(प्रतीकात्मक तस्वीर)
(प्रतीकात्मक तस्वीर)

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    चंद्रपुर. कोरोना की दूसरी लहर में अपने पिता का साया खो चुका एक मतिमंद बालक प्रतिदिन अपनी मां से पूछता है मां, पिताजी कब आएंगे इस सवाल का जवाब मां के पास न होने से पुत्र को कैसे समझाए यह बिकट सवाल मां के सामने है. किंतु पुत्र की करुण पुकार सुनकर उसका मन द्रवित हो उठता है.

    कोरोना की दूसरी लहर में अनेकों ने अपने माता पिता खो दिए है. इसी प्रकार एक परिवार भद्रावती का भी है. भद्रावती के विजासन निवासी कवडू अराडे की कोरोना संक्रमण की वजह से मौत हो गई. कवडू वेकोलि में कार्यरत थे उन्हे एक पुत्र एक पुत्री और पत्नी ऐसा परिवार है. 17 वर्षीय पुत्र जन्म से मतिमंद है. माता पिता का इकलौता और मतिमंद होने से माता पिता दोनों का कुछ अधिक ही प्यार था.

    इसकी वजह से उसे मतिमंद विद्यालय में भी नहीं भेजा था. उसके लिए उसके माता पिता ही विश्व थे. 29 अप्रैल को कवडू की तबीयत खराब होने से वेकोलि के लालपेठ स्थित क्षेत्रीय हास्पिटल में दाखिल किया गया. उस समय पर मतिमंद पुत्र प्रवीण भी उनके सा था. पिता की तबीयत खराब है यह उसे ज्ञात था.

    इसके एक दिन बाद उसके पिता की मृत्यु हो गई. कोरोना होने की वजह से उनका अंतिम संस्कार भी बाहर किया गया. घर में बहन, मां और दादी दिखाई दे रही है किंतु पिताजी के दिखाई न देने से अब प्रवीण रोज अपनी मां और दादी से पूछता है मां पिताजी कब आएंगे. यह सुनकर उनकी आंखों में आंसू आ जाते है कि पुत्र को कैसे समझाए कि अब उसके पिताजी कभी लौटकर नहीं आएंगे.