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बिहार का प्रसिद्ध महापर्व ‘छठ पूजा’ का तीसरा दिन है। इस दिन सूर्यदेव को सूर्यास्त के समय अर्घ्य दिया जाता है। यह पर्व अब देश भर में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। लेकिन रांची में छठ पूजा का अलग ही महत्व है। राज्य के नगड़ी गांव में छठ का व्रत रखने वाली महिलाएं नदी या तालाब की बजाय एक कुएं में छठ की पूजा करती हैं। आइए आपको बताएं इसके पीछे की मान्यता…

मान्यता के अनुसार, कुएं के पास द्रौपदी सूर्योपासना करने के साथ सूर्य को अर्घ्य भी दिया करती थी। माना जाता है कि वनवास के दौरान पांडव झारखंड के इस इलाके में काफी दिनों तक ठहरे थे। एक बार जब पांडवों को प्यास लगी और दूर-दूर तक पानी नहीं मिला तब द्रौपदी के कहने पर अर्जुन ने जमीन में तीर मारकर पानी निकाला था। 

इसके अलावा यह भी मान्यता यह भी है कि इसी जल के पास से द्रौपदी सूर्य को अर्घ्य दिया करती थी। सूर्य की उपासना की वजह से पांडवों पर हमेशा सूर्य देव का आशीर्वाद बना रहा और इसी वजह से यहां आज भी छठ का महापर्व बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है।

भीम से भी है संबंध

इसके अलावा यह भी मान्यता है कि रांची के नगड़ी गांव में  भीम का ससुराल हुआ करता था। भीम और हिडिम्बा के पुत्र घटोत्कच का जन्म भी यहीं हुआ था। इस गांव की एक और मान्यता है कि महाभारत में वर्णित एकचक्रा नगरी नाम ही अपभ्रंश होकर अब नगड़ी हो गया है। इसी गांव के एक छोर से दक्षिणी कोयल तो दूसरे छोर से स्वर्ण रेखा नदी का उदगम होता है।