Notice to the Speaker on the petition for disqualification of 11 AIADMK MLAs

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नई दिल्ली. उच्चतम न्यायालय ने तमिलनाडु विधानसभा में 2017 में विश्वास मत के दौरान राज्य के मुख्यमंत्री के पलानीस्वामी के खिलाफ मत देने वाले अन्नाद्रमुक के 11 विधायकों के मामले में तत्काल फैसला करने का विधानसभा अध्यक्ष को निर्देश देने के लिये द्रमुक के आवेदन पर बुधवार को नोटिस जारी किये। प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ ने वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से द्रमुक के आवेदन पर सुनवाई के दौरान तमिलनाडु विधानसभा अध्यक्ष पी धनपाल, विधानसभा सचिव और अन्नाद्रमुक के इन 11 विधायकों को नोटिस जारी किये।

पीठ ने सुनवाई के दौरान द्रमुक के इस कथन का संज्ञान लिया कि तीन साल बीत जाने के बावजूद विधानसभा अध्यक्ष ने इन 11 अन्नाद्रमुक विधायकों के मामले में अभी तक कोई निर्णय नहीं लिया है। द्रमुक की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल और अधिवक्ता अमित आनंद तिवारी ने कहा कि विधानसभा का कार्यकाल जल्द ही पूरा हो जायेगा और इसलिए इस मामले में शीघ्र सुनवाई की आवश्यकता है। अन्नाद्रमुक के एक विधायक की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगगी ने नोटिस जारी किये जाने का विरोध किया।

बहरहाल, पीठ ने द्रमुक के आवेदन पर नोटस जारी करने के बाद इस मामले को सुनवाई के लिये चार सप्ताह सूचीबद्ध कर दिया। द्रमुक ने अपनी नयी अर्जी में कहा है कि अन्नाद्रमुक के 11 विधायकों को दल-बदल कानून के तहत अयोग्य घोषित करने के लिये उनकी याचिका 20 मार्च 2017 से विधानसभा अध्यक्ष के पास लंबित है लेकिन उन्होंने अभी तक इस पर कोई निर्णय नहीं लिया है। याचिका में अध्यक्ष को यह निर्देश देने का अनुरोध किया गया है कि वह विश्वास मत के दौरान पलानीस्वामी सरकार के खिलाफ मत देने वाले उप मुख्यमंत्री ओ पनीरसेल्वम सहित अन्नाद्रमुक के 11 विधायकों के खिलाफ दल-बदल कानून के तहत दायर याचिका पर शीघ्र फैसला लें। इससे पहले, न्यायालय ने कोविड-19 महामारी के मद्देनजर इसकी सुनवाई टाल दी थी। न्यायालय ने कहा था कि कोविड-19 के हालात पर गौर करते हुये इसे 15 दिन बाद सूचीबद्ध किया जायेगा।(एजेंसी)