Mirabai Chanu and Virender Sehwag

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    -विनय कुमार

    टीम इंडिया के पूर्व महाविस्फोटक सलामी बल्लेबाज वीरेंद्र सहवाग (Virendra Sehwag) सोशल मीडिया पर खूब एक्टिव रहते हैं। ओलंपिक में भारत के लिए पहला पदक हासिल करने वाली महिला वेटलिफ्टर मीराबाई चानू को लेकर सहवाग ने उनकी तारीफ़ में ट्वीट किया। मीराबाई चानू ने टोक्यो ओलंपिक (Tokyo Olympic) में धाक जमा दी है। उन्होंने 49 किग्रा वर्ग में सिल्वर मेडल (Silver Medal Mirabai Chanu) जीतकर भारत की झोली में पहला मेडल डाला। पदक जीतते ही मीराबाई को देशभर से बधाईयां और शुभकामनाएं मिल रही हैं। टीम इंडिया के धाकड़ बल्लेबाज वीरेंद्र सहवाग ने लोगों से कहा की मीराबाई का नाम कभी नहीं भूला जा सकेगा।

    ‘मुल्तान के सुल्तान’ सहवाग ने ट्वीट करते हुए कहा, ”लाजवाब। भारतीय नारी सब पर भारी। मीराबाई चानू, नाम याद रखना। हम सभी को  गौरवान्वित करने के लिए शुक्रिया।” गौरतलब है कि मीराबाई चानू (Mirabai Chanu) ने कुल 202 किलोग्राम वजन के साथ ओलंपिक में सिल्वर मेडल (Silver Medal) जीता है। चीन की हो जिहुई ने गोल्ड मेडल (Gold Medal) जीता, जिन्होंने स्नैच में 94 और क्लीन एंड जर्क (Clean and Jerk) में 116 में का वजन उठाया। इंडोनेशिया की आइसे विंडी कैंटिका ब्रॉन्ज लेकर तीसरे स्थान पर रहीं, जिन्होंने 194 किलो वजन उठा कर टोक्यो ओलंपिक में अपना नाम रोशन किया।

    मीराबाई चानू ने इस ओलंपिक में पहला मेडल भर नहीं दिलाया, बल्कि, गौर करने वाली बात तो ये भी है कि 21 साल बाद ओलंपिक खेलों में भारत वेटलिफ्टिंग (Weight Lifting Mirabai Chanu) में मेडल जीत पाया है। इससे पहले कर्णम मल्लेश्वरी (Karnam Malleshwari) ने साल 2000 के सिडनी ओलंपिक (Sydney Olympic 2000) में 69 किग्रा वर्ग में ब्राॅन्ज मेडल जीता था, जब भारोत्तोलन एरीना (Weight Lifting Arena Olympics) पहली बार महिलाओं के लिए खोला गया था।

    इस उपलब्धि के लिए मीराबाई चानू पर पूरे देश को गर्व है। हालांकि, मीराबाई की यहां तक की जीवन यात्रा बड़ी कठिन रही है। उन्होंने अपने करियर की शुरूआत से ही अपने अंदर जीतने का जोश और जुनून कायम रखा था, वही चिंगारी आज जीत की मशाल बनकर भारतीय नारियों के सम्मान में एक मिसाल बन गई है।

    मीराबाई चानू (Mirabai Chanu) की प्रतिभा को उनके परिवार ने बहुत पहले ही पहचान लिया था। जब जंगल से लकड़ियां काटकर घर लाई जाती थीं, तो मीराबाई का ही ज्यादा सहयोग होता था। तब उनके बड़े भाई सैखोम सनातोंबा मेइती भी अपनी बहन के लकड़ी के बोझे देखकर चकित रह गए थे। बताया जाता है कि लड़कियों का जो बड़ा बोझ सनातोंबा नहीं उठा पाते थे, उसे मीराबाई चानू बड़े आराम से  उठाकर घर ले जाती थी। उस दौरान मीराबाई  की उम्र 12 साल थी। इतनी कम उम्र में इस ताकत को देखकर उनका परिवार हैरान रह गया था।