नई दिल्ली: ट्विटर दिल्ली हाईकोर्ट से बड़ा झटका लगा है। दिल्ली उच्च न्यायालय ने सोमवार को कहा कि यदि डिजिटल मीडिया संबंधी नए सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) नियमों पर रोक नहीं लगाई गई है तो ट्विटर को इनका पालन करना होगा। इस टिप्पणी के साथ ही न्यायमूर्ति रेखा पल्ली ने अधिवक्ता अमित आचार्य की याचिका पर केंद्र और सोशल मीडिया मंच ट्विटर को नोटिस जारी कर उन्हें अपना पक्ष रखने का निर्देश दिया है।
आचार्य ने अपनी याचिका में दावा किया है कि ट्विटर ने नियमों का पालन नहीं किया है। दूसरी ओर, ट्विटर ने अदालत के समक्ष दावा किया कि उसने नियमों का पालन किया है और एक शिकायत निवारण स्थानीय अधिकारी नियुक्त किया है, लेकिन केंद्र सरकार ने इस दावे को गलत ठहराया।
अदालत ने कहा, ‘‘यदि इन (नियमों) पर रोक नहीं लगाई गई है, तो उन्हें इसका पालन करना होगा।” आचार्य ने वकील आकाश वाजपेयी और मनीष कुमार के जरिए दर्ज कराई गई याचिका में कहा कि जब उन्होंने कुछ ट्वीट के बारे में शिकायत दर्ज करवाने का प्रयास किया, तब उन्हें सरकारी नियमों का अनुपालन कथित रूप से नहीं किए जाने के बारे में पता चला। सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार के स्थायी वकील रिपुदमन सिंह भारद्वाज ने अदालत से कहा कि ट्विटर ने नियमों का पालन नहीं किया है।
Twitter Inc tells Delhi High Court that it has complied with Information Technology (Intermediary Guidelines and Digital Media Ethics Code) Rules, 2021 and has already appointed Resident Grievance Officer on May 28
— ANI (@ANI) May 31, 2021
याचिका में कहा गया है कि ट्विटर ने शिकायत निवारण स्थानीय अधिकारी नियुक्त करने संबंधी केंद्र के आईटी कानून के नियम का पालन नहीं किया है। इसमें अनुरोध किया गया है कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्विटर को इस नियम का अविलंब पालन करने का निर्देश दिया जाए।
याचिका में कहा गया है कि नए आईटी नियम 25 फरवरी को प्रभाव में आए तथा केंद्र ने ट्विटर समेत सभी सोशल मीडिया मंचों को इनका पालन करने के लिए तीन महीने का वक्त दिया था। याचिका में कहा गया कि यह अवधि 25 मई को समाप्त हो गई लेकिन ट्विटर ने इस मंच पर ट्वीट से जुड़ी शिकायतों को देखने के लिए आज तक शिकायत निवारण स्थानीय अधिकारी की नियुक्ति नहीं।
याचिका में केंद्र को भी निर्देश देने का अनुरोध किया गया कि वह आईटी नियमों का अनुपालन सुनिश्चित करे। ट्विटर ने हाल में नए आईटी नियमों की आलोचना की थी और कहा था कि ये नियम ‘‘मुक्त और खुली सार्वजनिक बातचीत को रोकते हैं।” इस पर प्रतिक्रिया में केंद्र ने कहा था कि ट्विटर भारत को बदनाम करने के लिए निराधार और झूठे आरोप लगा रहा है।(एजेंसी)