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चंद्रपुर: विगत 8जनवरी 2021 को भंडारा जिला अस्पताल में नवजात शिशु केअर यूनिट में आग लगने से सात बच्चों की जलने की दुर्भाग्यपूर्ण घटना ने सभी को सकते में ला दिया था. राज्य के सभी जिला अस्पतालों में इस तरह की कोताही ना हो इस संदर्भ में स्वास्थ्य विभाग ने कड़े निर्देश जारी किए और इस घटना की पुनरावृत्ति ना हो इसके लिए सभी जिला अस्पतालों में कड़े उपाय करने एवं सात दिनों के भीतर फायर सेफ्टी ऑडिट की खामियों को दूर करने के निर्देश दिए गए थे. परंतु 15 दिन बीतने के बाद भी जिला अस्पताल में फायर सेफ्टी ऑडिट की दिशा में कोई कदम उठाया नहीं गया है. स्थिति जस की तस बनी हुई है. इस संदर्भ में डीन का कहना है कि एजेंसी को जिम्मेदारी दी गई है. शीघ्र काम शुरू होगा.

चंद्रपुर जिला अस्पताल अर्थात मेडिकल कालेज में जिले से और जिले के बाहर से भी रोगी उपचार के लिए आते है. साथ ही महाराष्ट्र की सीमा से लगा क्षेत्र होने से तेलंगाना से भी कई मरीज उपचार के लिए यहां लाये जाते है. जिला अस्पताल की प्रतिदिन की ओपीडी आसपास 700  से अधिक है. इसके चलते यहां मरीजों और उनके रिश्तेदारों की निरंतर रेलचेल रहती है.  साथ ही महिला अस्पताल की स्वतंत्र इमारत बनकर तैयार है परंतु यहां मेडिकल कालेज शुरू किया गया है. इसके चलते प्रसूति कक्ष जिला अस्पताल परिसर में शुरू है. साथ ही शिशु केअर सेंटर भी इसी परिसर में है. 

जिला सामान्य अस्पताल में फायर सेफ्टी इन्फ्रास्टक्चर निर्माण करने की जिम्मेदारी सार्वजनिक निर्माणकार्य विभाग को दी गई है. इसके लिए अस्पताल प्रबंधन में डीपीडीसी से 84लाख रूपयों का बजट तैयार कर लोकनिर्माण विभाग को फायर सेफ्टी ऑडिट की जिम्मेदारी सौपी गई थी. यहा एक लाख लीटर क्षमता का टैंक बनाये जाने के अलावा किसी तरह कोई और काम नहीं हुआ है. भंडारा घटना के बाद यहां केवल सिक न्यूबॉर्न केअर यूनिट (एसएनसीयू) कक्ष के इलेक्ट्रिक व्यवस्था को ठीकठाक किया और आग बूझाने के लिए उपयोग में लाये जानेवाले उपकरण की जांच की गई है.

ध्यान रहे कि किसी भी नवनिर्मित निर्माण मे समय ही फायर सेफ्टी ऑडिट की व्यवस्था की जाती है. इसके लिए स्वतंत्र पानी की टैंक से लेकर पूरी इमारत में पाईप लाईन बिछाने और जगह जगह पर वॉल्व लगाने की व्यवस्था करनी होती है. जिला अस्पताल का निर्माण जिस समय हुआ उस समय फायर सेफ्टी ऑडिट की कोई परिकल्पना नहीं थी. आग जैसी घटना पर अंकुश लगाने के लिए गैस भरे सिलेंडर और रेत से भरी बॉल्टी जगह लगाई जाती थी. यही स्थिति यहां जिला अस्पताल में है. इस समय पुराने ढांचे में बने जिला अस्पताल में फॉयर सेफ्टी ऑडिट की व्यवस्था करना काफी खर्चीला काम है यही कारण है कि कुछ खानापूर्ति कर पीडब्ल्यूडी विभाग ने काम अधूरा छोड़ दिया है. 

भंडारा अग्निकांड घटना के बाद भाजपा की कुछ महिला पदाधिकारियों ने हाल ही में जिला अस्पताल का दौरा कर स्थिति का जायजा लिया तो यहां अग्निशमन व्यवस्था के संदर्भ में खामियां सामने आयी. अग्निशमन के संबंध में जिला सामान्य अस्पतालको एनओसी नहीं मिली है.

एजेंसी को काम दिया गया है: डा. हुमने

इस संदर्भ में चंद्रपुर मेडिकल कालेज के डीन डा. अरूण हुमने को पूछा गया तो उनका कहा कि भंडारा की घटना के बाद से राज्य के सभी जिला सामान्य अस्पतालों फायर सेफ्टी ऑडिट को गंभीरता से लिया गया है यहां भी यहां भी फायर सेफ्टी उपायों के लिए संबंधित एजेंसी को काम दिया गया है.