team India historic win and future

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अभिषेक दुबे, लेखक और सलाहकार, प्रसार भारती स्पोर्ट्स

ठीक एक महीने पहले की बात है। टीम इंडिया (Team India) ऑस्ट्रेलिया (Australi) में एडिलेड (Adelaide) में पहले टेस्ट मैच (Test Match) में 36 रन पर आल आउट हो गयी।  ये टेस्ट इतिहास में भारत का अब तक का सबसे न्यूनतम स्कोर था। जैसे ये काफी नहीं था, टीम के स्टार क्रिकेटर और कप्तान विराट कोहली (Virat Kohli) बाकी बची सीरीज के लिए उपलब्ध नहीं थे। ऑस्ट्रेलिया के पूर्व क्रिकेटर और वहां की मीडिया भारतीय टीम के 0-4 से सफाये की बात कर रही थी। जैसे ये काफी नहीं था, जैसे-जैसे टीम इंडिया का इस सीरीज में कारवां आगे को बढ़ता गया, एक के बाद एक भारतीय क्रिकेटर चोटग्रस्त होकर बाहर होते गए। 

मोहम्मद शमी (Mohammad Shami) , उमेश यादव (Umesh Yadav) , के एल राहुल (KL Rahul), रविंद्र जडेजा (Ravindra Jadeja), हनुमा विहारी (Hanuma Vihari) , रविचंद्रन आश्विन (Ravichandran Ashwin) और जसप्रीत बुमराह (Jaspreet Bumrah)। आख़िरी टेस्ट मैच ब्रिस्बेन में होना था जो बीते बत्तीस बरस से मेजबान ऑस्ट्रेलिया टीम का अभेद क़िला था। 

सीरीज जीतकर इतिहास रच दिया

ब्रिस्बेन टेस्ट मैच शुरू होने से पहले टीम मैनेजमेंट के सामने चुनौती 11 ऐसे क्रिकेटर को शामिल करने की थी जो चोटिल ना हो और निर्णायक टेस्ट मैच में टीम के संतुलन के हिसाब से ठीक बैठें, लेकिन ठीक एक महीने पहले भला कौन जानता था कि 19 जनवरी 2021 को एक नया इतिहास बनने वाला है। अजिंक्य रहाणे की अगुवाई में टीम इंडिया ने ना सिर्फ ब्रिस्बेन में ना सिर्फ अभेद ऑस्ट्रेलिया के क़िले को भेद दिया बल्कि 2-1 से सीरीज जीतकर इतिहास रच दिया। 

हमारा क़द बढ़ता चला गया : सचिन तेंदुलकर 

भारत के महानतम क्रिकेटर सुनील गावस्कर की माने तो ये जीत 1971 में वेस्ट इंडीज के खिलाफ मिली जीत के बाद सबसे बड़ी भारतीय जीत है। भारतीय क्रिकेट के महानायक रहे सचिन तेंदुलकर ने कहा कि सीरीज के दौरान हर सीजन में एक नए सितारे ने जन्म लिया। जब-जब हमें चोट लगा हम ना सिर्फ खड़े रहे, बल्कि हमारा क़द बढ़ता चला गया। भारत के लिए कई बड़ी जीतों के किरदार रहे वीवीएस लक्ष्मण ने कहा कि इनपर हमें गर्व है। इसे आने वाले लम्बे वक़्त के लिए याद रखा जाएगा। भारत के सबसे कामयाब कप्तान में से एक सौरव गांगुली ने कहा कि इस जीत को भारतीय क्रिकेट इतिहास में हमेशा के लिए याद रखा जाएगा। सचमुच इतिहास इस जीत को लम्बे वक़्त तक हमें भूलने नहीं देगा, लेकिन जीत, हार और रिकॉर्ड से आगे, गणतंत्र दिवस से ठीक पहले, ये नए भारत के उभरते चरित्र की परिचायक है। ये भारत डरता नहीं, बल्कि करारी हार से भी सीख लेता है। ये आगे की चुनौतियों को देखकर सहमता नहीं है, बल्कि ठन्डे दिमाग से उसका सामना करता है। भारत की इस जीत के असली मायने को इस सन्दर्भ में समझने की जरुरत है। 

