Prithvi Shaw

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-विनय कुमार

इंटरनेशनल क्रिकेट में वेस्टइंडीज के खिलाफ सेंचुरी ठोककर शुरुआत करने वाला युवा बल्लेबाज पृथ्वी शॉ (Prithvi Shaw) की उभरती प्रतिभा को देखकर कभी उनमें सचिन तेंडुलकर (Sachin Tendulkar) तो कभी वीरेंद्र सहवाग (Virendra Sehwag) की छवि नजर आने की बात होने लगी थी। लेकिन, अचानक उनके करियर में ऐसा दौर आया जिससे उनके स्टारडम में मानों ग्रहण सा लग गया। इसमें कोई दो राय नहीं कि युवा उम्र के खिलाड़ी होने की वजह से उनका करियर काफ़ी लंबा हो सकता है। पर, हाल के कुछ मैचों पर गौर करें तो एक बात यह साफ नजर आती है कि उनका आत्मविश्वास अचानक डगमगा रहा है। खासकर हाल के अंतरराष्ट्रीय मैचों में पृथ्वी शॉ का प्रदर्शन बेहद निराशाजनक रहा है।

अब पृथ्वी शॉ के लिए आगे का क्या रास्ता है?

ग़ौरतलब है कि प्रतिबंधित दवा लेने के कारण पृथ्वी शॉ पर 8 महीने प्रतिबंध लगा था। जिसके बाद मैदान पर उनकी वापसी हुई। वापसी में बेहतरीन खिलाड़ी होने का करिश्मा नज़र नहीं आया। वापसी पूरी तरह फीकी रही। अबके सीज़न के आईपीएल (IPL T20, 2020 Prithvi Shaw) में भी उनका प्रदर्शन ठीक नहीं रहा। इसके बावजूद, वेस्ट इंडीज (West Indies vs India Test Match) के खिलाफ उनके पिछले टेस्ट मैच के प्रदर्शन की बदौलत ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ खेले जा रहे ‘बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी टेस्ट सीरीज’ (Border-Gavaskar Trophy Test Series, 2020-21) में उनको मौका दिया गया। सीरीज के पहले मैच में भी वो फ्लॉप नज़र आए। 

एडिलेड (Adelaide First Test Match India-Australia, 2020) में उन्होंने 2 पारियों में सिर्फ़ 4 रन बनाए। पहली पारी में बिना खाता खोले पवेलियन लौट गए। ऐसे में सवाल ये पैदा होता है कि अब पृथ्वी शॉ का क्या होगा ?

विराट भी गुजर चुके हैं बुरे दौर से

क्रिक्रेट पंडितों के मुताबिक पृथ्वी शॉ की बैटिंग स्टाइल की वजह से ऐसा हो रहा है। उनकी बल्लेबाज़ी में टेक्निकल खामियां बताई जा रही हैं। बताया जा रहा है कि उनकी बैटिंग के दौरान बॉल और बैट के बीच गैप का बनना सबसे बड़ी कमी है। इसी कारण बोल्ड होने या बैट के एज में लगने का शिकार बनने लगे हैं। लेकिन, अब एक गंभीर सवाल ये भी जन्म लेता है कि ये तकनीकी बात तो उस वक्त भी थी जब पृथ्वी क्रिकेट की दुनिया के अगले सचिन तेंडुलकर माने जाने लगे थे। आख़िर, अब क्या हुआ ?

सच तो ये है कि भारत के खिलाफ खेल रही टीमों ने ओपनिंग ऑर्डर तोड़ने को लेकर काफी तैयारियां की हैं। पृथ्वी सलामी बल्लेबाज हैं, उनको या उनके जोड़ीदार को आउट कर शुरुआत लड़खड़ा देना बड़ी रणनीति का हिस्सा बन गया। डेटा और एनालिसिस के डिजिटल युग में पृथ्वी शॉ की तकनीकी खामियों पर गौर किया गया। रिसर्च हुआ कि ऐसे निशाने पर गेंदबाज़ी की जाए जहां पृथ्वी शॉ शिकार बन सकते हैं। लेकिन, ऐसा सिर्फ़ पृथ्वी शॉ के साथ नहीं हुआ है। पहले भी धाकड़ खिलाड़ियों को लेकर ऐसी रणनीतियां अमल में लाई जा चुकी हैं। 2014 में इंग्लैंड के दौरे (Team India England Tour, 2014) में टीम इंडिया के कप्तान विराट कोहली (Virat Kohli) ऐसे दौर से गुजर चुके हैं। उस दौरे में उनका औसत बेहद खराब और निराशाजनक 13.50 का था।

तकनीक के साथ आत्मविश्वास पर गौर करना होगा

पृथ्वी शॉ (Prithvi Shaw) फ़िलहाल ऐसे मोड़ पर हैं, जब सिर्फ़ वही तय कर सकते हैं कि अब उनको कौन सा रास्ता अपनाना है। क्रिकेट पंडितों का मानना है कि पृथ्वी को अपनी खामियों को दूर करने के लिए मेहनत करनी चाहिए। हां, एक बात ये भी है कि जिस नेचुरल गेम खेलने को लेकर उनकी खूब तारीफ होती रही, उसे बरकरार रखना जरूरी होगा।

हालांकि, एक कड़वा सच ये भी है कि ख़राब या शानदार फॉर्म के लिए क्रिकेट में सिर्फ़ टेक्नीक की भूमिका नहीं होती है, बल्कि क्रिकेट एक मनोवैज्ञानिक खेल भी है। ऐसे में पृथ्वी को अपने नैचुरल टैलेंट पर गौर करते हुए निडर होकर खेलने की ज़रूरत है। फिलहाल उनके गेम को देखकर ऐसा लगता है जैसे वो डरे हुए हैं या डिफेंसिव मोड में खेल रहे हैं। क्रीज़ पर आने पर उनकी बॉडी लैंग्वेज में दृढ़ता और आत्मविश्वास के साथ अटैकिंग ऐटिट्यूड झलकना चाहिए, ताकि गेंदबाजों में भी बड़े शॉट्स लगने का खौफ पैदा हो सके।

शॉ को आत्मचिंतन का खूब मौका

पृथ्वी शॉ को मेलबर्न में खेले जाने वाले दूसरे टेस्ट (Second Test Match India-Australia, Melbourne, 2020) से बाहर कर दिया गया हैं। उनके पास आत्मचिंतन का खूब मौका है। उन्हें मिशेल स्टॉर्क (Mitchell Starc) या अन्य दूसरे युवा ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ियों की तरह सोशल मीडिया से दूरी बनाना भी सीखना होगा, जहां किसी को भी लेकर किसी एक मौके पर परफॉर्म नहीं कर पाने से नेगेटिव या पॉजिटिव इमेज बना दी जाती है।

साफ़ है, करियर को अपनी प्रतिभा के बल पर निखार लाते, दबावों से बच निकलने वाला ही असली खिलाड़ी कहा जाता है। बहरहाल, पृथ्वी शॉ के करियर का ये बुरा दौर हो सकता है, लेकिन ढलान बिलकुल नहीं है। उनके बल्ले से अभी बेहतरीन आना बाकी है। अबकी बार जब पृथ्वी शॉ फॉर्म में लौटेंगे, तब उनका रुतबा लंबे समय तक चलेगा। ज़ाहिर है, अपनी खामियों से उबरकर आत्मचिंतन और परिश्रम कि आग में तप कर सोना और चमकता है।