बारिश: जिवती, कोरपना व राजुरा में तबाही, सर्वे के काम में जुटे राजस्व कर्मी,

    Loading

    चंद्रपुर. बुधवार और गुरुवार को हुई अतिवृष्टि में सर्वाधिक रूप से जिवती, कोरपना और राजुरा में सर्वाधिक रूप से नुकसान हुआ है. यहां न केवल खेतों में खड़ी फसल तहस-नहस हो गई, बल्कि कच्चे मकान ढह गए. मवेशियों के पानी के बहाव में बहने से किसानों का भारी नुकसान हुआ है.

    इसमें जिवती तहसील में केवल 24 घंटे में ही 200.7 मिमी बारिश दर्ज की गई थी. यहां जनजीवन पूरी तरह से प्रभावित हुआ. कच्चे घरों और खेतों का भारी नुकसान हुआ. बल्लारपुर तहसील में 190.6 मिमी बारिश हुई. यहां बारिश ने भारी तबाही बचाई. घरों और खेतों का भारी नुकसान हुआ है.

    चंद्रपुर में 112.8 मिमी, गोंडपिपरी में 77 मिमी, पोंभूर्णा में 83.1 किमी, मूल में 113.4 मिमी, सावली में 73.7 मिमी, सिंदेवाही में 85.7 मिमी, राजुरा में 145.6 मिमी, कोरपना  140.8 मिमी, वरोरा में 61.6 मिमी, भद्रावती में 63 मिमी, चिमूर में 44 मिमी, ब्रम्हपुरी में 26.8 मिमी, नागभीड़ में 46.4 मिमी कुल मिलाकर 1465.2 मिमी बारिश हुई अर्थात एक ही दिन में 97.7 मिमी बारिश हुई. इस एक दिन की बारिश ने सबकुछ तबाह कर दिया.

    एक दिन में 200 मिमी वर्षा

    सीमावर्ती जिवती तहसील पर इसका सर्वाधिक प्रभाव रहा. यहां एक दिन में 200 मिमी बारिश ने तहसील में हाहाकार मचा दिया. आदिवासी बहुल जितवी तहसील के भारी, बाबापुर, शेडवाही, चिमलाटीगुडा, भोडमकम्पी, पाटन, चिखली, नंदप्पा, धोंडाअर्जुनी, दमपुर मोहदा, पुडियाल मोहदा, गुडशेल, शेडवाही, येरमीयेसापुर, सेवादासनगर, महाराजगुडा, जोडनघट, वणी ( बु.) आदि गांवों के किसानों का भारी नुकसान हुआ है. पूरी तहसील में किसी तरह कोई उद्योगधंधा नहीं है.

    लोगों का जीवन खेती पर निर्भर है. निरंतर बारिश का ऐसा असर हुआ कि सैकड़ों हेक्टेयर फसल बह गई. यहां का किसान खरीफ में सोयाबीन और कपास की फसल लेता है. कर्ज उठाकर कई किसानों ने बीज, खाद खरीदकर फसल ली थी और फसल भी अच्छी तैयार होने लगी थी कि बारिश ने कहर बरपा दिया.

    खेतों के साथ कच्चे मकानों के ढह जाने से कई लोगों को भारी बारिश में भीगते हुए रात गुजारनी पड़ी. कई जगहों पर विशाल पेड़ धराशायी होने, पुलिया बह जाने से आवागमन का मार्ग प्रभावित हुआ है. यहां राजस्व विभाग की टीमें सर्वे करने में जुटी है. वहीं लोकनिर्माण विभाग द्वारा पेड़ों का हटाकर रास्तों को दुरुस्त किया जा रहा है.

    फसलों का काफी नुकसान

    जिवती के बाद कोरपना में सबसे अधिक बारिश होने से यहां भी खेती का बड़े पैमाने पर नुकसान हुआ है. तहसील के मुख्यालय कोरपना सहित पारडी, परसोड़ा, कोठोड़ा, मेहंदी, जेवरा, अकोला, रायपुर, कन्हालगांव, रूपापेठ, सावलहीरा, जांभुलधरा, खैरगांव, कमलापुर, धानोली, पिपरडा, चिंचोली, कारगांव, येरगव्हान, निजामगोंदी, झुलबर्डी, अंतरगांव, पिपरी, तुलसी कोडशी, नारडा, भारोसा, इरई, सांगोडा, कारवाई, सोनुर्ली, शेरज, माथा, लोणी, वनोजा में कपास और सोयाबीन फसल का भारी नुकसान हुआ. यहां 38,000 हेक्टेयर से अधिक कृषि भूमि बाढ़ के कारण प्रभावित हुई है. इसके अलावा पकडीगुडम का पानी छोड़े जाने से मछुआरों का लाखों रुपए का मत्स्यबीज पानी में बह गया.

    खेत बन गए तालाब

    जिवती और कोरपना की तरह राजुरा में भी नालों में आई बाढ़ ने भारी तबाही मचाई. यहां एक ही दिन में 146 मिमी से अधिक बारिश हुई. खेत तालाब बन गए. कच्चे मकानों का सामान, अनाज पानी में डूब गया. यहां कपास, सोयाबीन एवं अन्य फसल का लगभग 3,397 हेक्टेयर क्षेत्र में फसल का नुकसान हुआ है. इस समय जोरदार बारिश के कारण नदी और नालों के पास खेत भूमि उखड़कर बारिश में बह गई. बाढ़ से आई रेत और मिट्टी के कारण फसल जमींदोज हो गई.

    इस दौरान कुदरत की मार ने किसानों को रोने के लिए विवश कर दिया. राजुरा तहसील में 50 से अधिक ग्रामों पर अतिवृष्टि का असर हुआ. राजुरा तहसील के सिंधी, विरूर, धानोरा, चिंचोली, गोवरी, चार्ली, धिडशी, पोवनी, डोंगरगांव, खामोना, हरदोना, चिंचाला, टेंभुरवाही, सुमठाना, धोपटाला, पांचगांव, भुरकुंडा, भेडोडा, सोंडो, विहीरगांव आदि गांवों का समावेश है. किसानों ने फसल के लिए बैंक, निजी तौर पर कर्ज लेकर बुआई की थी. इस वर्ष अच्छी फसल की अपेक्षा थी. लेकिन प्रकृति ने सबकुछ तबाह कर दिया.

    अधिकारियों ने लिया जायजा

    इस भीषण परिस्थिति का उपविभागीय अधिकारी संपत खलाटे, तहसीलदार हरीश गाडे, तहसील कृषि अधिकारी विकास मखपल्ले, नायब तहसीलदार अतुल गांगुर्डे, डोणगांवकर, मंडल अधिकारी गोरे ने सम्पूर्ण क्षेत्र का दौरा किया. सभी पटवारियों को नुकसान का सर्वे कर नुकसान भरपाई के प्रस्ताव तैयार करने को कहा. प्राथमिक अंदाज में नुकसान के आंकड़े सामने आए हैं. प्रत्यक्ष में इससे अधिक नुकसान होने का अंदाजा है.