Dr Amol Kolhe

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नागपुर. दुनिया भर के देशों में कोरोना वायरस से हालत काफी खराब हैं। वहीं भारत की बात करें तो यहां भी संक्रमितों की संख्या बड़ी तेजी से बढ़ती जा रही हैं। महामारी को रोकने के लिए देश में लॉकडाउन का चौथा चरण शुरू हैं। हालांकि सरकार ने लॉकडाउन में थोड़ी रियायत दी है, लेकिन हालात अभी भी सुधरने का नाम नहीं ले रहे। कोरोना वायरस से रोजाना हजारों की संख्या में नए मामले सामने आ रहे है। वहीं दुसरी ओर इस महामारी को फैलने से रोकने के लिए सरकार काफी प्रयास कर रही हैं। साथ ही मौजूदा स्थिति में सरकार को काफी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा हैं। इस बारें में नवभारत eचर्चा के माध्यम से अभिनेता और लोकसभा सांसद डॉ. अमोल कोल्हे ने जनता को अवगत कराया।

डॉ. अमोल कोल्हे ने कहा कि 24 मार्च से देश में लॉकडाउन हैं। साथ ही पूरी दुनिया पर कोरोना का संकट मंडरा रहा हैं। देश में हमारे कोरोना योद्धा डॉक्टर्स, नर्सेस, पैरामेडिकल स्टाफ, पुलिस, एडमिनिस्ट्रेशन, ST ड्राइवर्स, रेलवे प्रशासन अपने तरीके से  कोविड-19 का मुकाबला कर रहे हैं। आज लॉकडाउन को 65 पुरे हो गए है। और अभी भी लॉकडाउन पूरी तरह से हटेगा या नहीं हटेगा इसके बारें में लोगों के दिलों में आशंका हैं। अगर हम मुंबई और पुणे की बात करें तो यहां बड़े तादाद में कोरोना के मामले दिखाई दे रहे हैं। वहीं अगर पुरे देश की बात की जाए तो यहां हर दिन 6000-7000  कोविड-19 के मामले सामने आ रहे हैं और आनेवाले समय में भी  कोविड-19 का खतरा मंडराता रहेगा। यह वस्तु स्थिति है। इससे हमें मुकरना नहीं चाहिएं।

डॉ. कोल्हे ने लॉकडाउन के बाद आनेवाली चुनौतियों के बारें में बताते हुए कहा कि अगर हम  कोविड-19  को देखे तो विश्व स्तर पर जो संशोधन हो रहा हैं, उसके तहत कोरोना का टिका आने में तीन से चार महीने की समय लग सकता हैं। तीन कंपनियाँ इसमें काफी आगे बढ़ चुकी हैं। फिर भी उनकी तरफ से टिका आने के लिए तीन से चार महीने लग सकते है। इसके बाद अगर टिका आ भी जाता हैं तो भारत की आबादी तक पहुंचने में काफी समय लग सकता हैं। 

आगे उन्होंने कहा कि वायरल इन्फेक्शन में ट्रीटमेंट गाइड लाइन होना आवश्यक है। लोगों को लगा कि हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन प्रभावी है। इसी तरह हमने कोरोना के इलाज में हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन प्रिवेंटिव मोड और क्यूरेटिव मोड में भी इस्तेमाल किया हैं। लांसेट जर्नल में को छपे लेख का हवाला देते हुए डॉ. कोल्हे कहा कि हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन का कोई रोल नहीं देखा जा रहा हैं। लेकिन ICMR का यह कहना है कि कोरोना से लड़ने में हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन उपयोगी है। वहीं अभी Remdesivir का एक ट्रायल चल रहा हैं। अभी भी एक पक्का इलाज हमारे नज़रों के सामने नहीं हैं। जिससे हमें यह देखना पड़ेगा कि हम लॉकडाउन कितने दिनों तक जारी रख सकते हैं। टिका आने में अभी भी तीन से चार महीने लग सकते है। ऐसे में हम तीन से चार महीने लॉकडाउन जारी नहीं रख सकते। क्योंकि लॉकडाउन कोई साधन नहीं हैं। यह सभी को पता हैं। ऐसी हालत में हमें कोरोना के साथ जीना पड़ेगा।   

