Umar Khalid, PTI
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नयी दिल्ली. दिल्ली की एक अदालत ने अवैध गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) के तहत गिरफ्तार जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र उमर खालिद को फरवरी में उत्तर पूर्वी दिल्ली में हुए सांप्रदायिक दंगे से जुड़े एक मामले में सोमवार को दस दिन के लिए पुलिस हिरासत में भेज दिया। खालिद को वीडियो कांफ्रेंस के जरिए अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अमिताभ रावत के समक्ष पेश किया गया।

पुलिस ने यह कहते हुए दस दिन के लिए उसकी हिरासत मांगी कि उसे ढेर सारे डाटा से आमना-सामना कराने की जरूरत है। खालिद को इस मामले में रविवार रात को गिरफ्तार किया गया था। उसके वकील ने यह कहते हुए पुलिस हिरासत का विरोध किया कि वह 23-26 फरवरी के दौरान दिल्ली में नहीं था, जब दंगा हुआ था।

अपनी प्राथमिकी में पुलिस ने दावा किया है कि सांप्रदायिक हिंसा ‘सुनियोजित साजिश’ थी जिसे कथित रूप से खालिद और दो अन्य ने कथित रूप से रचा था। खालिद पर राजद्रोह, हत्या, हत्या के प्रयास, धर्म के आधार पर विभिन्न समुदायों के बीच वैमनस्य और दंगा फैलाने का भी मामला दर्ज किया गया है।

प्राथमिकी में आरोप लगाया गया कि खालिद ने दो स्थानों पर कथित भड़काऊ भाषण दिया और नागरिकों से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर यह संदेश देने के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की यात्रा के दौरान सड़कें जाम करने की अपील की कि भारत में अल्पसंख्यकों के साथ अत्याचार किया जा रहा है।

प्राथमिकी में दावा किया गया है कि विभिन्न घरों में आग्नेयास्त्र, पेट्रोल बम, तेजाब की बोतलें और पत्थर इकट्ठा किये गये। पुलिस ने आरोप लगाया कि सह आरोपी दानिश को दो स्थानों पर दंगे के लिए लोगों को इकट्ठा करने की कथित जिम्मेदारी सौंपी गयी। प्राथमिकी के अनुसार इलाके में तनाव पैदा करने के लिए 23 फरवरी को जाफराबाद मेट्रो स्टेशन के पास की सड़कों को महिलाओं और बच्चों से जाम कराया गया।

उत्तर पूर्वी दिल्ली में संशेाधित नागरिकता कानून के समर्थकों और विरोधियों के बीच हिंसा होने के बाद 24 फरवरी को सांप्रदायिक दंगा फैल गया जिसमें 53 लोग मारे गये और करीब 200 लोग घायल हुए। (एजेंसी)