जिनके नाम से दी जाती है रणजी ट्रॉफी, जानिए कौन है इंग्लैंड के लिए खेलने वाला यह भारतवंशी

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अगर आप क्रिकेट देखते हैं तो रणजी ट्रॉफी एक जाना पहचाना नाम है. यह भारत की BCCI (भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड) की प्रथम श्रेणी की डोमेस्टिक क्रिकेट ट्रॉफी है. रणजी ट्रॉफी का पहला टूर्नामेंट वर्ष 1934 में आयोजित किया गया था. वर्तमान में प्रतियोगिता में 37 टीमें शामिल हैं, जिसमें भारत के सभी 29 राज्य और 7 केंद्र शासित प्रदेशों में से 2 शामिल हैं. मौजूदा रणजी ट्रॉफी चैंपियनशिप विदर्भ द्वारा आयोजित की जाती है और सबसे अधिक चैंपियनशिप मुंबई द्वारा आयोजित की जाती है, जिसमें कुल 41 खिताब हैं. रणजी ट्रॉफी के इतिहास में सबसे अधिक रन वसीम जाफर और राजिंदर गोयल के नाम हैं, जिनके विकेटों की संख्या 640 है.

रणजी ट्रॉफी का नाम पहले भारतीय अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेटर सर रणजीत सिंह जी विभाजन जडेजा के नाम पर रखा गया है. आज उनका जन्मदिन हैं. रणजीतसिंहजी विभाजी जडेजा (10 सितंबर, 1872 -अप्रैल 1933) नवानगर के 10वें जाम साहब तथा प्रसिद्ध क्रिकेट खिलाड़ी थे. उनके अन्य प्रसिद्ध नाम हैं- ‘नवानगर के जाम साहब’, ‘कुमार रणजीतसिंहजी’, ‘रणजी’ और ‘स्मिथ’. उनका शासन १९०७ से १९३३ तक चला था. वे एक बेहतरीन क्रिकेट खिलाड़ी और बल्लेबाज़ थे जिन्होंने भारतीय क्रिकेट के विकास में अहम भूमिका अदा की थी. वे अंग्रेज़ी क्रिकेट टीम के तरफ़ से खेलने वाले विख्यात क्रिकेट खिलाड़ी थे और इंग्लैंड क्रिकेट टीम के लिए टेस्ट मैच खेला करते थे. इसके अलावा, रणजी कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के लिये प्रथम श्रेणी क्रिकेट और काउंटी क्रिकेट में ससेक्स का प्रतिनिधित्व किया करते थे. रणजीतसिंहजी टीम में मूलतः दाएं हाथ के बल्लेबाज की भूमिका निभाया करते थे, तथा वह धीमी गेंदबाजी में भी सिद्धहस्त थे.

बचपन में रणजीत की क्रिकेट के प्रति कोई ज्यादा रूचि नहीं थी, बल्कि वह एक टेनिस खिलाड़ी बनना चाहते थे. लेकिन पढ़ाई करने के लिए जब वह इंग्लैंड गए तो क्रिकेट के प्रति उनका प्यार बढ़ता गया. उस वक्त इंग्लैंड में टेनिस से ज्यादा क्रिकेट खेला जा रहा था. इंग्लैंड में क्रिकेट के प्रति लोगों का प्यार देखते हुए रणजीत ने खुद एक क्रिकेट खिलाड़ी बनना चाहा. उस वक्त इंग्लैंड में ससेक्स क्लब काफी नामी क्लब था. ग्रेजुएशन के बाद रणजीत ने ससेक्स के लिए क्रिकेट खेलना शुरू किया और अच्छा प्रदर्शन करने लगे.