आत्मविश्वास देखने लायक था

सीरीज में जीत हासिल करने के बाद भारत के कप्तान अजिंक्य रहाणे ने विरोधी टीम के स्पिनर नेदोन ल्योन को टीम इंडिया के सभी क्रिकेटर के हस्ताक्षर की हुई एक जर्सी भेट की। यह रहाणे स्टाइल ऑफ़ लीडरशिप है। वो चीखा-चिल्ली नहीं करते। वो आंखों में आंखें नहीं दिखाते। वो अभद्र भाषा का प्रयोग नहीं करते, लेकिन वो किसी से काम आक्रामक नहीं। उनकी आक्रामकता फील्ड प्लेसिंग, गेंदबाज़ी में बदलाव और बल्लेबाज़ी के क्रम में मैच के हिसाब से फेरबदल में साफ़ झलकती है। मिसाल के तौर पर मेलबोर्न टेस्ट मैच में आर आश्विन को 10 ओवर के बाद ही गेंदबाज़ी सौपना जिसके बाद उनका आत्मविश्वास देखने लायक था।

पंत ने मैच को ही बदलकर रख दिया

ऋषभ पंत को सिडनी टेस्ट मैच में आगे भेजने जिसके बाद पंत ने मैच को ही बदलकर रख दिया। शायद, आवेश में ना आकर ठन्डे दिमाग से टीम को संभालने की रहाणे की स्टाइल की टीम को सबसे अहम जरुरत थी जब नियमित कप्तान विराट कोहली पहले टेस्ट के बाद बाकी सीरीज के लिए उपलब्ध नहीं थे। अपने तरीके से रहाणे आक्रामक तो हैं लेकिन विरोधी टीम को सम्मान भी करना जानते हैं। 100 टेस्ट मैच पूरा करने पर ल्योन को जर्सी भेट कर उन्होंने इसका खुले तौर पर इज़हार किया। 

लाइफ इस टेस्ट मैच एंड नॉट टी-20

क्रिकेट टेस्ट क्रिकेट की सबसे बड़ी ताक़त ये है कि वो जीवन के सबसे क़रीब है। ऑस्ट्रेलिया में टेस्ट सीरीज ने भारतीय टीम के करैक्टर यानी असली चरित्र को सामने लाने का काम किया है। ऋषभ पंत और शुभमण गिल टीम इंडिया के आने वाला कल हैं। जरुरत है इस कल को भरोसा देने के लिए।  टीम मैनेजमेंट को उनके मूल चरित्र से छेड़छाड़ किए बिना उन्हें सहेजने की जरुरत है। कहते हैं ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ ऑस्ट्रेलिया में सीरीज लड़कों को कद्दावर मर्द बनाने का काम करता है। सचिन तेंदुलकर से लेकर वीवीएस लक्ष्मण का करियर इस बात का गवाह है। मौजूदा सीरीज भी गिल और पंत के करियर में इसी मील का पत्थर साबित हो सकता है।  पुजारा और रविचंद्रन आश्विन जैसे क्रिकेटर टेस्ट क्रिकेट में टीम इंडिया की तुरुप के इक्के हैं। ये दोनों ही फ़िलहाल टी-20 और एकदिवसीय टीम का हिस्सा नहीं हैं। लेकिन दोनों ही करियर के ऐसे मुकाम पर हैं जहां अगर इन्हें भरोसा और तवज़्ज़ो दिया गया तो ये ऐसी कई जीत की नींव रख सकते हैं।  अश्विन अपने करियर के ऐसे मुहाने पर खड़े है जहां टीम मैनेजमेंट का भरोसा मिलने पर वो वार्न-मुरली-कुंबले की तरह 700-800 टेस्ट विकेट के क्लब में शामिल हो सकते हैं।  दुसरे ओर चेतेश्वर पुजारा 10 हज़ार टेस्ट रन के आंकड़े तक पहुंच सकते हैं। क्रिकेट में आल राउंडर एक ऐसा किरदार होता है जो टीम को संतुलन देता है। ऑस्ट्रेलिया की सीरीज ने आल राउंडर के तौर पर टीम को नए विकल्प दिए है।      

