बाघिन का मिला शव, मौत का कारण अज्ञात

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चंद्रपुर/ सिंदेवाही. ब्रम्हपुरी वनपरिक्षेत्र अंतर्गत आनेवाले सिंदेवाही तहसील के रत्नापुर के जंगल में एक बाघिन की लाश मिलने से वनविभाग में खलबली मच गई. वनविभाग की टीम ने मौके पर पहुंचकर बाघिन के शव का पंचनामा बनाकर उसका शव जला दिया.

आज शनिवार 12 दिसंबर को रत्नापुर जंगल परिसर में नियमित गश्त करते हुए रत्नापुर के वनरक्षक जे.एस. वैद्य, उनके सहयोगियों को कंम्पार्टमेंट क्र.45 में बाघ का शव नजर आने पर उन्होने तुंरत इसकी सूचना सुबह 9 बजे क्षेत्र सहायक एस.वाय. बुल्ले को मोबाईल पर दी.जानकारी मिलते ही क्षेत्र सहायक एस.वाय. बुल्ले ने सुबह 9.05 बजे वन परिक्षेत्र अधिकारी सिंदेवाही ए.पी.मेंढे को इसकी जानकारी दी. मेंढे एवं अन्य वनाधिकारी घटनास्थल पहुंचे. मृत बाघ का मुआयना किया और घटना की जानकारी वरिष्ठों को दी.

सूचना मिलने पर उपवरसंरक्षक ब्रम्हपुरी वनविभाग दिपेश मल्होत्रा, विभागीय व्यवस्थापक ब्रम्हपुरी आदिती भारद्वाज, सहायक वनसंरक्षक रामेश्वरी बोंगाले, एनटीसीए के प्रतिनिधि, मानद वन्यजीव रक्षक बंडू धोतरे, प्रधान मुख्य वनसंरक्षक वन्यजीव के प्रतिनिधि विवेक करंबेडकर, पशुधन विकास अधिकारी डा. पी.आर. खोब्रागडे, डा. एस.एस. गव्हारे, ट्रॉजिट ट्रीटमेंट सेंटर चंद्रपुर के पशुचिकित्सक डा. कुंदन पोडचलवार, वनपरिक्षेत्र अधिकारी नागभीड़ एम.बी. गायकवाड अदि घटनास्थल पर पहुंच गए.

मृत बाघिन का पोस्टमार्टम डा. पी.आर.खोब्रागडे, डा. एस.एस. गव्हारे, डा. कुंदन पोडचलवार ने किया. 

मृत बाघिन के सभी अंग, चारों पंजों के नाखून, नुकीले दांत, मूंछे सभी सही सलामत पाये गए. इसकी मौत दो से तीन दिन पूर्व होने का अनुमान है. बाघिन की मौत अंतर्गत रक्तस्त्राव से होने का प्राथमिक अंदाज पशुचिकित्सकों ने व्यक्त किया. बाघिन पूर्ण रूप से विकसित हो चुकी थी.पोस्टमार्टम के समय उसका विसेरा लिया गया. जिसे जांच के लिए प्रयोगशाला में भेजा जाएंगा जिससे उसकी मौत का सही कारण पता चल पाएगा. बाघिन के शवविच्छेदन के बाद वनाधिकारियों एवं उपस्थित अन्य सभी के समक्ष उसका शव जला दिया गया.