के अध्यक्ष अखिल ताडशेट्टीवार ने कहा कि गांव में उद्योग आने से बेरोजगारों को रोजगार मिलेगा इस उम्मीद में हमने अपनी उपजाऊ जमीन सरकार को दी थी. किंतु आज 4 दशक बाद भी यहां पर उद्योग के लिए कोई हलचल नहीं दिखाई दे रही है. इसलिए सरकार किसानों को जमीन लौटा दें.

    जिससे किसान कम से कम फसलों की पैदावार कर सके. करंजी ग्राम पंचायत के सदस्य समीर निमगड़े ने कहा कि बड़े उद्योग शुरू नहीं किए जा सकते हैं, तो स्थानीय महिला बचत समूह, सहकारी संस्था और सुशिक्षित बेरोजगारों को भूखंड का वितरण किया जाना चाहिए. पंस गोंडपिपरी के पूर्व उपसभापति तुकेश वानोडे ने कहा कि करंजी एमआईडीसी में उद्योग आए, तो तहसील में बेरोजगारों की समस्या पर मात कर सकते हैं. इसके लिए सरकार को एमआईडीसी में उद्योग शुरू करना चाहिए.