Three level interchange on highway - vector illustration
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    चंद्रपुर: पुराना वरोरा नाका उड्डानपुल के दीक्षाभूमि की ओर जानेवाले हिस्से को काम पूरा होने के बाद भी संबंधित विभाग द्वारा शुरू नहीं किया जा रहा है. इसके चलते बंगाली कैम्प, तुकूम से ट्रैफिक कार्यालय होकर सिंधी कालोनी, दाताला रोड, एमआयडीसी, घुग्घुस आदि जानेवाले लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. लोगों का कहना है कि थोड़े से के लिए उन्हें 1 किमी का फेरा मारकर आना पड़ता है.

    इससे पेट्रोल और समय की बर्बादी हो रही है. पुल बनाने में 10 साल लग गए और और अब इस शुरू करने में और कितने साल लगेगे यह सवाल अब सभी सर्वसामान्य नागरिक उठा रहे है. लोगों का कहना है कि जब इस पुल का निर्माण जनता की सुविधा के लिए हुआ है तो फिर इसे जनता की सेवा के लिए शुरू करने में आखिर क्या दिक्कत है. 

    उल्लेखनीय है कि पुराना वरोरा चौक यातायात समस्या के संदर्भ में वर्षों से चर्चाओं में रहा है इस क्षेत्र में पहले जो पूल बनाया गया था उसके चलते आएदिन दुर्घटनाएं होती थी. दुर्घटनाओं में मरनेवालों का आंकड़ा 50 को पार कर गया था. इसके बाद डबल डेकर पुल बनाने का सुझाव सामने आया जिसका भी काफी विरोध हुआ. आखिरकार एक साईड का पुल बना दिया गया परंतु दूसरे साईड का काम पिछले दस वर्षों से अधिक समय से कछुआ गति से चल रहा है.

    पुल के इस हिस्से का काम पूरा होने के बाद भी इसे शुरू ना कराने के पीछे क्या वजह हो सकती है यह किसी के समझ में नहीं आ रहा है. संबंधित विभाग भी चुप्पी साधे हुए है. लोगों का कहना है कि मात्र दो माह में नागपुर में बड़े बड़े पुलों का निर्माण संभव हो गया और यहां एक पुल बनाने में दस साल लग गए और अब भी लोगों को इसकी पूरी सुविधा नहीं मिल पा रही है.लोग परेशानियां ही झेलते नजर आ रहे है. पुल के दीक्षाभूमि की ओर जानेवाले हिस्से की शुरूआत नहीं होने पर लोगों ने तीव्र प्रतिक्रिया जताते हुए संबंधित प्रशासन और जनप्रतिनिधियों पर सवाल उठाये है.

    उद्योजकों को काफी समस्याएं: रूंगठा

    एमआयडीसी एसो. के अध्यक्ष मधुसुदन रूंगठा का कहना है कि पुल के दीक्षाभूमि वाले हिस्से के शुरू नहीं होने के कारण बंगाली कैम्प, तुकूम परिसर और बस स्टैंड परिसर से आनेवाले सामान्य नागरिकों और उद्योजकों को एमआयडीसी जाने के लिए जनता कालेज चौक घुमकर आना पड़ता है. इससे समय और पेट्रोल_डीजल की बर्बादी हो रही है. लोगों को काफी परेशानी हो रही है.

    जितना जल्दी हो सके इस शुरू करना चाहिए: सिंघवी

    चेम्बर आफ कामर्स के अध्यक्ष हर्षवर्धन सिंघवी का कहना है कि लोगों को हो रही परेशानी को देखते हुए जितना जल्द हो सके इस पुल को शुरू किया जाना चाहिए. नीचे के क्षेत्र से गुजरते हुए जान हथेली पर रखकर गुजरना पड़ता है. बीच बीच में गड्ढे भी है जिससे दुर्घटना का खतरा बना रहता है.

    इमरजेंसी में लोगों को पेश आ रही है दिक्कतें: खत्री

    चेम्बर आफ कामर्स के पदाधिकारी सदानंद खत्री का कहना है कि पुल का काम यदि पूरा हो चुका है तो इसे जनता के लिए शुरू कर देना चाहिए, बस स्टैंड, सिध्दार्थ होटल से होकर आनेवाले लोगों को परेशानी हो रही है. किसी को इमरजेंसी है या मरीज को अस्पताल पहुंचाना हो तो काफी समस्या निर्माण हो जाती है. ऐसे में मरीज के जान जाने का भी खतरा है. जितना जल्द हो सके इसे शुरू किया जाना चाहिए.

    बनाने में दस साल लगा दिए शुरू कराने में कितना और समय लगेगा: जयस्वाल

    टूव्हीलर वाहनेां के व्यवसायी वैभव जयस्वाल का कहना है कि पुल के निर्माण में जनता का पैसा लगा है और जनता को ही तकलीफ उठानी पड़ रही है. इस पुल को बनाने में दस साल लगा दिए गए और अब इसे शुरू कराने में और कितना समय लगेगा.

    रांग साईड से दुर्घटना का खतरा: बलकी

    व्यवसायी शरद बलकी का कहना है कि इस पुल को बने काफी समय हो गया है. फिर भी यह शुरू नहीं किया गया है. दीक्षाभूमि की ओर जानेवाला हिस्सा शुरू ना होने से लोगों को रांग साईड जाना पड़ता है. इससे दुर्घटना का खतरा अधिक है.

    समस्या है तो उसे शीघ्र सुलझाना चाहिए: चौधरी

    व्यवसायी दीपक चौधरी का कहना है कि पुल के दीक्षाभूमि की ओर जानेवाला हिस्सा शुरू नहीं होने से काफी दिक्कतें पेश आ रही है. पता क्यो नहीं शुरू किया जा रहा है. लोगों को इससे परेशानी है तो यह शुरू करना चाहिए.

    चौक में दुर्घटना का खतरा ज्यादा: धोटे

    वरोरा नाका चौक में झेराक्स व्यवसायी पराग धोटे का कहना है कि वरोरा नाका स्थित उड्डान पुलिया के रामनगर की ओर जानेवाला हिस्से का निर्माण पुरा होने के बाद भी उसे शुरू नही किया गया इसके कारण जनता को दिक्कत का सामना करना पड रहा हैं जैसे की लगभग २ किलोमीटर ज्यादा घुम के आना पड रहा हैं इस्के कारण बेवजह चौराहे पर वाहनों की आवाजही बड जाने से हादसा होने की संभावना बड रही हैं.

    नियोजना के अभाव के चलते समस्या: चकनलवार

    व्यवसायी निलेश चकनलवार का कहना है कि बजट बनाते समय ही त्रृटियां के निपटारे का नियोजन होना चाहिए, मनपा और पीडब्ल्यूडी के बीच समन्वय नहीं होने से यह समस्या निर्माण हुई है. नियोजन भवन का निर्माण ही इसलिए किया गया है कि सभी अधिकारी किसी योजना को पूरा करने के पहले पूरी तरह से नियोजन करे.