नागभीड न.प. क्षेत्र में धुम मचाने वाली बाघिन पिंजरे में कैद

  • ब्रम्हपुरी वनविभाग में बाघ को पकडने की व्यवस्था का अभाव

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तलोधी बा. नागभीड नगर परिषद क्षेत्र में बाघ ने हमला कर एक किसान को मार डाला और बामनी गांव के एक किसान को घायल कर दिया. दोनों घटनाएं चार दिनों के बीच होने से दहशत फैल गयी. किंतु ब्रम्हपुरी वनविभाग में बाघ को बेहोश कर पकडने की व्यवस्था न होने से अंत में चंद्रपूर ताडोबा से आये दल ने बाघ को ट्रैकूंलाइज कर पकडा और नागपुर के गोरेवाडा भेज दिया. जिसके बाद ग्रामीणों ने राहत की सांस ली.  

नागभीड शहर से सटकर जंगल है. इसके अलावा नये से घोषित झोडाझरी अभयारण्य की सीमा रेखा भी नप क्षेत्र से सटी है. घोडाझरी तालाब के चारों ओर के घने जंगलों में हिंसक जानवरों का निवास है. जहां से अक्सर हिंसक जानवर गांव तक आ जाते है. इसकी वजह से नागरिकों में सदा भय बना रहता है. 22 जून को बाघिन ने गोशाला में दो बछडों को मारा किंतु उसे खाया नहीं था. प्रत्यक्ष दर्शियों के अनुसार बाघिन काफी कमजोर थी. उसने दो बछडों का शिकार किया और बछडे के पास बैठी थी किंतु उसे खाया नहीं. जिससे अनुमान लगाया जारहा है कि बाघिन के दांतों में कुछ तकलीफ हो सकती है. इस घटना की सूचना ब्रम्हपुरी वनविभाग को दी गई कि बामनी में बाघ है जिसे ट्रैकूंलाईज करना है किंतु उनके पास बाघ को ट्रैकूंलाईज करने की व्यवस्था न होने से शाम चार बजे से रात 10 बजे तक इंतजार करना पडा. ताडोबा से पहुंची टीम ने बाघिन को ट्रैंकूलाईज कर पिंजरे में कैद कर लिया. बाघिन को देखने वालों का भारी जमावडा लगा था. जब बाघिन को पिंजरे में कैद कर लिया गया तो लोगों ने राहत की सांस ली है. पकडी गई बाघिन काफी कमजोर होने की वजह से उसे आज नागपुर के गोरेवाडा भेजा गया है. क्योंकि बाघिन को देखने वालों का अनुमान है कि बाघिन काफी कमजोर है संभावना है कि उसने कई दिनों से कुछ नहीं खाया है. आज उसे मुर्गी खाने को दी गई तो उसे खा गई. किंतु रात में उसने दो बछडों को मारा था किंतु उसमें से एक भी नहीं खाया था. 

कोलारा से पकडे बाघ की गोरेवाडा में मृत्यु
ताडोबा अंधारी व्याघ्र प्रकल्प से सटे चिमूर तहसील के गांव में पांच लोगों को मारने वाले बाघ को बेहोश कर गोरेवाडा रेस्क्यू सेंटर भेजा गया था. किंतु आज दोपहर केटी 1 बाघ की मृत्यु होने से वनविभाग में खलबली मची है. 

ताडोबा परिसर में बाघ ने काफी दहशत मचा रखी थी. इस बाघ ने 5 लोगों का शिकार किया था. जिसके बाद इसे पिंजरे में कैद करने की मांग उठने लगी. साथ ही जिप सदस्य गजानन बुटके ने भी बाघ को कैद करने की मांग की थी. ग्रामीणों की मांग पर वनविभाग की टीम ने कैमरे और पिंजरा लगाया था. उसे 1 जून को कोलारा में पिंजरे में कैद कर गोरेवाडा रेस्क्यू सेंटर भेजा गया था. बाघ के पोस्टमार्टम के बाद ही उसके मृत्यु का कारण ज्ञात हो सकेगा.