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    चंद्रपुर. कोरोना संकट ने बच्चों की पढ़ाई पर काफी असर डाला है. पिछले वर्ष की तरह इस वर्ष भी शहरी से लेकर ग्रामीण सभी स्कूली बच्चों को आनलाइन पढ़ाई पर निर्भर होना पड़ा है. किंतु आनलाइन पढ़ाई का कोई खास असर नहीं हो पा रहा है. आर्थिक समस्याओं से जूझ रहे अभिभावक अपने बच्चों को आनलाइन पढ़ाई कराने में सक्षम नहीं है. वहीं ग्रामीण क्षेत्रों में तो इससे बुरे हाल है.

    महंगे फोन दिलाने के बाद भी ग्रामीण बच्चों को आनलाइन पढ़ाई समझ से परे है. ऐसे में यह प्रयास किए जा रहे हैं कि कम से कम 8वीं से लेकर 12वीं के विद्यार्थियों की आनलाइन पढ़ाई के बजाय आफलाइन पढ़ाई शुरू की जाए. राज्य की शिक्षा मंत्री वर्षा गायकवाड़ ने 15 जुलाई तक इस संदर्भ में निर्णय लेने की बात कही है. इस दिशा में शिक्षा विभाग ने स्कूल शुरू करने की सारी जिम्मेदारी अब संबंधित ग्राम पंचायतों और बच्चों के पालकों पर डाल दी है.

    जिन गांवों में मरीज नहीं वहां होगी शुरुआत

    शिक्षा मंत्री गायकवाड़ का कहना है कि जिन ग्रामों में कोरोना लगभग पूरी तरह से समाप्त हो चुका है और वहां नए मरीज नहीं मिल रहे हैं, वहां शिक्षा शुरू करने पर सरकार विचार कर रही है. इस संदर्भ में 15 जुलाई तक निर्णय लिया जाएगा. शासन के इस निर्णय को देखते हुए शिक्षा विभाग ने स्कूलों के माध्यम से ग्राम पंचायतों को पत्र भेजकर कोरोनामुक्त ग्रामों में स्कूल शुरू करने का प्रस्ताव भेजने के निर्देश दिए हैं. साथ ही अभिभावकों की सहमति भी इस मामले में मायने रखती है. ग्रामीण क्षेत्रों में स्कूल शुरू होगी या नहीं यह ग्राम पंचायतों पर निर्भर है.

    डेढ़ वर्ष से हो रहा शैक्षणिक नुकसान

    पिछले डेढ़ वर्ष से जब से कोरोना महामारी का संक्रमण देश में छाया हुआ है, उसी समय से स्कूली पढ़ाई पूरी तरह से प्रभावित हो गई है. पिछले शैक्षणिक सत्र में लगातार कई महीनों तक स्कूलों को ताले लटके रहे. बीच में नंवबर, दिसंबर और जनवरी में स्कूल शुरू कर पढ़ाई प्रारंभ की गई थी. किंतु कोरोना की दूसरी लहर के पैर पसारने के कारण स्कूलों को बंद कर दिया गया. हालात यह थे कि कक्षा 10वीं और 12वीं की परीक्षाओं को भी स्थगित कर बच्चों का आनलाइन मूल्यांकन कर उन्हें अंक देने का प्रयास किया जा रहा है. वहीं पहली से लेकर 9वीं के विद्यार्थियों को सीधे अगली कक्षा में प्रमोट कर दिया गया है. इस वर्ष भी कोरोना का संकट छाया हुआ है. तीसरी लहर की चेतावनी सिर पर तलवार की तरह लटक रही है. इसके बावजूद राज्य सरकार कोरोनामुक्त ग्रामों में स्कूल शुरू करने पर विचार कर रही है.

    जिले में 2,504 स्कूल

    जिले में कुल 2,504 स्कूल हैं. इनमें से 1,637 शासकीय, 489 अनुदानित, 378 गैर अनुदानित स्कूल हैं. वहीं जिले में 1,836 ग्राम हैं. जिले में अधिकांश तहसीलों में कोरोना के मरीजों का प्रमाण लगभग समाप्त हो चुका है. अब नए मरीज नहीं सामने आ रहे हैं. ऐसे में कोरोना नियमों का पालन कर स्कूलों को शुरू कर प्रभावित हो रहे विद्यार्थियों के भविष्य की रक्षा की जा सकती है. ग्राम पंचायतों का इस संदर्भ में क्या रूख रहेगा इस ओर सभी की निगाहें टिकी हुई हैं.

    सोमवार-मंगलवार तक स्पष्ट होगी स्थिति

    “सरकार से प्राप्त निर्देशों के तहत गुट शिक्षाधिकारियों के माध्यम से ग्राम पंचायतों को प्रस्ताव लेने के संदर्भ में सूचना दी गई है. ग्राम पंचायतों के निर्णयों से प्रशासन को अवगत कराया जाएगा. आने वाले सोमवार, मंगलवार तक स्थिति पूरी तरह से स्पष्ट हो जाएगी कि आगामी 15 जुलाई से कोरोनामुक्त ग्रामों में स्कूल शुरू होगी या नहीं.”

    – उल्हास नरड, माध्यमिक शिक्षाधिकारी