हार्दिक पंड्या में एक मैच विनर की झलक दिख रही

हार्दिक पंड्या चोट से वापसी कर रहे हैं। एकदिवसीय और टी-20 सीरीज में मूलतः उन्होंने बल्लेबाज़ के तौर खेला।  लेकिन पंड्या के वर्जन २ ने हर किसी को प्रभावित किया है।  आहिस्ता-आहिस्ता हार्दिक पंड्या में एक मैच विनर की झलक दिख रही है। वर्ल्ड कप २०१९ में सेमिफाइनल की पारी के बाद रविंद्र जडेजा की बल्लेबाज़ी में एक नया भरोसा साफ़ तौर पर देखा जा सकता है। पूरी तरह से फिट हार्दिक पंड्या और रविंद्र जडेजा टीम के पास आल राउंडर के तौर पर बेहतरीन विकल्प बनते दिख रहे हैं। इसके अलावा दो ऐसे खिलाड़ी हैं जो आल राउंडर के तौर पर अपनी पहचान बना सकते हैं।  वासिंगटन सूंदर को चौथे टेस्ट मैच में रविचंद्रन आश्विन की जगह मौक़ा मिला। सूंदर ने गेंद और बल्ले, दोनों से ही हर किसी को प्रभावित किया। चौथे टेस्ट मैच ने शार्दुल ठाकुर को भी एक धारदार गेंदबाज़ और असरदार बल्लेबाज़ के तौर पर पहचान दी है। पूर्व क्रिकेटर अजय जडेजा की माने तो वासिंगटन सूंदर ऐसा बल्लेबाज़ी कर रहे थे जैसे वो अपना 20 वां टेस्ट मैच खेल रहे हों। वहीं शारदुल की बल्लेबाज़ी में अजय जडेजा ने महान कपिल देव का बिंदास और खुला अंदाज देखा है।  

भारतीय क्रिकेट ने तेज़ गेंदबाज़ी की फैक्ट्री तैयार कर ली 

क्रिकेट का इतिहास गवाह है कि महान टीम ज़बरदस्त पेस बैटरी के बल पर बनती है। वेस्ट इंडीज और ऑस्ट्रेलिया की टीम को शिखर पर उनके तेज़ गेंदबाज़ों ने पहुंचाया था।  भारतीय टीम की पारम्परिक तौर पर पहचान बल्लेबाज़ी में एक मज़बूत टीम और तेज़ गेंदबाज़ी में कमतर मज़बूत टीम की रही है। पाकिस्तान के पूर्व तेज़ गेंदबाज़ शोएब अख्तर की माने तो जहां पहले भारतीय टीम के पास तेज़ गेंदबाज़ों का अकाल सा था ऐसा लगता है कि मौजूदा दौर में भारतीय क्रिकेट ने तेज़ गेंदबाज़ी की फैक्ट्री तैयार कर ली है। इशांत शर्मा और भुवनेश्वर कुमार सीरीज से पहले ही घायल थे। भारतीय टीम जब ऑस्ट्रेलिया पहुंची तो पहले मोहम्मद शमी और फिर उमेश यादव भी घायल होकर बाहर हो गए। आख़िरी टेस्ट मैच में तो जसप्रीत बुमराह भी चोटिल होने की वजह से नहीं खेल सके।  लेकिन टीम इंडिया पर इसका कोई असर नहीं दिखा। मोहम्मद सिराज, टी नटराजन और शार्दुल ठाकुर ने नवदीप सैनी ने साथ मिलकर इस सीरीज में दस्तक दी है। ज़ाहिर तौर पर भारत के पास अब एक या दो नहीं पेस बैटरी का काम से काम 10 ऐसे विकल्प हैं जिन्हें विरोधी टीम के खिलाफ उतारा जा सकता है। 

नींव तैयार है, बस जरूरी है निर्णायक फैसले का

टीम इंडिया 2021 में इस ऐतिहासिक जीत के साथ इस दशक को अपना दशक बना सकता है। मक़सद इस दशक में एक ऐसी टीम को तैयार करने का होना चाहिए जो किसी वक़्त में वेस्ट इंडीज और ऑस्ट्रेलिया की महानतम टीमों जैसा विश्व विजेता हो। नींव तैयार है, बस जरूरी है निर्णायक फैसले का। इस कड़ी में भी ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 2-1 से जीत ने एक नयी सम्भावना जगाई है। भारत को भी अब अलग-अलग फॉर्मेट में अलग कप्तान के साथ उतरना चाहिए। जब ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड जैसी टीम ऐसा कर सकती है तो हम क्यों नहीं कर सकते। टेस्ट टीम में लीडरशिप की ज़िम्मेदारी अजिंक्य रहाणे को दिए जाने की जरुरत है। टी-20 और एकदिवसीय मैच में रोहित शर्मा भारत के कप्तान की भूमिका निभा सकते है। विराट कोहली महानतम सचिन तेंदुलकर की तरह अपने बांकी के करियर में पूरा ध्यान अपनी बल्लेबाज़ी पर केंद्रित कर एक मेंटर की भूमिका में आ सकते हैं। ये आने वाले 4-5 साल में टीम इंडिया को अगले स्तर पर ले जा सकता है। दशक की शुरुआत ने अपार संभावनाओं को लेकर दस्तक दी है। जरुरत है ठहरकर रुक ना जाने की, बल्कि इन संभावनाओं को निर्णायक मुकाम तक ले लाने की।