- पूरा हो चुका है दूसरे छोर का निर्माणकार्य
चंद्रपुर: वरोरा नाका चौक में स्थित उड्डानपुल के दूसरे चरण का निर्माण पूरा होने के बाद अब यह उड्डानपुल पूरी तरह से यातायात के लिए तैयार है. इसके बावजूद इस उड्डान पुल के दीक्षाभूमिक की ओर जानेवाले छोर से यातायात अब तक शुरू नहीं की गई है. पूरी तरह से तैयार होने के बाद भी इसे शुरू करने में किस मुहूर्त की प्रतीक्षा की जा रही है इस ओर सभी की निगाहें टिकी हुई है. ऐन गणतंत्र दिवस के पूर्व इसे रंगरोगन करने किए जाने से लोगों में उम्मीदें जागी थी संभवत गणतंत्र दिवस पर इसकी शुरूआत होगी परंतु ऐसा नहीं हुआ.
विदित हो कि तत्कालिन महाराष्ट्र सरकार ने मार्च 2010 में 15 करोड़ लागत से बनने वाले इस पुल की हरी झंडी दी थी और इसका ठेका अजय मंगल पाल एन्ड कंपनी को दिया था. इसके निर्माण की शुरूआत 24 अगस्त 2011को हुई और तब से लेकर अब तक पिछले एक दशक से यह पुल निर्माण की प्रक्रिया से ही गुजर रहा है.
हालांकि पांच वर्ष पूर्व से ही इसके पहले चरण का काम पूरा होने के साथ ही यातायात प्रारंभ हो गई परंतु दूसरे चरण का काम कछुआ गति से चलता रहा. अब दूसरे चरण का काम पूरा हो चुका है इसके बावजूद उस दिशा में यातायात शुरू नहीं किया गया है. पुल से नीचे से दीक्षाभूमि की ओर जानेवाले और उस ओर से आनेवाले वाहनों की वजह से चौक में रोजाना दुर्घटना का खतरा बना हुआ है.
50 लोगों ने दुर्घटनाओं में अपनी जान
वरोरा नाका चौक में यातायात की समस्या शुरू से ही सिरदर्द का कारण बनी हुई है. यहां यातायात की समस्या को देखते हुए समस्या को सुलझाने के लिए पहले कई तरह के प्रयोग किए गए परंतु कोई भी प्रयोग कारगर साबित नहीं हो पाया. यहां लगातार दुर्घटनाओं की श्रृंखलाएं शुरू हो गई और देखते ही देखते चंद वर्षों में ही यहां 50 से अधिक लोगों ने अलग अलग दुर्घटनाओं में अपनी जान गंवाई जिसके चलते पुल के निर्माण की मांग उठी और इसके लिए कई तरह के आंदोलन होने पर पुल तो बना दिया गया परंतु उसमें कई तरह की खामियां सामने आयी और दुर्घटनाओं का सिलसिला इसके बाद भी जारी रहने के बाद डबल डेकर पुल का प्रस्ताव सामने आया जिसे लेकर भी काफी विरेाध हुआ.
पुल बनने के बाद भी सामने आयी तकनीकी खामियां
भाजपा शासनकाल में नए पुल का प्रस्ताव आने के बाद इसे हरी झंडी मिली और निर्माण शुरू होने के बाद 5 से 6 वर्ष तो इस पुल के निर्माण को ही लग गए और लगभग 6 वर्ष बाद पुल का पहला चरण पूर्ण कर नागपुर मार्ग की यातायात शुरू की गई. आंबेडकर कालेज व दीक्षाभूमि की दिशा में जानेवाली यातायात का मसला फिर से निर्माण हो गया. ऐसे में नागपुर स्थित विश्ववैरैय्या राष्ट्रीय इंजीनियरिंग इन्स्टिटयूट (वीएनआईटी) के विशेषज्ञ इंजीनियरों की सहायता ली गई जिसके बाद ट्रैफिक आफिस चौक से दीक्षाभूमि की ओर जानेवाले पुल के दूसरे चरण के निर्माणकार्य की शुरूआत हुई.
परंतु यह निर्माणकार्य कछुआ गति से चलता रहा. निर्माणकार्य में हो रही देरी को देखते हुए जिलाधिकारी ने संबंधित ठेका कंपनी को प्रतिदिन के हिसाब से दंड लगाये जाने के बाद ठेका कंपनी ने आधा अधूरा काम करके निर्माणकार्य ही रोक दिया. इसके चलते आधे अधूरे पुल की फिनशिंग हेतु अक्टूबर 2018 को 2.50 करोड़ का नय टेंडर निकाला गया. 2019 में काम की शुरूआत हुई जिसे 6 माह में पूर्ण करना था परंतु इस बीच कोरोना संकट के कारण एक वर्ष का अतिरिक्त समय लग गया.
इस वर्ष 26 जनवरी 2021 से दीक्षाभूमि की ओर जानेवाले छोर से यातायात शुरू होने की पूरी तैयारियां कर ली गई थी परंतु ऐन समय इसे टाल दिया गयाहै. वर्तमान में नीचे से चारों ओर से वाहनों का आवागमन हो रहा है. बस स्टैंड से होकर वाहन नागपुर की ओर, नागपुर से जनता कालेज होकर वाहन बस स्टैंड और सिटी में जाने के लिए गुजरने के अलावा दीक्षाभूमि की ओर जानेवाले वाहन भी यही से गुजर रहे है ऐसे चारों दिशा से आनेवाले वाहनों के एक दूसरे से टकराने की संभावना बढ गई है.
इसी तरह दीक्षाभूमि का छोर बंद होने से यह युवाओं का सेल्फी पाईन्ट बन गये है. युवा जोड़ों का हुजूम दीक्षाभूमि छोर से पुल पर चढकर मटरगश्ती करता हुआ अक्सर दिखाई देता है. ट्रैफिक आफिस से होकर दीक्षाभूमि की ओर जानेवाले वाहन चालकों को जनता कालेज चौक से फेरा लगाकर वापस चौक में आकर दीक्षाभूमि की ओर जाना पड़ रहा है इससे पेट्रोल की काफी खपत होने से उन्हें आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है. सभी वरोरा नाका उड्डान पुल के दूसरे छोर की यातायात कब शुरू होगी इस ओर निगाहें लगाये हुए है.