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नई दिल्ली. दिल्ली उच्च न्यायालय ने गिरफ्तारी की एक समान मानक प्रक्रिया विकसित करने की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई करने से सोमवार को इनकार करते हुए कहा, ‘‘ इससे निपटने के लिए पर्याप्त न्यायिक घोषणाएं और कार्यालय आदेश मौजूद हैं।” प्रधान न्यायाधीश डी. एन. पटेल और न्यायामूर्ति प्रतीक जालान की पीठ ने कहा कि सभी अदालतों द्वारा दिए आदेशों और अधिकारियों के कार्यालयों के आदेशों को एक पत्र में संकलित करने की जरूरत नहीं है और याचिका खारिज कर दी। अदालत ने कहा, ‘‘पर्याप्त प्रक्रियाएं निर्धारित (गिरफ्तारी के संबंध में) की गई हैं। काफी काम किया गया है।

अब हम इसे संकलित करने का ओदश नहीं देने जा रहे हैं। अभी हम, इस याचिका पर सुनवाई नहीं करने जा रहे हैं।” अर्थशास्त्री अभिजीत मिश्रा ने यह याचिका दायर की थी। बहरहाल, अदालत ने उन्हें निर्णयों या कार्यालय के आदेशों के उल्लंघन के किसी भी व्यक्तिगत मामले के लिए उचित मंच पर अपना पक्ष रखने की अनुमति दी। मिश्रा ने इस याचिका में अदालत से केन्द्र, दिल्ली सरकार और पुलिस को किसी भी व्यक्ति की अवैध हिरासत और गिरफ्तारी के लिए एक व्यापक क्षतिपूर्ति नीति और प्रक्रिया बनाने का निर्देश देने की मांग थी।(एजेंसी)