प्रथम श्रेणी क्रिकेट में रणजीत का काफी अच्छा रिकॉर्ड है. रणजीत ने 307 प्रथम श्रेणी मैच खेलते हुए करीब 56 के औसत से 24692 रन बनाए, जिसमें 72 शतक और 109 अर्धशतक शामिल हैं. रणजीत ने ससेक्स के लिए चार साल तक कप्तानी भी की. वे भारत के पहले क्रिकेट खिलाड़ी थे, जिन्होंने इंग्लैंड की तरफ से अपना क्रिकेट करियर शुरू किया. उस वक्त भारत में अंग्रेजों का शासन था और रणजीत का इंग्लैंड टीम में चयन हुआ था. रणजीत के इंग्लैंड टीम में चयन को लेकर काफी विवाद भी हुआ था. रणजीत का जब 1896 में इंग्लैंड टीम में चयन हुआ तब लार्ड हारिस इस चयन के खिलाफ थे. उनका कहना था कि रणजीत का जन्म इंग्लैंड में नहीं बल्कि भारत में हुआ है, तो इंग्लैंड टीम में उनका चयन नहीं होनी चाहिए.

लेकिन, फिर भी ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ रणजीत का चयन हुआ. ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ खेले गए पहले टेस्ट मैच में रणजीत को मौक़ा नहीं मिला था. लेकिन मैंचेस्टर में खेले गए दूसरे टेस्ट मैच में रणजीत को मौक़ा मिला. अपने करियर के पहले ही मैच में रणजीत ने शानदार प्रदर्शन किया. ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ अपनी पहली पारी में रणजीत ने इंग्लैंड की तरफ से 62 रन बनाए थे. दूसरे पारी में भी रणजीत ने शानदार प्रदर्शन किया, जहां इंग्लैंड के दूसरे बल्लेबाज एक के बाद एक पवेलियन लौट रहे थे, वहीं रणजीत ने एक छोर संभाल रखा था.

रणजीत तेज खेलते हुए 23 चौके की मदद से 154 पर नॉट आउट थे और दुनिया के पहले खिलाड़ी बन गए जिन्हें अपने पहले टेस्ट मैच में पहली पारी में अर्धशतक और दूसरे पारी में शतक मारने का गौरव हासिल हुआ. सिर्फ इतना ही नहीं रणजीत टेस्ट क्रिकेट के पहला खिलाड़ी थे, जो अपने करियर के पहले टेस्ट मैच में शतक ठोकते हुए नॉट आउट रहे. अगर अपने पहले मैच में शतक मारने की बात की जाए तो यह रिकॉर्ड विल्लम ग्रेस के नाम है. ग्रेस ने पहले खिलाड़ी के रूप में अपने करियर का पहले टेस्ट मैच में शतक ठोकते हुए रिकॉर्ड कायम किया था, लेकिन इस मैच में ग्रेस 152 रन बनाकर आउट हो गए थे. रणजीत पहले खिलाड़ी थे जिन्होंने मैंचेस्टर के ओल्ड ट्रेफ्फोर्ड मैदान पर 150 से भी ज्यादा रन बनाए.

रणजीत ने अपने क्रिकेट करियर का पहला और आखिर मैच ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ और मैनचेस्टर के ओल्ड ट्रेफ्फोर्ड मैदान पर खेला. आखिरी मैच में रणजीत कुछ खास नहीं कर पाए थे. इस मैच में रणजीत कुल मिलाकर सिर्फ छह रन बना पाए थे. 1904 में रणजीत भारत वापस आ गए. रणजीत का क्रिकेट के प्रति इतना प्यार था कि 48 साल के उम्र में वह प्रथम श्रेणी क्रिकेट खेलना चाहते थे. 1907 में रणजीत नवानगर के महाराजा बने. एक अच्छे क्रिकेटर के तरह वह एक अच्छे ऐडमिनिस्ट्रेटर भी थे. 1934 में रणजीत  के नाम पर भारत ने रणजी ट्रॉफी शुरू हुई. रणजीत भारत के पहले क्रिकेट खिलाड़ी थे, जिन्हें अंतराष्ट्रीय मैचों में मौक़ा मिला था. रणजीत को भारतीय क्रिकेट का जन्म दाता माना जाता है.