कोरोना के साथ किस तरह जीना है इसकी जानकरी देते हुए सांसद ने कहा पब्लिक हेल्थ डिपार्टमेंट शुरू से बताते आ रहा हैं कि मास्क लगाना, हाथ धोना, सार्वजनिक जगहों पर भीड़ न करना, यह हमें लाइफस्टाइल चेंजेस में एडॉप्ट करना चाहिए। यह एक बड़ा चैलेंज हैं। उन्होंने आगे कहा कि देश में कोरोना की टेस्टिंग जो हो रही उसका प्रमाण हम देखे तो आज भी  कोविड-19 के 70 से 80 प्रतिशत कोरोना मरीजों में कोरोना के कोई लक्षण नहीं दिखाई दे रहे हैं। उन्होंने कहा महाराष्ट्र और तमिलनाडु राज्य के आलावा बाकी राज्यों में टेस्टिंग सही गति से नहीं हो रही है। 

उन्होंने ने कहा, महाराष्ट्र में कोरोना मरीज़ों की संख्या ज्यादा दिखाई दे रही है लेकिन इसमें से 70 से 80 प्रतिशत मरीजों में कोई लक्षण नहीं दिखाई दिए। आज भी ऐसे कई लोग है जिनका कोरोना टेस्ट हुआ ही नहीं और उन्हें पता ही नहीं कि उन्हें कोरोना हुआ है या नहीं। आने वाले समय में बारिश के सीजन में बुखार के मरीज भी बढ़ेंगे। जिन मरीज़ों में कोई लक्षण नहीं दिखे उनके लिए क्या प्रावधान रखने चाहिए इसके लिए प्रोटोकॉल बनाकर रखना पड़ेगा। 

डॉ. कोल्हे ने आगे कहा कि हम अभी काफी कोविड केयर सेंटर्स बना रहे हैं। इसमें तीन लेवल पर काम किया जाता हैं। जिसमें पहला कोविड केयर सेंटर, दूसरा DCHC और तीसरा DHC होता हैं। कोविड केयर सेंटर में उन लोगों को ख्याल रखा जाता हैं जिनमें कोई लक्षण नहीं दिखाई दिए हो। वहीं जिन लोगों में मध्यम लक्षण देखे जाते है उन्हें DCHC में ख्याल रखा जाता हैं। वहीं जो मरीज गंभीर है उनका ख्याल DHC में रखा जाता हैं। अब जिस तरह से कोरोना के मरीज बढ़ रहे है। हम जितनी भी सुविधा  कोविड केयर सेंटर्स में करें आने वाले समय में यह कम पड़नेवाली हैं। 

कोविड-19 के बाद आने वाली चुनौतियों के बारें में डॉ कोल्हे ने बताया कि हमें आनेवाले समय में रणनीति बदलनी चाहियें। ऐसा इसलिए क्यों जभी कोई आपदा आती है उस आपदा का स्वरुप, व्यापकता देखी जाती हैं और उसके बाद उस आपदा से लड़ने की रणनीति बनानी पड़ती हैं। 

इसी तरह हमें गौर करना चाहिए कि देश में जब पहला लॉकडाउन हुआ तब कोरोना के मरीजों की संख्या 536 थी। दूसरे लॉकडाउन में यह संख्या 12 हजार के करीब हुई। जबकि तीसरे लॉकडाउन में यह संख्या 35 हजार के करीब हुई। वहीं चौथे लॉकडाउन में यह संख्या 80 हजार के करीब हुई और मौजूदा समय में यह मरीजों की संख्या डेढ़ लाख के करीब पहुंच गई हैं। इस हिसाब से हमें कोरोना के खिलाफ रणनीति में भी बदलाव लाना होगा। इसके अलावा आनेवाले समय में जिन मरीजों में कोई लक्षण नहीं दिखाई दे रहे है और जो मध्यम लक्षण वाले मरीज है उनका इलाज घर पर ही करने के बारें में सोचना होगा। नहीं तो आनेवाले समय में हमारी सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली ढह सकती हैं। हमें यह भी सोचना होगा कि सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली को मजबूत कैसे बनाया जाए।