गोंडपिपरी. जून महीने के प्रथम सप्ताह में जिले में मानसून का आगमन हुआ. कोरोना के संकट से जूझ रहे किसान समय पर आए मानसून से खुश थे. जिसके बाद उन्होंने बुआई शुरू की. किंतु पखवाड़े भर बाद भी बरसात के गायब होने से किसान चिंता में है. उन पर दुबारा बुआई करने की नौबत आने की आशंका बढ़ती जा रही है. कोरोना वायरस के कारण आर्थिक संकट से जूझ रहे किसानों के सामने एक और संकट आ गया है.
कपास, सोयाबीन, धान की पैदावार
गोंडपिपरी तहसील में कपास, सोयाबीन और धान फसलों की पैदावार ली जाती है. बरसात के शुरू होते ही खरीफ मौसम की शुरुआत हुई. किसी प्रकार किसानों ने अपने खेतों में बुआई की. वाहनों का परिवहन ठप होने से किसानों को पैदल जाकर बीज, खाद निजी वाहनों को मनमाना किराया देकर लाना पड़ा. किंतु बरसात नहीं होने से किसानों के सामने विकराल समस्या आ गई है.
मौसम की बेरूखी से अब किसान हलाकान हो रहे हैं. गोंडपिपरी कृषि उपज बाजार समिति के सभापति सुरेश चौधरी ने संकट में फंसे किसानों को कर्ज देने वाली बैंकों से तुरंत कर्ज उपलब्ध कराने तथा बिजली विभाग से बिल माफ करने की मांग की है.