Long-term exposure to air pollution increases the risk of death from corona: study

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नयी दिल्ली. दिल्ली सरकार की एक कमेटी के प्रमुख ने कहा है कि शहर में जुलाई अंत तक कोरोना वायरस के संक्रमित मरीजों की संख्या साढ़े पांच लाख तक शायद नहीं पहुंचेगी, लेकिन यह देखना होगा कि मॉनसून में वायरस का क्या असर होता है । कोरोना वायरस से मुकाबले के लिए अस्पतालों की तैयारियों को बेहतर करने के वास्ते गठित दिल्ली सरकार की एक कमेटी के प्रमुख महेश वर्मा ने बुधवार को यह बात कही। वर्मा ने कहा कि कोई भी नया अनुमान जताने के पहले अगले कुछ दिनों तक मामलों की संख्या पर गौर करना चाहिए । दिल्ली सरकार ने स्वास्थ्य से जुड़ी आधारभूत संरचना और अस्पतालों को लेकर बेहतर तैयारी करने के लिए पिछले महीने पांच सदस्यीय कमेटी बनायी है।

दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य बुलेटिन के मुताबिक 13 से 27 जून के बीच सात दिन ऐसे रहे जब संक्रमण के 3,000 से ज्यादा मामले आए । हालांकि 27 जून के बाद संक्रमितों की संख्या घटने लगी। आंकड़ों के मुताबिक 29 जून को 2084 मामले आए जबकि अगले दिन 2199 मामले आए। वर्मा ने कहा, ‘‘मामलों में गिरावट के तीन-चार ही दिन हुए हैं। कुछ दिनों तक हमें संख्या पर नजर रखनी होगी । इसके बाद ही अनुमान लगाया जा सकेगा । हमारा अनुमान था कि जून अंत तक करीब एक लाख मामले होंगे लेकिन करीब 65000 मामले आए। एक नया रूझान विकसित हो रहा है। ”

गुरु गोविंद सिंह इंद्रप्रस्थ विश्वविद्यालय के कुलपति वर्मा ने कहा कि मामलों में बढ़ोतरी के कारण लोग सतर्क हो गए और जांच भी बढ़ा दी गयी। वर्मा ने कहा कि मौजूदा परिस्थिति में ऐसा नहीं लगता कि जुलाई अंत तक दिल्ली में साढ़े पांच लाख मामले होंगे। उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन मॉनसून करीब है। हमें नहीं पता कि इसके बाद वायरस का क्या असर पड़ेगा ।” उन्होंने कहा, ‘‘मॉनसून में वायरल बीमारी फैलती है । हमें यह नहीं पता है कि कोरोना वायरस का क्या असर पड़ेगा। यह देखने के लिए कुछ दिन इंतजार करना होगा कि संक्रमण की संख्या यह गिरावट अस्थायी है या इसमें बढ़ोतरी होगी ।” (एजेंसी)