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    दुर्गापुर. जिला परिषद व पंचायत समिति के चुनाव के लिए केवल 6 महीने रह गए हैं. इसके मद्देनजर इच्छुक उम्मीदवारों द्वारा अंदर ही अंदर सुगबुगाहट शुरू हो गई है. लेकिन आरक्षण का रोस्टर निकलने में अभी काफी समय है. इच्छुक उम्मीदवारों में चिंता यही है कि तैयारी करू और रोस्टर में उनके वर्ग वाला नहीं निकला, तो मेहनत बेकार जाएगी. इसी दुविधा में कई उम्मीदवार पिछले कई चुनाव के रोस्टर की सूची पर गौर फरमा रहे हैं.

    निजी बैठकों में हो रहीं चर्चाएं

    जिला परिषद व पंचायत समिति के चुनाव के कुछ महीने पहले निर्वाचन आयोग द्वारा अलग-अलग वर्ग का रोस्टर निकाला जाता है. जिसके तहत सर्वसाधारण अथवा महिला, अनु. जाति सर्वसाधारण, महिला अनसूचित जनजाति वर्ग के स्त्री-पुरुष से कोई भी अथवा सिर्फ महिला के लिए आरक्षित घोषित होती है.

    इतने सारे आरक्षण के वर्ग में रोस्टर में किस वर्ग का उम्मीदवारी निश्चित हो पाएगा, आज बता पाना मुश्किल है. इसे लेकर नेताओं की निजी बैठकों में चर्चाएं हो रही हैं. 2022 में जिला परिषद के होने वाला चुनाव से पहले निकाले जाने वाले रोस्टर में आरक्षण किस वर्ग का होगा, इसका अंदाजा लगाने से पहले पिछले कई चुनाव में हुए आरक्षण पर ध्यान देने की जरूरत है. 

    हर बार बदला आरक्षण

    पंचायती राज की सबसे ऊपरी संस्था जिला परिषद का 1997 में जब चुनाव हुआ तब दुर्गापुर और ऊर्जानगर दोनों मिलाकर एक ही चुनाव क्षेत्र था. उस समय अनुसूचित जाति सामान्य के लिए आरक्षित था. तब विनोद दुर्योधन निर्वाचित हुए थे. वर्ष 2002 में ऊर्जानगर अलग जिला परिषद क्षेत्र बन गया था. उस समय ओबीसी महिला के लिए आरक्षित थी, तब चित्रा डांगे चुनी गई थीं. 2007 में अनुसूचित जाति सामान्य के लिए आरक्षित था तब विलास टेंभुर्णे विजयी हुए थे.

    2012 में अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित रहने पर शांताराम चौखे ने जीत हासिल की. 2017 के रोस्टर में ओबीसी महिला के लिए आरक्षित होने पर वनिता आसुटकर निर्वाचित होकर जिला परिषद सदस्य के रूप में वर्तमान में काम कर रही है. उनका कार्यकाल फरवरी 2022 तक रहेगा. अब जिला परिषद चुनाव सामान्य और अनु. जाति महिला के लिए आरक्षण नहीं निकला है. इसलिए लोगों में उम्मीद है आगामी 2022 में ऊर्जानगर जिला परिषद सीट का आरक्षण सर्वसाधारण वर्ग सामान्य अथवा महिला के लिए हो सकता है.