Mithali Raj the evergreen face of Indian women's cricket

अर्जुन अवार्ड से सम्मानित मिताली राज (Mithali Raj) को भारत में महिला क्रिकेट का सदाबहार चेहरा कहा जाता है।

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    नयी दिल्ली. वह पिछले 22 बरस से बड़ी लगन से भारत में महिला क्रिकेट ( Indian women’s cricket) को आकार दे रही है, इस दौरान अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में दस हजार रन बना चुकी है, एकदिवसीय क्रिकेट में उससे ज्यादा रन किसी ने नहीं बनाए, टेस्ट क्रिकेट में दोहरा शतक बनाने वाली वह एकमात्र बल्लेबाज है, तीन टी20 विश्व कप टूर्नामेंट में भारत का नेतृत्व कर चुकी हैं, दो मौकों पर अपनी कप्तानी में महिला टीम को एकदिवसीय विश्व कप के फाइनल तक पहुंचा चुकी है और इसी का नतीजा है कि क्रिकेट का जिक्र आने पर कपिल देव, सुनील गावस्कर, सचिन तेंदुलकर और विराट कोहली की बात करने वाले लोग अब मिताली राज (Mithali Raj) की प्रतिभा और क्षमता का लोहा भी मानने लगे हैं।

    अर्जुन अवार्ड से सम्मानित मिताली राज (Mithali Raj) को भारत में महिला क्रिकेट का सदाबहार चेहरा कहा जाता है। भारतीय टीम ने अपने ज्यादातर एकदिवसीय और टी20 मुकाबले मिताली की रहनुमाई में खेले। 2005 में दक्षिण अफ्रीका में खेले गए एकदिवसीय विश्व कप के उस मुकाबले को भला कौन भूल सकता है, जब भारत ने सेमीफाइनल में न्यूजीलैंड को मात देकर पहली बार विश्व कप के फाइनल में जगह बनाई और इस मैच में मिताली राज ने 91 नाबाद रन का योगदान दिया।

    फाइनल में भारतीय टीम आस्ट्रेलिया की मजबूत टीम के सामने टिक नहीं पाई, लेकिन देश में महिला क्रिकेट की गुमनामी के दिन खत्म होने का आगाज हो गया। बीबीसी द्वारा भारत की सबसे प्रभावशाली महिलाओं में शुमार की गई मिताली राज का जन्म 3 दिसम्बर 1982 को राजस्थान के जोधपुर में एक तमिल परिवार में हुआ। उनकी प्रारंभिक शिक्षा तेलंगाना के सिकंदराबाद में हुई।

    मां लीला राज चाहती थीं कि उनकी बेटी नृत्यांगना बनें इसलिए बहुत छोटी उम्र से ही उन्हें भरतनाट्यम की शिक्षा दिलाई गई, लेकिन पिता दुरई राज को क्रिकेट से प्यार था, लिहाजा उन्होंने 10 साल की मिताली को उसके बड़े भाई मिथुन राज के साथ क्रिकेट की कोचिंग दिलाना शुरू कर दिया। मिताली का कहना है कि उन्हें सुबह जल्दी उठना कतई पसंद नहीं था, इसलिए वह क्रिकेट की बजाय भरतनाट्यम को तरजीह देती थीं, लेकिन उनके पिता के सामने उनकी एक नहीं चली और उन्हें लगातार क्रिकेट खेलने के लिए प्रेरित किया गया। उन्हें शायद यह एहसास हो गया था कि उनकी बेटी देश में महिला क्रिकेट की नयी तकदीर लिखेंगी।

    सचिन तेंदुलकर की ‘फैन’ और अपनी साथी खिलाड़ियों की ‘दीदी’ मिताली राज का कहना है कि 2005 के विश्व कप में महिला क्रिकेट टीम के फाइनल में पहुंचने के समय तक ज्यादा लोगों को महिला क्रिकेट से कोई ज्यादा सरोकार नहीं होता था, लेकिन समय के साथ साथ बदलाव आने लगा और 2017 के विश्व कप ने महिला क्रिकेट की अधूरी तस्वीर को पूरा कर दिया। मिताली कहती हैं कि एक बार फिर फाइनल में हार जाने का मलाल तो सदा रहेगा, लेकिन लार्डस में दर्शकों से खचाखच भरे भव्य स्टेडियम में खेलना अपने आप में रोमांचित कर देने वाला अनुभव था।

    सितंबर 2019 में टी20 क्रिकेट से सन्यास लेने वाली मिताली का कहना है कि टेस्ट क्रिकेट में अधिक व्यस्तता न होने के कारण उन्होंने टी20 में खेलने का फैसला किया था, लेकिन अब वह न्यूजीलैंड में होने वाले आगामी विश्व कप की तैयारियों में व्यस्त हैं। निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार इसे इसी वर्ष आयोजित किया जाने वाला था, लेकिन कोरोना संक्रमण के चलते इसे अगले वर्ष आयोजित किया जाएगा। विश्व कप का फाइनल मुकाबला तीन अप्रैल 2022 को खेला जाएगा।

    दाएं हाथ की बल्लेबाज मिताली राज मात्र 38 साल की हैं, लेकिन यह एक दिलचस्प तथ्य है कि उनका क्रिकेट करियर चौथे दशक में प्रवेश कर गया है। वह 1999 से क्रिकेट खेल रही हैं जब 17 साल की उम्र में उन्होंने जून 1999 में आयरलैंड के खिलाफ अपने एकदिवसीय करियर की शुरूआत की। उसके बाद अगला दशक शुरू हुआ और जनवरी 2002 में उन्होंने इंग्लैंड के खिलाफ अपने टेस्ट करियर की शुरूआत की।

    2005 में विश्व कप में भारतीय टीम का प्रदर्शन उनकी बड़ी उपलब्धि रही। इसी दशक में अगस्त 2006 में उन्होंने टी20 क्रिकेट में कदम रखा। अगले कुछ साल वह भारतीय क्रिकेट का पर्याय बनी रहीं। 2017 का विश्व कप उनके क्रिकेट करियर में कुछ और यादगार पल जोड़ गया। उम्मीद है कि 2022 में वह महिला क्रिकेट का विश्व कप अपने हाथों में लेकर सही मायने में ‘लेडी सचिन’ साबित होंगी।