Pakistan violates ceasefire along LoC and international border in Jammu and Kashmir
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नयी दिल्ली. सेना ने अलग-अलग जगहों पर तैनाती को चुनौती देने वाले कर्नल दंपति की याचिका पर दिल्ली उच्च न्यायालय को बताया कि “सीमा पर ऑपरेशनल हालात”, “संगठन के हितों” और जेएजी विभाग में ऐसे वरिष्ठ अधिकारियों की कमी के कारण दोनों की तैनाती एकसाथ नहीं हो सकती है। हालांकि, सैन्य सचिव शाखा के इस रुख का दोनों वरिष्ठ अधिकारियों के अधिवक्ता ने विरोध किया।

उन्होंने दावा किया कि जज एडवोकेट जनरल (जेएजी) विभाग “सीमा पर हालात” और “संगठन के हितों” जैसे शब्दों का उपयोग कर अदालत को “भ्रमित” करने का प्रयास कर रहा है। उच्च न्यायालय में दायर हलफनामे में रक्षा मंत्रालय के तहत आने वाली सैन्य सचिव शाखा ने कहा है कि अदालत के निर्देशानुसार कर्नल अमित कुमार द्वारा उनकी पदस्थापना को चुनौती देते हुए दायर की गई याचिका को उनका आवेदन माना गया और उसपर विचार करने के बाद 30 सितंबर को उनकी और उनकी पत्नी की तैनाती एक साथ करने की अर्जी खारिज कर दी गयी।

विभाग द्वारा 15 मई को जारी दो अलग-अलग आदेशों के तहत, कर्नल अमित कुमार और उनकी पत्नी कर्नल अनु डोगरा को क्रमश: अंडमान निकोबार द्वीप समूह और बठिंडा (पंजाब) में तैनाती दी गयी। इससे पहले दोनों राजस्थान के जोधपुर में पदस्थापित थे।

न्यायमूर्ति राजीव सहाय एंडलॉ और न्यायमूर्ति आशा मेनन ने 15 सितंबर को सेना को कहा था कि वह अपनी याचिका को आवेदन की तरह स्वीकार करे और उसपर किये गए फैसले के बारे में 20 अक्टूबर को होने वाली अगली सुनवाई से पहले अदालत को अवगत कराए। उच्च न्यायालय ने फैसला आने तक दोनों अधिकारियों की पदस्थापना पर रोक लगा दी थी। (एजेंसी)